देश के नए संसद भवन की तर्ज पर यूपी को भी नए विधानभवन की मिलेगी सौगात
देश के नए संसद भवन (सेंट्रल विस्टा) की तर्ज पर यूपी को भी जल्द ही नए विधानभवन की सौगात मिलेगी। 18 वीं विधानसभा के सदस्यों को नई विधानसभा में बैठने का मौका मिलेगा। यह खुशखबरी सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने दी। उन्होंने कहा कि नई विधानसभा बनने जा रही है। 18 वीं विधानसभा के मौजूदा सदस्यों को नई विधानसभा में बैठने का मौका मिलेगा।
बताते चलें कि योगी सरकार लखनऊ में नई विधानसभा भवन बनाने का ऐलान पहले ही कर चुकी है। 2027 से पहले यह विधानभवन बन कर तैयार हो जाएगा। मौजूदा भवन के काफी पुराने हो जाने, बढ़ती जरूरतों के मुताबिक जगह कम होने, आसपास भारी यातायात का दबाव के चलते अन्यत्र इको फ्रेंडली, भूकंपरोधी, आधुनिक सुविधाओं से लैस नए स्थापत्य कला के हिसाब से विधानभवन बनाने की तैयारी है। इसके लिए प्रारंभिक तौर पर 50 करोड़ रुपये बजट में रखे गए हैं।
सरकार का लक्ष्य
यूपी सरकार का लक्ष्य है कि 18वीं विधानसभा का कम से कम एक सत्र का नए विधानभवन में हो। वर्तमान का विधानभवन करीब 100 साल पुराना है। बताया जा रहा है कि नए विधानभवन का निर्माण बढ़ती जरूरतों के अनुसार किया जाएगा। मौजूदा विधानभवन में स्थान कम होने और आसपास बढ़ते ट्रैफिक के दबाव के मद्देनज़र सरकार ने नये विधानभवन के निर्माण का फैसला किया है। बताया जा रहा है कि 2027 के पहले नये विधानभवन का निर्माण पूरा करने का लक्ष्य रखा जाएगा। इसे पूरी तरह ईको फ्रेंडली, भूकंपरोधी और आधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा।
मौजूदा विधानभवन का इतिहास
मौजूदा विधानभवन करीब 100 साल पुराना है। इसकी नींव 15 दिसंबर, 1922 को तत्कालीन गवर्नर सर स्पेंसर हरकोर्ट बटलर ने रखी थी। यह भवन करीब छह साल में बनकर तैयार हुआ था। 21 फरवरी, 1928 को इसका उद्घाटन किया गया गया था। मौजूदा विधानभवन का निर्माण कोलकाता की मेसर्स मार्टिन एंड कंपनी ने किया गया। इसके मुख्य आर्किटेक्ट सर स्विनोन जैकब और हीरा सिंह थे। उस समय विधानभवन के निर्माण के लिए 21 लाख रुपए स्वीकृत किए गए थे। यूपी का मौजूदा विधानभवन यूरोपियन और अवधी निर्माण की मिश्रित शैली का उत्कृष्ट उदाहरण है। इसमें फिलहाल 403 विधायकों के बैठने की व्यवस्था है।
जुलाई 1935 में विधान परिषद की बैठकों और कार्यालय कक्षों के लिए एक अलग चेंबर का प्रस्ताव किया गया था। एक्सटेंशन भवन का निर्माण मुख्य वास्तुविद एएम मार्टीमंर द्वारा कराया गया था। इसे लोक निर्माण विभाग की देखरेख में नवंबर 1937 में पूरा किया गया था। विधानपरिषद में फिलहाल 100 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है।