दिल्ली सरकार ने बिजली सब्सिडी पर दिल्लीवालों को दी बड़ी राहत..
दिल्ली सरकार ने बिजली सब्सिडी पर दिल्लीवालों को बड़ी राहत दी है। सब्सिडी की सुविधा जारी रखने के लिए नए वित्तीय वर्ष में दोबारा आवेदन करनी की जरूरत नहीं होगी। अक्टूबर 2022 के बाद किए गए आवेदन का रजिस्ट्रेशन 31 मार्च 2024 तक मान्य रहेगा।
दिल्ली की बिजली मंत्री आतिशी से पूछा गया कि नए वित्तीय वर्ष में बिजली सब्सिडी जारी रखने के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया कब शुरू होगी। इस पर उन्होंने कहा कि योजना के तहत बिजली सब्सिडी के लिए किसी उपभोक्ता ने एक बार पंजीकरण करा लिया है तो उन्हें अप्रैल में दोबारा आवेदन नहीं करना होगा। अगर किसी ने अभी तक रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है तो वह भी आवेदन कर सकते हैं।
दिल्ली सरकार ने बीते अक्टूबर में सब्सिडी को वैकल्पिक व्यवस्था के तहत लागू किया था, जिसके मुताबिक, बिजली बिल पर सब्सिडी उन्हें ही दी जाएगी, जो इसके लिए आवेदन करेगा। दिल्ली में 58.28 लाख से अधिक बिजली उपभोक्ता हैं।
फरवरी में सबसे ज्यादा लोगों ने लाभ उठाया
अक्टूबर 2022 से फरवरी 2023 तक 49 लाख से अधिक उपभोक्ता सब्सिडी के लिए आवेदन कर चुके हैं। फरवरी में 47.20 लाख लोगों को सब्सिडी का लाभ दिया गया। यह आंकड़ा इस वित्तीय वर्ष में सबसे अधिक है। इससे पहले अप्रैल 2022 में 45 लाख उपभोक्तओं को सब्सिडी का लाभ मिला था। आतिशी ने कहा कि दिल्ली में मुफ्त बिजली योजना को बंद करने की साजिश की जा रही है।
एलजी पर योजना रोकने का आरोप लगाया
बिजली मंत्री आतिशी ने आरोप लगाया है कि उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना भाजपा के साथ मिलकर दिल्ली की मुफ्त बिजली योजना को बंद कराना चाहते हैं। शुरुआत किसानों और वकीलों को मिलने वाली मुफ्त बिजली सुविधा से की है।
दिल्ली सचिवालय में पत्रकारवार्ता कर आतिशी ने कहा, ‘बिजली विभाग जब किसानों और वकीलों को मुफ्त बिजली की सुविधा बंद करने का प्रस्ताव लेकर आया तो मैं अचंभित थी, क्योंकि ना तो बतौर बिजली मंत्री मैंने और ना ही मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को इस संबंध में कोई निर्देश दिया था। मैंने कारण पूछा तो पता चला कि अधिकारियों ने उपराज्यपाल के दबाव में यह प्रस्ताव तैयार किया है।
झूठ बोल रही हैं बिजली मंत्री : भाजपा
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि बिजली मंत्री आतिशी का सब्सिडी रोकने का आरोप झूठा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार किसानों को एक यूनिट भी बिजली फ्री नहीं देती है। किसानों को बिजली इस्तेमाल न करने पर भी 1800 रुपये प्रतिमाह का बिल देना ही पड़ता है।