कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने हालिया चुनाव के लिए दायर हलफनामे में किया खुलासा
कर्नाटक विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने स्पष्ट बहुमत लाते हुए कुल 135 सीटें जीती हैं। कांग्रेस की ओर से कौन मुख्यमंत्री होगा, यह तय करने के लिए आज (रविवार को) शाम बेंगलुरु के होटल शंग्रीला में कांग्रेस के नवनिर्वाचित विधायक दल की बैठक बुलाई गई है। इस बीच, कई कांग्रेस कार्यकर्ता प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार के घर बाहर जमा हो गए हैं और उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की मांग करते हुए उनके समर्थन में पोस्टर लगाए हैं।
डीके शिवकुमार ने खेला इमोशनल कार्ड:
डीके शिवकुमार पहले ही इमोशनल कार्ड खेल चुके हैं और गांधी परिवार के प्रति निष्ठा जता चुके हैं। कर्नाटक में मिली बंपर जीत के बाद भावुक शिवकुमार ने शनिवार को कहा था,”सोनिया गांधी और राहुल गांधी से जो मैंने वादा किया था, वो मैंने निभा दिया। मैं अखंड कर्नाटक की जनता से उनके पैरों में पड़कर आशीर्वाद मांगता हूं और उन्हें समर्थन के लिए धन्यवाद देता हूं। लोगों ने हमपर विश्वास किया और वोट दिया। मैं नहीं भूल सकता, जब सोनिया गांधी मुझसे मिलने के लिए जेल आई थीं। मुझ पर भरोसा जताने के लिए मैं गांधी परिवार और सिद्धारमैया समेत सभी पार्टी नेताओं का धन्यवाद करता हूं।”
ईडी के निशाने पर रहे हैं डीके शिवकुमार :
डीके शिवकुमार ने ऐसा कहकर भले ही अपने काम का फल मांगने की कोशिश की हो लेकिन सीएम बनना उनके लिए इतना आसान नहीं है क्योंकि कांग्रेस को पता है कि अगर डीके शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाया गया तो केंद्र की सत्ताधारी भाजपा उसे मुद्दा बनाएगी। कांग्रेस ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर ही कर्नाटक में भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ा था। ऐसे में कांग्रेस नहीं चाहेगी कि उसी मुद्दे की फांस उसके गले में भाजपा डाले। बता दें कि डीके शिवकुमार पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की नजरें पहले से ही टेढ़ी हैं। ईडी उनके खिलाफ 800 करोड़ रुपये की बेहिसाब संपत्ति और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पहले ही चार्जशीट दाखिल कर चुकी है।
डीके शिवकुमार पर कई आपराधिक मुकदमे:
कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने हालिया चुनाव के लिए दायर हलफनामे में खुलासा किया है कि उनके खिलाफ 19 आपराधिक मुकदमे लंबित हैं। 19 मामलों में से 10 उनके और कांग्रेस पार्टी द्वारा किए गए विरोध मार्च से संबंधित हैं। चार मामले कथित आयकर चोरी से संबंधित हैं,जबकि प्रवर्तन निदेशालय द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम के तहत दो मामले दर्ज किए गए हैं। एक मामला कथित रिश्वतखोरी से संबंधित है और एक मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो और लोकायुक्त द्वारा दायर किया गया है जो कथित तौर पर आय से अधिक संपत्ति से संबंधित है।
हाल के वर्षों में शिवकुमार पर कसा है कानूनी शिकंजा:
19 में से 13 मामले पिछले तीन सालों में 2020 से 2023 के बीच दर्ज किए गए हैं, जबकि एक मामला 2012 से लंबित है। विरोध के मामलों में छह मुकदमे मेकेदातु पदयात्रा और 2020 के कर्नाटक महामारी रोग अधिनियम के संबंध में दायर किए गए थे।
करोड़ों के मालिक हैं शिवकुमार:
अपने चुनावी हलफनामे में शिवकुमार ने 1,139 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की है, जो 2018 के आंकड़े से 67.6 फीसदी अधिक है। हलफनामे में 2023 तक उनकी देनदारियों को 263 करोड़ रुपये दिखाया गया है। शिवकुमार ने अपने नाम पर केवल एक वाहन-टोयोटा क्वालिस- की घोषणा की है। इसके अलावा उनके पास दो उच्च-मूल्य वाली कलाई घड़ियों- रोलेक्स और हब्लोट हैं। इसके अलावा 2 किलो सोना और 12 किलो चांदी भी उनके पास है।
सिद्धारमैया का रास्ता आसान:
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस पार्टी अगर डीके शिवकुमार को सीएम बनाती है, तो भाजपा तुरंत केंद्रीय एजेंसियों के जरिए शिवकुमार पर शिकंजा कस सकती है और इस कदम से कांग्रेस की किरकिरी हो सकती है। ऐसे में कांग्रेस सिद्धारमैया पर फिर से भरोसा जता सकती है। सिद्धारमैया की छवि साफ-सुथरी रही है और एक जन नेता के रूप में पहचान रही है। वह कुरुबा समुदाय से आते हैं, जो कर्नाटक में पूरी आबादी की तीसरी सबसे बड़ी जनसंख्या वाली जाति मानी जाती है। सिद्धारमैया खुद को पिछड़ा वर्ग के नेता के तौर पर पेश करते रहे, जिसका फायदा कांग्रेस को मिलता रहा है।
आगे क्या रास्ते हो सकते हैं?
माना जा रहा है कि पार्टी सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री बना सकती है, जबकि वोक्कालिगा समुदाय से आने वाले डीके शिवकुमार को उप मुख्यमंत्री बना सकती है। उनके अलावा दो और उप मुख्यमंत्री बनाए जाने की चर्चा हो रही है। इनमें से दलित समुदाय से आने वाले जी परमेश्वर और लिंगायत समुदाय से आने वाले एमबी पाटिल का भी नाम लिया जा रहा है।
चर्चा यह भी है कि अब सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के रिश्तों में तल्खी नहीं रही। इसलिए, सिद्धारमैया सीएम बनने की सूरत में शिवकुमार को खुश करने के लिए पार्टी को विश्वास में रखकर उनके कई भरोसेमंद साथियों को मंत्री बना सकते हैं। इससे दोनों नेताओं के बीच सत्ता संतुलन भी बना रह सकेगा।