कांग्रेस ने पणजी स्मार्ट सिटी परियोजना पर लगाए गंभीर आरोप…
पणजी स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट लिमिटेड (आईपीएससीडीएल) ने अपनी स्थापना के बाद से स्मार्ट सिटी मिशन के तहत पणजी शहर में 950.34 करोड़ रुपये की 47 परियोजनाएं शुरू की हैं। इनमें से 58.15 करोड़ रुपये की 15 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं, लेकिन कांग्रेस का मानना है कि इस योजना में घोटाला हुआ है। कांग्रेस ने यह आरोप लगाया है कि पणजी स्मार्ट सिटी के नाम पर घटिया काम हुआ है। साथ ही योजना में पैसे लगाने वाले करदाताओं के पैसों को खुलेआम लूटा गया है।
1,140 करोड़ रुपये का हुआ है भ्रष्टाचार
कांग्रेस ने आरोप लगाते हुए इस योजना के लिए कंपनी के खिलाफ न्यायिक अधिकारी द्वारा जांच की मांग की है। कांग्रेस नेता एल्विस गोम्स ने कांग्रेस हाउस में महासचिव विजय भिके, उत्तर जिला अध्यक्ष वीरेंद्र शिरोडकर और पंजिम ब्लॉक महिला अध्यक्ष लाविनिया डकोस्टा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि ‘इमेजिन पणजी स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट लिमिटेड’ के बोर्ड सदस्य 1,140 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार में शामिल हैं।
परियोजना के नाम पर हो रही है पैसे की लूट
कांग्रेस नेता एल्विस गोम्स ने कहा कि पणजी के भाजपा विधायक और राजस्व मंत्री अटानासियो मोनसेरेट ने भी यह स्वीकार किया है कि पणजी ‘स्मार्ट सिटी’ का चल रहा काम घटिया है। गोम्स ने कहा कि जब सरकार का ही व्यक्ति कहा रहा है कि काम घटिया है, इसलिए जब सरकार भ्रष्टाचार स्वीकार करती है तो इसमें शामिल लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए। गोम्स ने आरोप लगाया कि स्मार्ट सिटी में काम करते समय लोगों का पैसा खुलेआम लूटा जा रहा है। इस सरकार को आगे बढ़ने का कोई अधिकार नहीं है। मोन्सरेट और अन्य जो इसमें शामिल हैं, इस भ्रष्टाचार से बच नहीं सकते। गोम्स ने कहा कि न्यायिक जांच में इस घोटाले का पर्दाफाश करने की उम्मीद करते हैं।
स्मार्ट सिटी बोर्ड के सदस्यों पर घोटाले में शामिल होने का आरोप
स्मार्ट सिटी की परियोजना के संबंध में स्मार्ट सिटी बोर्ड के पास सभी अधिकार हैं। मुख्य सचिव, जो राज्य के मुख्य सतर्कता अधिकारी हैं वे इसके अध्यक्ष हैं, इसलिए सवाल उठता है कि इस पर कौन कार्रवाई करेगा। गोम्स ने कहा कि विधायक अतानासियो मोनसेरेट बोर्ड पर हैं, उनके मेयर बेटे बोर्ड पर हैं, वे सभी इस भ्रष्टाचार में शामिल हैं। उन्होंने कहा कि हम कार्रवाई की मांग करते हैं। करदाता का पैसा दिन के उजाले में लूट लिया जाता है। उन्होंने सवाल किया कि यह 1,140 करोड़ रुपए का घोटाला है। सरकार ने इसकी जांच के लिए क्या किया है?
सवाल पूछने पर भी नहीं दी गई जानकारी-गोम्स
गोम्स ने बताया कि जब इतनी बड़ी परियोजनाओं पर काम किया जाता है, तो यह संबंधित बोर्ड का कर्तव्य था कि वह जनता को विकास की जानकारी दे। उन्होंने कहा कि परियोजना के तहत जो भी कार्य किए गए हैं लोगों को इसकी जानकारी देने के लिए एक साप्ताहिक ‘ई-टूर’ होना चाहिए। गोम्स ने कहा कि क्या उन्होंने इसे दिखाया है, उन्होंने इसे कभी नहीं दिखाया। हमने स्मार्ट सिटी परियोजना के संबंध में उनसे 50 प्रश्न पूछे थे, लेकिन किसी प्रश्न का उत्तर नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि हमने कंट्रोलर ऑडिटर जनरल से स्पेशल ऑडिट करने को कहा था, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया।
‘केंद्र से हो रहा है हस्तक्षेप’
गोम्स ने आरोप लगाया कि परियोजना के तहत किए गए विकास के लिए जब प्रश्नों के उत्तर नहीं दिए जा रहे हैं, तो इसका मतलब है कि केंद्र से सीधे तौर पर कोई हस्तक्षेप कर रहा है। उन्होंने कहा कि वार्षिक रिटर्न दाखिल करने में विफल रहने के बावजूद कंपनी पंजीयक भी निदेशक मंडल के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहा।उन्हें निलंबित किया जाना चाहिए।