धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आषाढ़ मास में भगवान भगवान विष्णु की उपासना करने से जीवन में समस्याएं होंगी दूर
ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि से ज्येष्ठ मास का समापन होगा और इस दिन से आषाढ़ मास का शुभारंभ हो जाएगा। हिन्द धर्म में आषाढ़ मास का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस मास में भगवान विष्णु की उपासना करने से जीवन में आ रही परेशानियां दूर हो जाती हैं और साधकों सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। बता दें कि इस मास में कई महत्वपूर्ण व्रत एवं त्योहार रखे जाएंगे। आइए जानते हैं, कब से शुरू हो रहा है आषाढ़ मास और उपाय व नियम-
कब से शुरू हो रहा है आषाढ़ मास 2023?
हिन्दू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 04 जून को सुबह 9 बजकर 11 मिनट पर हो जाएगी और इस तिथि का समापन 5 जून को सुबह 6 बजकर 38 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में आषाढ़ मास का शुभारंभ 05 जून 2023, सोमवार के दिन से होगा।
आषाढ़ मास में किन बातों का रखना चाहिए ध्यान?
- शास्त्रों में बताया गया है कि आषाढ़ मास में भगवान विष्णु और भगवान शिव की उपासना का विशेष महत्व है। इस मास में पूजा-पाठ और हवन का भी महत्व सर्वाधिक है।
- शास्त्रों के अनुसार आषाढ़ मास में व्यक्ति को हर दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करना चाहिए। ऐसा करने से शरीर निरोगी रहता है।
- अषाढ़ मास में पिंडदान, तर्पण, स्नान और दान का विशेष महत्व है। ऐसा करने से पूर्वजों का आशीर्वाद बना रहता है और जीवन में आ रही समस्याएं दूर हो जाती हैं।
- आषाढ़ मास में काल सर्प दोष से मुक्ति के लिए हर दिन शिव मन्दिर में जाकर भगवान शिव का जलाभिषेक करें। साथ इस मास में सूर्य देव, हनुमान जी और मां दुर्गा की उपासना करने से मंगल और सूर्य की दशा कुंडली में अच्छी होती है।
- अषाढ़ मास में व्यक्ति को हर दिन सुबह सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए और कम से कम 11 बार गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से सूर्य देव की कृपा साधक पर बनी रहती है।
- आषाढ़ मास में मौसम में परिवर्तन होते रहते हैं, कभी तेज गर्मी तो कभी बारिश। इसलिए इस दौरान सेहत का विशेष ध्यान रखना चाहिए और बासी खाना खाने से परहेज करना चाहिए।