सऊदी अरब ने कच्चे तेल पर लिया एक अहम फैसला…
सऊदी अरब ने रविवार को एलान किया कि मंदी की आशंका के बावजूद कीमतों को बढ़ाने की जगह उत्पादन में प्रति दिन दस लाख बैरल की कमी करेगा। यह घोषणा सऊदी अरब की अध्यक्षता वाले क्रूड एक्पसोर्ट देशों के 13 सदस्यीय संगठन जिसे ओपेक (OPEC+) कहा जाता है, उसके साथ रुस के तरफ से 10 भागीदारों के बैठक के बाद लिया गया है।
इस फैसले के बाद क्रूड ऑयल की कीमतों में तेजी आई है। इस फैसले के बाद भारत को एक तरह का झटका लगा है। भारत पेट्रोल-डीजल को सस्ता करने की सोच रहा था, लेकिन इस फैसले के बाद ऐसा माना जा रहा है कि एक बार देश में फिर से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है।
क्रूड ऑयल की कीमत में हुई बढ़ोतरी
इस फैसले के बाद सोमवार को तेल की कीमतों में एक डॉलर प्रति बैरल से अधिक की बढ़ोतरी हुई। ब्रेंट क्रूड 77.64 डॉलर प्रति बैरल पर था, जो सुबह के कारोबार में 1.51 डॉलर या 2 फीसदी की तेजी के साथ 78.73 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया।
US West Texas Intermediate crude 73.15 डॉलर प्रति बैरल के उच्च स्तर को छूने के बाद 1.41 डॉलर या 2 प्रतिशत चढ़कर 75.06 डॉलर प्रति बैरल हो गया। इस फैसले के बाद भारत द्वारा आयात किए जाने वाले कच्चे तेल की दरों में परिवर्तन आएगा। पिछले कुछ दिनों में भारतीय बास्केट 72 डॉलर प्रति बैरल के आसपास था। जिससे उम्मीद की जा रही थी कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती हो सकती है।
भारत पर क्या असर पड़ेगा?
भारत अपनी तेल जरूरतों का 85 फीसदी आयात करता है। इसकी ईंधन कीमत अंतरराष्ट्रीय दरों पर अनुक्रमित होती है।
पिछले 14 महीने से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में गिरावट हुई है। राष्ट्रीय राजधानी में पेट्रोल की कीमत
96.72 रुपये प्रति लीटर है और डीजल 89.62 रुपये प्रति लीटर है।
राज्य के स्वामित्व वाले ईंधन खुदरा विक्रेताओं को पेट्रोल-डीजल की कीमतों को हर 15-दिन के बाद संशोधन करना होता है। ये संशोधन बेंचमार्क अंतरराष्ट्रीय ईंधन की कीमतों के आधार पर किया जाता है। लेकिन 6 अप्रैल 2022 से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में किसी भीा तरह का कोई संशोधन नहीं किया गया था।
आखिरी बार 22 मई को कीमतों में बदलाव किया गया था।ये तब हुआ था, जब सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतों में उछाल के बाद खुदरा दरों में बढ़ोतरी से उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए उत्पाद शुल्क में कटौती की थी।
तेल उत्पादन में क्यों गिरावट आ रही है?
एसएंडपी ग्लोबल कमोडिटी इनसाइट्स का अनुमान लगाया है कि सऊदी अरब कच्चे तेल के उत्पादन को जून में प्रति दिन 9.9 मिलियन बैरल से घटाकर जुलाई में 8.9 मिलियन बीपीडी कर देगी। इससे पहले 2021 में सऊदी अरब ने एकतरफा आधार पर कटौती की थी।
चीन की इकॉनमी में अस्थिरता, अमेरिकी बैंकिंग समस्याओं, उच्च ब्याज दरों, ओपेक+ द्वारा कच्चे तेल के उत्पादन को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई समस्याओं के आसार प्रबल हो गए हैं।