
प्रदेश के निजी व सरकारी विद्यालयों में गुरु जी न तो बच्चों को फटकारेंगे, न छड़ी से पीटेंगे, न चिकोटी काटेंगे न चाटा मारेंगे। बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से विद्यालयों में पढ़ने वाले सभी बच्चों को किसी भी प्रकार के शारीरिक व मानसिक दंड न दिए जाने के निर्देश का सख्ती से पालन कराने का निर्देश दिया गया है।
विभाग की ओर से राष्ट्रीय बालक अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से जारी निर्देश का हवाला देते हुए कहा है कि विद्यालय में पढ़ रहे बच्चों को किसी प्रकार की शारीरिक व मानसिक दंड न दिए जाने के विस्तृत निर्देश दिए गए हैं। इसका व्यापक प्रचार-प्रसार करते हुए बच्चों को भी बताएं कि वे इसके विरोध में अपनी बात कह सकते हैं। इसे संबंधित अधिकारियों के संज्ञान में लाएं।
महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा की ओर से सभी बीएसए को निर्देश दिया गया है कि हर स्कूल जिसमें छात्रावास हैं, जेजे होम्स, बाल संरक्ष्ज्ञण गृह भी शामिल हैं, में एक ऐसी व्यवस्था की जाए, जहां बच्चे अपनी बात रख सकें। ऐसे संस्थानों में किसी एनजीओ की सहायता ली जा सकती है। हर स्कूल में एक शिकायत पेटिका भी होनी चाहिए, जहां छात्र अपनी शिकायत दे सकें। अभिभावक शिक्षक समिति शिकायतों की समीक्षा करें। शिकायतों पर त्वरित कार्यवाही की जाए।
उन्होंने कहा है कि शिक्षा विभाग ब्लॉक, जिला व राज्य स्तर पर ऐसी व्यवस्था करें कि बच्चों की शिकायत व कार्यवाही की समीक्षा की जा सके। आरटीई के नियमों का अनुपालन कराते हुए किसी बच्चे को शारीरिक दंड नहीं दिया जाएगा। उसका मानसिक उत्पीड़न नहीं किया जाएगा। इसका उल्लंघन करने वालों पर अनुशासनिक कार्यवाही की जाएगी। किसी बच्चे के साथ जाति, धर्म, लिंग आधारित दुर्व्यवहार या भेदभाव भी नहीं किया जाएगा। इन आदेशों का सभी स्कूल सख्ती से पालन कराएंगे।
यह भी किया गया है प्रतिबंधित
बच्चों को झाड़ना, परिसर में दौड़ाना, चपत जमाना, घुटनों के बल बैठाना, यौन शोषण, प्रताड़ना, कक्षा में अकेले बंद कर देना, बिजली का झटका देना, अपमानित करके नीचा दिखाने, शारीरिक व मानसिक रूप से आघात पहुंचाना।
टोल फ्री नंबर पर करें शिकायत
विद्यालयों में पढ़ाई व बच्चों, अभिभावकों की शिकायतों के त्वरित निस्तारण के लिए नि:शुल्क टोल फ्री नंबर 1800-889-3277 शुरू किया गया है। महानिदेशक ने निर्देश दिया है कि सभी विद्यालय के नोटिस बोर्ड व मुख्य प्रवेश द्वार पर इस नंबर को लिखा जाए। बच्चे व अभिभावक इस पर शिकायत कर सकते हैं। इस पर आने वाली शिकायतों का निस्तारण व सुझावों की मॉनीटरिंग कर कार्यवाही की जाए।