यमुना एक्सप्रेस वे बनाने वाली जेपी एसोसिएट्स कैसे हुई दिवालिया

आज से 15 साल पहले उत्तर भारत में एक नाम बहुत सुना जाता था। वो नाम था जयप्रकाश एसोसिएट्स यानी जेपी (JP)। ये नाम नहीं एक ब्रांड था। इस ब्रांड को कभी भारत का राजा कहा जाता था। रियल एस्टेट क्षेत्र में एक प्रमुख कंपनी मानी जाने वाली जयप्रकाश एसोसिएट्स 2000 के दशक की शुरुआत में आई तेजी की महत्वाकांक्षा का पर्याय बन गई थी।

सीमेंट और बिजली से लेकर रियल एस्टेट और निर्माण तक, कंपनी ने तेजी से विस्तार किया और प्रमुख परियोजनाओं और भारत के विकास की कहानी पर सवार रही। लेकिन अब यह दिवालिया हो गई है और बिक चुकी है। 5 सितंबर को खबर आई कि वेदांता समूह ने JP Associates को खरीदने की बोली जीत ली है। Vedanta ने यह बोली 17,000 करोड़ रुपये में जीती। इस रेस में अदाणी भी थे, लेकिन वह पीछे रह गए।

जेपी तो बिक गई है लेकिन कहानी जानेंगे जेपी साम्राज्य के उदय से अस्त होने की। हम जानेंगे कि यमुना एक्सप्रेस वे, बुद्धा सर्किट जैसे विशाल इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने वाली JP एसोसिएट कैसे दिवालिया हुई? गौड़ परिवार से कहां हुई चूक? आपके मन भी में सवाल उठ रहे होंगे। इन सभी सवालों का जवाब जानेंगे। साथ ही यह भी जानेंगे कि कैसे JP ग्रुप की शुरुआत हुई थी। और कैसे जयप्रकाश गौड़ (JP Group Founder Jaiprakash Gaur) ने इसकी शुरुआत की थी।

किसने शुरू किया JP Group?
जेपी समूह की शुरुआत जयप्रकाश गौड़ ने की थी। उनका जन्म 1931 में उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के एक छोटे से गांव में हुआ था। छोटे शहरों में अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने 1948 में थॉम्पसन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और 1950 में सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा प्राप्त किया (यह कॉलेज IIT Roorkee में परिवर्तित हो गया था, जिसे अब भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कहा जाता है)।

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