लैंग्वेज क्लीनिक करेगा भाषा संबंधी समस्याओं का निदान, जानिए इसके बारे

विदेशों में प्रचलित लैंग्वेज क्लीनिक कॉन्सेप्ट की तरह अब भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की में भी विद्यार्थियों की भाषा संबंधी समस्या के निदान को लैंग्वेज क्लीनिक की शुरुआत की जाएगी। इस क्लीनिक में अंग्रेजी भाषा को लिखने,पढ़ेने, बोलने और समझने में कठिनाई महसूस करने वाले छात्र-छात्राओं की भाषा संबंधी समस्या का इलाज किया जाएगा। संस्थान की जनवरी 2019 से लैंग्वेज क्लीनिक शुरू करने की योजना है। 

वर्तमान में पढ़ाई का दबाव, अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा, आर्थिक कमजोरी व पारिवारिक समस्याओं के अलावा अन्य कारणों से भी आइआइटी रुड़की के कुछ छात्र-छात्राएं तनाव का शिकार हो रहे हैं। इनके साथ ही छात्रों में तनाव की एक बड़ी वजह अंग्रेजी भाषा को ठीक तरह से पढ़ना,लिखना, बोलना और समझ नहीं पाना भी है। 

जानकारी के मुताबिक संस्थान में बीटेक प्रथम वर्ष में दाखिला लेने वाले 50 फीसद छात्रों को अंग्रेजी भाषा से संबंधित दिक्कतें होती हैं। कारण, इंजीनियरिंग की सभी पुस्तकें अंग्रेजी में हैं और कक्षा में शिक्षक भी अंग्रेजी में ही व्याख्यान देते हैं। इसके अलावा एमटेक और पीएचडी के कुछ छात्रों की भी यही परेशानी रहती है। इन समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए संस्थान ने लैंग्वेज क्लीनिक शुरू करने की योजना बनाई है। 

क्लीनिक और लैंग्वेज लैब की इंचार्ज एवं मानविकी व सामाजिक विज्ञान विभाग की डॉ. स्मिता झा ने बताया कि अंग्रेजी भाषा लिखने, पढ़ने, बोलने और समझने में कठिनाई महसूस करने वाले विद्यार्थियों के लिए यह लैंग्वेज क्लीनिक शुरू किया जाएगा। 

उन्होंने बताया कि कुछ विद्यार्थी अंग्रेजी लिख तो लेते हैं, लेकिन बोल नहीं पाते। इसी तरह कुछ पढ़ लेते हैं, लेकिन समझ नहीं पाते। जबकि कुछ को बोलने, लिखने और पढ़ने- तीनों ही प्रकार की समस्याएं होती हैं। ऐसे में छात्रों की अंग्रेजी संबंधी सभी प्रकार की समस्याओं के समाधान एवं उनके सर्वांगीण विकास के लिए संस्थान के निदेशक प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी की ओर से लैंग्वेज क्लीनिक शुरू करने की पहल की जा रही है।

डॉ. झा के अनुसार लैंग्वेज क्लीनिक में सबसे पहले यह जानने का प्रयास किया जाएगा कि छात्रों की अंग्रेजी भाषा से जुड़ी किस प्रकार की दिक्कत है। इसके बाद उन्हें पढ़ने, लिखने और बोलने का अभ्यास कराया जाएगा। बताया कि लैंग्वेज क्लीनिक के इस कॉन्सेप्ट को शुरू करने में मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान विभाग का अहम योगदान है।

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