पांच राज्यों में बीजेपी के लिए बुरी खबर लेकर आए विधानसभा चुनाव

पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की मतगणना के बीच आ रहे रुझान बीजेपी के लिए बुरी खबर लेकर आए हैं. साल 2014 से दौड़ रहा बीजेपी के जीत का अश्वमेघ घोड़ा अब रुकता नजर आ रहा है. क्योंकि जहां बीजेपी के हाथ तीन राज्य फिसलते हुए नजर आ रहे हैं तो वहीं दो अन्य राज्य तेलंगाना और मिजोरम में बीजेपी कुछ खास करती नहीं दिख रही है.

हिंदी भाषी बड़े राज्यों- मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार का जाना तय माना जा रहा है. 15 वर्षों से मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सत्ता पर काबिज बीजेपी सत्ता से हाथ गंवाना पड़ रहा है. तो वहीं राजस्थान में हर पांच साल में सत्ता परिवर्तन का ट्रेंड जारी होता दिख रहा है.

तेलंगाना और मिजोरम की बात करें तो बीजेपी ने अपनी राजनीतिक जमीन न होने के बावजूद तगड़ा जोर लगाया था. नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रैटिक अलायंस (NEDA) के संयोजक के तौर पर असम सरकार में मंत्री हेमंत विश्व शर्मा ने जोड़तोड़ की पूरी कोशिश की थी, तो वहीं बीजेपी की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने कांग्रेस मुक्त पूर्वोत्तर का सपना साकार करने के लिए पूरा जोर लगाया था. हालांकि पूर्वोत्तर में कांग्रेस के हाथ से एकमात्र राज्य निकल गया लेकिन यहां क्षेत्रीय दल मिजो नेशनल फ्रंट की सरकार बनते दिख रही है.

तेलंगाना में बीजेपी ने हिंदू बनाम मुस्लिम का कार्ड खेलने की पूरी कोशिश की. जहां यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि बीजेपी के सत्ता में आने पर ओवैसी तेलंगाना से वैसे ही भागेंगे जैसे हैदराबाद के निजाम भागे थे. योगी ने यह भी कहा था कि सत्ता में आने पर हैदराबाद का नाम बदल कर भाग्यनगर कर दिया जाएगा. तो वहीं बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कांग्रेस के घोषणापत्र का जिक्र करते हुए मुस्लिम तुष्टिकरण को मुद्दा बनाने की पुरजोर कोशिश की थी.

इन पांच राज्यों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 32 जनसभाएं की थीं जिसमें सबसे ज्यादा राजस्थान में 12, मध्यप्रदेश में 10, छत्तीसगढ़ में 4, तेलंगाना में 5 और मिजोरम में एक रैली की थी. वहीं बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने पांच राज्यों के तूफानी प्रचार अभियान में 65 जनसभाएं, 13 रोड शो और 162 संवाद कार्यक्रम किए. जिसमें छत्तीसगढ़ में 14 दिन, मध्य प्रदेश में 18 दिन, तेलंगाना में 10 दिन, राजस्थान में 19 दिन, मिजोरम में 2 दिन रहे.

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