दिल्ली के पहले सीएम को हराया था सज्जन कुमार ने, लोग कहते थे ‘दिल्ली का शेर’
वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगा मामले में सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व तीन बार लोकसभा सदस्य रहे सज्जन कुमार (73) को उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही उनपर पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। सज्जन को उम्र भर जेल में रहना पड़ेगा। 2013 के निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए हाई कोर्ट ने सज्जन को साजिश रचने, दंगा भड़काने, आगजनी, किसी वर्ग के धार्मिक स्थल को अपवित्र करने की साजिश रचने व कई अन्य धाराओं में दोषी पाया। सज्जन को 31 दिसंबर तक समर्पण करना होगा। सज्जन दंगों के वक्त दिल्ली के सांसद थे।
ब्लॉक महासचिव से संसद तक पहुंचे सज्जन कुमार
मूलत: पुरानी दिल्ली क्षेत्र के रहने वाले सज्जन कुमार ने अपने राजनीति की शुरुआत प्रसाद नगर ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के महासचिव के तौर पर की थी। पुरानी दिल्ली से वह करोलबाग के प्रसाद नगर इलाके में आ गए थे। उसके कुछ समय बाद ही वर्ष 1977 में पहली बार निगम पार्षद का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। उस दौरान दिल्ली में कांग्रेस के केवल 12 पार्षद ही होते थे। प्रसाद नगर के बाद वह परिवार सहित मादीपुर आ गए।
दिल्ली के शेर माने जाने वाले चौ. ब्रहम प्रकाश को दी थी शिकस्त
वर्ष 1980 में पहली बार कांग्रेस ने उन्हें बाहरी दिल्ली संसदीय क्षेत्र से लोकसभा का टिकट दिया। उन्होंने उस समय के दिल्ली के शेर माने जाने वाले चौ. ब्रहम प्रकाश को शिकस्त दे लोकसभा में प्रवेश किया। हालांकि, वर्ष 1984 और 1989 में उनका टिकट काट दिया गया। वर्ष 1991 के लोकसभा चुनाव में उन्हें कांग्रेस ने बाहरी दिल्ली से अपना उम्मीदवार बनाया। तब दूसरी बार चुनाव जीतकर सांसद बने। 1996 के चुनाव में भाजपा के कृष्ण लाल शर्मा ने सज्जन कुमार को शिकस्त दी।
वर्ष 2001 में भाजपा ने डॉ. साहिब सिंह वर्मा को मैदान में उतारा तो सज्जन कुमार ने वर्मा को हराया और तीसरी बार संसद पहुंचने में सफल रहे। इसके बाद पी. चिदंबरम पर जूता फेंकने की घटना के बाद कांग्रेस के जगदीश टाइटलर व सज्जन कुमार का टिकट काट दिया गया। तब सज्जन कुमार अपने भाई रमेश कुमार को दक्षिणी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र से टिकट दिलाने में सफल रहे। रमेश भी सांसद बने, इससे पहले रमेश कुमार, शाहबाद दौलतपुर विधानसभा क्षेत्र से एक बार दिल्ली विधानसभा के लिए भी चुने गए। पिछले लोकसभा चुनाव में रमेश कुमार को कांग्रेस ने फिर दक्षिणी दिल्ली से अपना उम्मीदवार बनाया पर वह भाजपा के रमेश बिधूड़ी के हाथों चुनाव हार गए।
संयुक्त परिवार है सज्जन का
सज्जन कुमार व रमेश कुमार दोनों भाई पश्चिम विहार क्षेत्र के मियांवाली इलाके में रहते हैं। दोनों के परिवार भी साथ ही रहते हैं। सज्जन कुमार परिवार सहित मियांवाली में जरूर बस गए, मगर मादीपुर से कभी भी नाता नहीं तोड़ा।
फैसले के बाद भी जुटे लोग
अदालत ने सज्जन कुमार को सजा सुनाई तो मादीपुर स्थित उनके निजी निवास पर उनके समर्थकों की भीड़ जुटने लगी। दोपहर तक लोग उनके आवास पर जुटे रहे थे।
तारीखों में घटना
- 31 अक्टूबर 1984: तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके निवास स्थान पर सिख अंगरक्षकों ने हत्या कर दी थी।
- 1 नवंबर 1984: भीड़ ने दिल्ली कैंट के राजनगर एरिया में पांच सिखों की हत्या की।
- मई 2000: मामलों की जांच के लिए आयोग गठित किया गया।
- दिसंबर 2002: जिला अदालत से सज्जन कुमार को एक मामले में बरी कर दिया।
- 24 अक्टूबर 2005: आयोग की सिफारिश पर सीबीआइ ने सज्जन कुमार के खिलाफ केस दर्ज किया।
- 1 फरवरी 2010: निचली अदालत ने सज्जन कुमार व अन्य को आरोपित मानते हुए समन जारी कर ट्रायल शुरू किया।
- 24 मई 2010: अदालत ने आरोपितों के खिलाफ हत्या, डकैती और आगजनी सहित अन्य आरोप तय किए।
- 30 अप्रैल 2013: निचली अदालत ने सज्जन कुमार को बरी किया, जबकि अन्य को दोषी करार दिया गया था।
- 9 मई 2013: दोषी बलवान खोखर, भागमल और गिरधारी लाल को उम्रकैद व दो अन्य को तीन साल कैद की सजा हुई।
- 19 जुलाई 2013: सज्जन कुमार को बरी करने के फैसले के खिलाफ सीबीआइ ने हाई कोर्ट में अपील दायर की।
- 22 जुलाई 2013: हाई कोर्ट ने सीबीआइ की अपील पर सज्जन कुमार को नोटिस जारी किया। इसके बाद हाई कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई, जो वर्ष 2018 तक चली।
- 29 अक्टूबर 2018: हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा।
- 17 दिसंबर 2018: हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया और सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा दी। बलवान खोखर, भागमल और गिरधारी लाल को उम्रकैद की सजा बरकरार रखी गई। दो अन्य दोषियों की सजा बढ़ाकर दस साल कर दी गई।