रूठे पासवान को मनाने में सफल रही भाजपा , ये है सीट शेयरिंग का फॉर्मूला
बीजेपी का बिहार में अपने सहयोगी दल लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के साथ सीटों के बंटवारे पर समझौता हो गया है. राज्य में लोजपा के पांच लोक सभा सीटों पर चुनाव लड़ने की उम्मीद है वहीं पार्टी के अध्यक्ष राम विलास पासवान को राज्य सभा भेजा जा सकता है. उच्च पदस्थ सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि इस आशय की घोषणा शनिवार तक की जा सकती है. पासवान ने अपने बेटे चिराग पासवान के साथ शुक्रवार को बीजेपी नेता अरुण जेटली से मुलाकात की जिसके बाद यह समझौता हुआ.
समझौते के तहत रामविलास पासवान राज्यसभा में जाएंगे तो हाजीपुर से एलजेपी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस पार्टी उम्मीदवार होंगे. पहले इस सीट से पार्टी प्रमुख की पत्नी रीना पासवान के उम्मीदवार होने की चर्चा थी, लेकिन पार्टी सूत्रों ने इस अटकल को खारिज कर दिया है.
बिहार में लोजपा की छह सीटों में चार-हाजीपुर, जमुई, समस्तीपुर, खगड़िया पुरानी होंगी. मुंगेर और वैशाली सीटों के बदले पार्टी को नवादा और एक दूसरी सीट मिलेगी. हालांकि, खगड़िया सीट पर अभी असमंजस कायम है. भाजपा यह सीट लोजपा को देने को तैयार है, लेकिन संभव है वहां से जीते लोजपा सांसद महमूद अली कैसर एनडीए से अलग हो जाएं. ऐसी स्थिति में लोजपा अपने पसंद की कोई दूसरी सीट लेगी.
लोजपा ने गत चुनाव में वैशाली, हाजीपुर, जमुई, समस्तीपुर, खगड़िया, मुंगेर और नालंदा सीट पर उम्मीदवार दिया था. नालंदा सीट से पार्टी चुनाव हार गई थी. शेष छह सीटों पर उसके उम्मीदवार जीते थे. वैशाली से जीते रमाकिशोर सिंह ने लोजपा से चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा कर दी है.
पासवान के बेटे चिराग ने बताया कि बातचीत जारी है और दावा किया कि सीट बंटवारे के अलावा अन्य मुद्दे भी हैं. लोकसभा सदस्य चिराग पासवान बीजेपी के साथ अपनी पार्टी के मतभेदों को सामने रखने में काफी मुखर रहे हैं. लोजपा के एक अन्य नेता ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि बातचीत सकारात्मक रही है और उन्हें जल्द समाधान होने की उम्मीद है.
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने इससे पहले घोषणा की थी कि उनकी पार्टी एवं जदयू राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बिहार में बराबर संख्या में सीटों पर चुनाव लड़ेंगी. बिहार में बीजेपी नीत राजग ने 2014 के आम चुनाव में 31 सीटें जीती थीं. बीजेपी की ओर से लोजपा के साथ बातचीत के लिए जेटली को लगाये जाने से पासवान की पार्टी के साथ गठबंधन जारी रखने को बीजेपी द्वारा दिया जाने वाला महत्व रेखांकित होता है.
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और जेटली सहित पार्टी के शीर्ष नेताओं ने लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान और उनके पुत्र के साथ गुरुवार को एक घंटे की मुलाकात की ताकि उनके मतभेदों को दूर किया जा सके. चिराग पासवान ने इससे पहले जेटली को पत्र लिखकर यह समझाने के लिए कहा था कि नोटबंदी से देश को क्या लाभ हुए. उन्होंने यह भी ट्वीट किया था कि सीट बंटवारे की घोषणा में देरी से सत्ताधारी गठबंधन को नुकसान हो सकता है.
पासवान के अलग होने पर एनडीए को होता रहा है नुकसान
मालूम हो कि 1999 में राम विलास पासवान एनडीए में थे. उस साल के चुनाव में एनडीए को अविभाजित बिहार की 54 में से 41 सीटें मिली थीं. बाद में राम विलास पासवान एनडीए से निकल गए. 2004 के लोकसभा चुनाव में पासवान लालू प्रसाद यादव के साथ मिलकर चुनाव लड़े. लालू गठबंधन को 2004 में बिहार की 40 सीटों में से 29 सीटें मिलीं. जबकि पासवान सहित एनडीए को 1999 में अविभाजित बिहार में 54 में से 41 सीटें मिली थीं. यदि 1999 के अनुपात में ही एनडीए को सीटें मिली होती तो 2004 में भी अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार केंद्र में बन गई होती.
उपेंद्र कुशवाहा यूपीए में शामिल
पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा गुरुवार को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) में शामिल हो गए. रालोसपा ने हाल ही में एनडीए से गठबंधन तोड़ लिया था. राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि उनकी पार्टी और यूपीए घटक दलों के बीच बातचीत लगभग तय हो गई है और संप्रग में शामिल होने का ऐलान कुशवाहा गुरुवार को कर चुके हैं.