अवैध पार्किंग के खिलाफ इसलिए जरूरी है बड़ी मुहिम
आज सबके मन यही उम्मीद है.. कि सारी समस्याएं और दुख 2018 में ही छूट जाएंगे. और 2019 में जीवन का हर मोड़ सुखद होगा, लेकिन ऐसा होता नहीं है.. क्योंकि हम समस्याओं से सबक नहीं लेते. आज हम भारत की एक बहुत बड़ी समस्या की तरफ आपका ध्यान खींचना चाहते हैं. 27 दिसंबर को मुंबई की एक सोसायटी में आग लगने से 5 लोगों की मौत हो गई थी. इसकी वजह ये थी कि फायर ब्रिगेड को पहुंचने में देर हो गई थी, क्योंकि फायर ब्रिगेड अवैध पार्किंग की वजह से बहुत देर तक Jam में फंसी रही. यानी फायर ब्रिगेड के जिन कर्मचारियों को आग बुझानी थी, वो अतिक्रमण हटा रहे थे.
आज आपको.. खुद से ये सवाल पूछना चाहिए, कि अगर आपके घर में आग लग जाए.. या किसी Emergency की वजह से एंबुलेंस या फायर ब्रिगेड बुलानी पड़े, तो क्या ये गाड़ियां.. आपके घर तक.. बिना रुकावट के पहुंच पाएंगी? इस सवाल के बारे में सोचकर ही आप घबरा गए होंगे, क्योंकि अवैध पार्किंग और अतिक्रमण की समस्या, देश के हर शहर.. हर गली और हर मोहल्ले की समस्या है. इसलिए ज़ी न्यूज़ इस राष्ट्रीय समस्या के खिलाफ, भारत के तमाम शहरों में एक मुहिम शुरू कर रहा है.
आप भी इस मुहिम से जुड़ सकते हैं. अगर आपके घर के आसपास अवैध पार्किंग और अतिक्रमण की समस्य़ा है तो आप अपने मोबाइल फोन से वीडियो बनाकर हमें भेज सकते हैं. आज हमें मिलकर ये कोशिश करनी है कि 2019 में हमें इस समस्या का सामना ना करना पड़े
हमारा ई-मेल ID और WhatsApp Number आप नोट कर सकते हैं.
इस वक्त ये ई-मेल ID और WhatsApp Number आपकी स्क्रीन पर है. हमारा सुझाव ये है कि अब विरोध दर्ज कराने का वक्त आ गया है. क्योंकि जब तक आप आवाज़ नहीं उठाएंगे, तब तक सिस्टम सुधरेगा नहीं.
भारत के महानगरों में हालात ऐसे हैं कि घर से निकलते ही लोगों को अपने वाहन की पार्किंग की चिंता सताने लगती है. और ये चिंता कई बार पार्किंग को लेकर होने वाले लड़ाई झगड़े में भी बदल जाती है. भारत में शांतिपूर्वक कार पार्किंग की जगह तलाश करने को… आप सबसे बड़ी सहनशीलता भी कह सकते हैं.
IBM द्वारा किए गए एक सर्वे के मुताबिक दुनिया भर में पार्किंग की जगह को लेकर सबसे ज्यादा विवाद दिल्ली और बैंगलुरु में होते हैं. दिल्ली के 58% वाहन चालक और बैंगलुरु के 44% वाहन चालक रोज़ पार्किंग के लिए बहस करते हैं. भारत में एक वाहन चालक को पार्किंग तलाशने में औसतन 31 से 40 मिनट तक का वक्त भी लग सकता है.
और इसमें भी सबसे ज्यादा बुरा हाल देश की राजधानी दिल्ली का है। दिल्ली में मार्च 2017 तक ही 1 करोड़ से ज्यादा वाहन थे. एक Online Taxi App ने दिल्ली को लेकर एक स्टडी की थी, जिसमें ये पता चला था कि दिल्ली की सड़कों की 14% जगह पर कार पार्किंग ने कब्ज़ा जमाया हुआ है. इस स्टडी के मुताबिक 2021 तक दिल्ली में पार्किंग के लिए जगह मिलनी बहुत मुश्किल होगी. इस स्टडी से ये भी पता चला था कि अगर औसतन दिल्ली वालों को घर से दफ्तर जाने के लिए 40 किलोमीटर की दूरी तय करनी होती है, तो उन्हें 3 घंटे 43 मिनट का समय लगता है.
विशेषज्ञों के मुताबिक अगर अगले 10 वर्षों में कोई कारगर कदम नहीं उठाए गए, तो दिल्ली की सड़कों पर 25 किलोमीटर प्रतिघंटे की औसत रफ़्तार.. 5 किलोमीटर प्रतिघंटा रह जाएगी. जिस दिल्ली में अभी हर साल ट्रैफिक की वजह से 60 हज़ार करोड़ रुपये बर्बाद होते हैं, उसमें 2030 तक 98 हज़ार करोड़ रुपये बर्बाद होंगे.
लेकिन समस्या किसी एक शहर की नहीं है. बल्कि पूरे देश की है. इसलिए आज हम अपनी इस सीरीज़ की शुरुआत उसी शहर से कर रहे हैं, जहां अवैध पार्किंग की वजह से 5 लोगों की जान गई. मुंबई में अवैध पार्किंग कॉलोनियों या Societies की समस्या नहीं है, देश के पॉश इलाकों में भी सड़क के दोनों तरफ अवैध पार्किंग और अतिक्रमण है. ये आपके और आपके परिवार की सुरक्षा से जुड़ी हुई मुहिम. आज आपको इसमें शामिल होना चाहिए.