‘मणिकर्णिका’ में रानी लक्ष्मीबाई की जिंदगी को हूबहू परोसा गया: फिल्म समीक्षक

फिल्म ‘मणिकर्णिका’ बड़े पर्दे पर रिलीज हो चुकी है, फैंस अपनी फेवरेट एक्ट्रेस कंगना रनौत और झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के किरदार को देखने के लिए सिनेमाघरों की ओर रुख कर चुके हैं. गणतंत्र दिवस के मौके पर भारी संख्या में लोग देश भक्ति से भरी हुई इस फिल्म को देखने के लिए अग्रसर हैं. हालांकि आपको बता दें कि फिल्म बिल्कुल रियल लाइफ इंसीडेंट पर बनी हुई है. रील लाइफ के लिए किसी भी तरह की सिनेमैटिक लिबर्टी नहीं ली गई है. ऐसा मानना है फिल्म समीक्षकों का.

‘पद्मावत’ और ‘मणिकर्णिका’ के बीच तुलना
‘पद्मावत’ और ‘मणिकर्णिका’ के बीच तुलना की बात तो की ही नहीं जा सकती, ऐसा हम नहीं फिल्म समीक्षक पन्नू जी का मानना है. पन्नू जी का मानना है कि फिल्म ‘पद्मावत’ पर अब तक सवाल बना हुआ है. ‘पद्मावत’ की कहानी को लेकर कई बातें फिल्म बनने से पहले और बाद में भी की जा चुकी हैं. जायसी के महाकाव्य पर आधारित यह कहानी है या सच्ची घटना है, इस पर सवाल अभी भी बने हुए हैं.

रानी लक्ष्मीबाई का किरदार शत प्रतिशत सत्य
हालांकि झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का किरदार शत प्रतिशत सत्य है. हर एक घटना देश के दस्तावेजों में मौजूद हैं. ऐसे में निर्माता और निर्देशक को काफी सतर्क होकर काम करना पड़ता है, जिसे बखूबी फिल्म ‘मणिकर्णिका’ में निभाया गया है. देश के स्वतंत्रता संग्राम की सेनानी रानी लक्ष्मी बाई की जीवनी की हर बारीकियों को जस का तस पिरोने की कामयाब कोशिश फिल्म ‘मणिकर्णिका’ में की गई है.

नहीं आती नजर सिनेमैटिक लिबर्टी  
जहां फिल्म ‘पद्मावत’ में सिनेमैटिक लिबर्टी लेकर काफी घटनाओं को ऊपर किया गया है, वहीं फिल्म ‘मणिकर्णिका’ में सभी भावनाओं का सम्मान करते हुए किसी भी तरह की सिनेमैटिक लिबर्टी नजर नहीं आती. जहां एक ओर फर्स्ट डे फर्स्ट शो देखने के बाद फैंस ने फिल्म को 100 में से 100 नंबर दिए हैं. वहीं फिल्म समीक्षक पन्नू जी का मानना है कि ‘मणिकर्णिका’ मैं किसी भी तरह की सिनेमैटिक लिबर्टी ली हुई नजर नहीं आती है. ऐसे में गणतंत्र दिवस के इस माहौल में फिल्म ‘मणिकर्णिका’ 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की कहानी देखना तो बनता ही है.

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