ममता का दावा, ‘3 दिन तक धरने पर कभी मंच पर नहीं आए कोलकाता पुलिस कमिश्नर’
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने धरना में कोलकाता पुलिस प्रमुख राजीव कुमार के शामिल होने के केंद्रीय गृह मंत्रालय के आरोप को मंगलवार को ‘सफेद झूठ’ करार दिया. मुख्यमंत्री ने कहा कि कुमार तीन दिन तक चले उनके धरना में कभी भी मंच पर नहीं आए.
केंद्र द्वारा कुमार के खिलाफ अनुशासनहीनता और सेवा नियमों का उल्लंघन करने का मामला शुरू करने का राज्य सरकार को आदेश दिए जाने को ममता ने ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ करार दिया है. ममता ने तीसरे दिन शाम अपना धरना समाप्त करने के बाद संवाददाताओं से कहा, “केंद्र सरकार क्यों इतनी डरी हुई है? क्या राजीव उनका दु: स्वप्न बन गए हैं. क्या चल रहा है मुझे नहीं मालूम. कुमार कभी धरने में शामिल नहीं हुए. यह सफेद झूठ है.’
गौरतलब है कि केंद्रीय गृहमंत्री ने दिन में पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को कुमार के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने को कहा था. केंद्र ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल सरकार से कोलकाता के पुलिस आयुक्त राजीव कुमार के खिलाफ ‘अनुशासनहीनता’ और सेवा नियमों का उल्लंघन करने के लिये अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू करने को कहा.
पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को भेजे गए पत्र में गृह मंत्रालय ने कहा कि उसे मिली सूचना के अनुसार कुमार कुछ पुलिस अधिकारियों के संग पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ कोलकाता में मेट्रो चैनल के पास धरना पर बैठे. यह पहली नजर में अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम, 1968 और अखिल भारतीय सेवा (अनुशासन एवं अपील) नियम, 1969 का उल्लंघन है. पत्र में कहा गया है, “उसको देखते हुए गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल सरकार से अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने और इस बारे में की गई कार्रवाई की उसे जानकारी देने का अनुरोध किया गया है.”
गृह मंत्रालय ने कार्रवाई शुरू करने के लिए कुमार के ‘अनुशासनहीन व्यवहार’ और सेवा नियमों के उल्लंघन का हवाला दिया. गृह मंत्रालय भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों का कैडर नियंत्रण प्राधिकार है. गृह मंत्रालय ने अखिल भारतीय सेवा नियमों, 1968 की नियम संख्या 3 (1), 5 (1) और 7 के प्रावधानों का हवाला दिया, जिसका कथित तौर पर कुमार ने उल्लंघन किया.
पत्र में नियमों का उल्लेख करते हुए मंत्रालय ने कहा कि सेवा के प्रत्येक सदस्य को हमेशा पूरी सत्यनिष्ठा कायम रखनी चाहिए और कर्तव्य के प्रति समर्पित रहना चाहिए और ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहिये जो सेवा के किसी सदस्य को शोभा नहीं देता है. सेवा के किसी भी सदस्य को किसी राजनीतिक दल या राजनीति में हिस्सा लेने वाले किसी संगठन का सदस्य नहीं होना चाहिए या उससे नहीं जुड़ना चाहिए और न ही उसे किसी राजनीतिक आंदोलन या राजनीतिक दल का हिस्सा बनना चाहिये या उसकी सहायता करनी चाहिए.