रॉबर्ट वाड्रा के जवाबों से संतुष्ट नहीं प्रवर्तन निदेशालय, आज फिर हो सकती है पूछताछ
विदेश में कथित तौर पर अवैध संपत्ति रखने के संबंध में मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बहनोई रॉबर्ट वाड्रा से करीब साढ़े पांच घंटे तक पूछताछ की. शहर की एक अदालत ने कुछ दिन पहले ही वाड्रा को जांच एजेंसी के समक्ष पेश होने के लिए कहा था. उनकी वकील सुमन ज्योति खेतान ने कहा कि वाड्रा ने सारे सवालों के जवाब दिए. खेतान ने मीडियाकर्मियों से कहा, “उनके खिलाफ लगे सारे आरोप झूठे हैं. हम जांच एजेंसी के साथ शत प्रतिशत सहयाग करेंगे.”
अधिकारियों ने बताया कि वाड्रा को गुरुवार को फिर बुलाया गया है. मीडियाकर्मियों की भीड़ के बीच से होकर वाड्रा करीब तीन बजकर 47 मिनट पर ईडी के दफ्तर में दाखिल हुए. उनके वकीलों का एक दल पहले ही वहां पहुंच चुका था। पूछताछ के लिए जाने से पहले उन्होंने वहां हाजिरी रजिस्टर में अपने दस्तखत किए. वाड्रा ने अवैध विदेशी संपत्ति से जुड़े आरोपों से इनकार किया है और आरोप लगाया कि राजनीतिक हित साधने के लिये उन्हें ‘‘परेशान’’ किया जा रहा है.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि तीन ईडी अधिकारियों के दल ने वाड्रा से लंदन की कुछ अचल संपत्तियों के लेनदेन, खरीद और कब्जे को लेकर एक दर्जन सवाल पूछे और उनका बयान धन शोधन निरोधक अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दर्ज किया.
समझा जाता है कि वाड्रा से लंदन की एक संपत्ति के सौंदर्यीकरण के संबंध में एजेंसियों द्वारा बरामद की गयी खास ईमेलों के सिलसिले में फरार और विवादास्पद रक्षा डीलर संजय भंडारी और उसके रिश्तेदार सुमित चड्ढा के साथ उनके संबंधों के बारे में भी पूछताछ की गई.
यह मामला लंदन में 12 ब्रायनस्टन स्क्वायर पर 19 लाख पाउंड (जीबीपी) की संपत्ति की खरीद में कथित रूप से धनशोधन के आरोप से संबंधित है। यह संपत्ति कथित तौर पर रॉबर्ट वाड्रा की है. इस जांच एजेंसी ने अदालत से यह भी कहा था कि उसे लंदन की कई नयी संपत्तियों के बारे में सूचना मिली है जो वाड्रा की है। उनमें पचास और चालीस लाख के दो घर तथा छह अन्य फ्लैट एवं अन्य संपत्तियां हैं.
ईडी ने पिछले साल दिसंबर में इस मामले में छापा भी मारा था और वाड्रा से जुड़ी कंपनी स्काईलाईट हॉस्पिटैलिटी एलएलपी के कर्मचारी मनोज अरोड़ा से पूछताछ की थी. जांच एजेंसी ने अदालत से कहा था कि उसने अरोड़ा के खिलाफ पीएमएलए का मामला दर्ज किया था क्योंकि भंडारी के खिलाफ 2015 के कालाधन कानून के तहत आयकर विभाग द्वारा एक अन्य मामले की जांच के दौरान उसकी भूमिका के बारे में जानकारी मिली थी. एजेंसी ने आरोप लगाया था कि लंदन की संपत्ति भंडारी ने 19 लाख पाउंड में खरीदा था और उसके सौंदर्यीकरण पर करीब 65,900 पाउंड का खर्च आने के बावजूद उसे 2010 में उसी कीमत पर बेच दिया.