देश के सिस्‍टम पर चोट करते शहीद की पत्‍नी के बोल

हफ़्ते का पहला दिन है.. और आज सुबह से ही पूरे देश की नज़रें लखनऊ पर टिकी हुई थीं. आज राजनीति की एक ख़बर ने बाकी सभी ख़बरों को ढंक लिया. भारत की राजनीति में मां तो पहले से ही मौजूद हैं यानी सोनिया गांधी. दीदी भी हैं.. यानी ममता बनर्जी, बहन जी भी हैं, यानी मायावती, और आज बेटी यानी प्रियंका गांधी वाड्रा भी आ गईं.

आज लखनऊ में देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी यानी कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के लिए अपनी Re-Branding की है और एक प्रकार से प्रियंका गांधी वाड्रा को 2019 के लोकसभा चुनाव की कमान सौंप दी है. आज लखनऊ से ऐसी तस्वीरें सामने आईं, जिन्हें देखकर ऐसा लगा जैसे प्रियंका गांधी वाड्रा ने आज ही चुनाव जीत लिया हो, और आज ही शपथ भी ले ली हो. ख़बरों से खेलने वाले पत्रकारों के लिए, आज की एकलौती ख़बर.. यही है. हर कोई अपने-अपने तरीके से प्रियंका वाड्रा के राजनीतिक व्यक्तित्व का विश्लेषण कर रहा है. आज ही प्रियंका Twitter पर आ गई हैं. इसलिए लखनऊ से लेकर सोशल मीडिया तक.. चारों तरफ सिर्फ प्रियंका वाड्रा की बातें हो रही हैं.

लेकिन…प्रियंका वाड्रा की ही तरह, देश की एक और बेटी है, जो अपनी बात देश के सामने रखना चाहती है. लेकिन, किसी के पास उसकी व्यथा सुनने का वक्त नहीं है. देश की इस स्वाभिमानी बेटी का नाम है ‘गरिमा अबरोल’…जो भारतीय वायुसेना के शहीद Squadron Leader समीर अबरोल की पत्नी हैं.. जिनकी मौत 1 फरवरी 2019 को एक प्लेन क्रैश में हुई थी. गरिमा अबरोल पिछले 10 दिनों से अपने पति और देश के अन्य Pilots की शहादत पर हमारे सिस्टम से कुछ चुभने वाले प्रश्न पूछ रही हैं?

7 दिन पहले ‘गरिमा अबरोल’ ने Social Media पर एक भावुक Post लिखा था, जिसमें उन्होंने पूछा था, कि हमारे देश का सिस्टम अपने सैनिकों को लड़ने के लिए Outdated Machines क्यों देता है? और अब उन्होंने एक और Post, लिखा है और इस पोस्ट का एक-एक शब्द हमारे देश के सिस्टम पर किसी चाबुक की तरह चोट कर रहा है. गरिमा अबरोल ने कहा है…

सैनिक की नौकरी शोहरत नहीं दिलाती और ना ही आपको सेलिब्रिटी बनाती है. मीडिया भी एक दिन कवर करके अपनी ज़िम्मेदारी पूरी कर लेता है और बाद में भूल जाता है. ठीक उसी तरह जैसे समीर अबरोल और देश के दूसरे Pilots की शहादत को भुला दिया गया. सब भूल जाते हैं, कोई याद नहीं रखता.

पिछले 12 घंटों के घटनाक्रम पर गौर करें, तो एक शहीद की पत्नी द्वारा कही गई ये बातें बिल्कुल सच लगती हैं. क्योंकि, हमारे देश में पिछले 12 घंटों से सिर्फ प्रियंका गांधी वाड्रा की बातें हो रही हैं. लेकिन गरिमा अबरोल की बात कोई नहीं कर रहा. उनकी पीड़ा कोई नहीं समझ रहा. 1 फरवरी 2019 को बैंगलुरु के HAL Airport पर एक दुखद हादसा हुआ था. उस दिन भारतीय वायुसेना का Mirage 2000 Trainer Aircraft, बैंगलुरु में Crash कर गया था, जिसमें Squadron Leader समीर अबरोल और उनके Co-Pilot, Squadron Leader सिद्धार्थ नेगी शहीद हो गए थे. इस घटना के बाद अगले दिन इस ख़बर को Prime Time में जगह मिली. कुछ अखबारों ने इसे अपनी Headline भी बनाया. लेकिन, फिर वही हुआ, जिसका ज़िक्र गरिमा अबरोल ने अपने लेख में किया है. इस दुर्घटना को सब भूल गए, किसी को कुछ याद नहीं है. आगे बढ़ने से पहले आपको गरिमा अबरोल द्वारा लिखी गई बातों को सुनना चाहिए और उनकी पीड़ा को महसूस करना चाहिए. आज आपको इस बात पर मंथन करना होगा, कि हर बार एक सैनिक का परिवार ही क्यों रोता है?

भारत की आज़ादी के नायक राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ की कही एक बात…आज हमें याद आ रही है. वो कहते थे…कि शहीदों की मज़ारों पर लगेंगे हर बरस मेले..वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा.. लेकिन विडंबना देखिए, मौजूदा परिस्थिति में अब ना तो शहीदों की मज़ारों पर हर बरस मेले लगते हैं और ना ही कोई उन्हें और उनके परिवार को याद करता है. शहीद Squadron Leader समीर अबरोल और उनके परिवार के साथ भी यही हो रहा है. इसलिए आज हम कुछ पुरानी तस्वीरों की मदद से आपके अंदर दबी हुई संवेदनाओं को जगाएंगे.

और इसमें हमारी मदद करेंगी, 27 जनवरी 2015 को जम्मू-कश्मीर के त्राल में शहीद हुए, 42 राष्ट्रीय रायफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल मुनींद्र नाथ राय की बेटी। चार वर्ष पहले जब शहीद कर्नल MN राय को आखिरी विदाई दी जा रही थी, तो पूरा देश रो रहा था. उस वक्त उनकी पत्नी अपने शहीद पति के निर्जीव शरीर के पैरों पर गिर गईं थीं और लोहे जैसा दिल रखने वाले उनके साथी सैनिक फूट-फूट कर रो रहे थे. लेकिन उस वक्त सबसे भावुक तस्वीर तब दिखाई दी थी, जब उनकी बेटी अल्का राय ने अपने पिता को Salute करके नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी और गोरखा राइफल्स के War Cry को दोहराकर, अपने पिता की शहादत का सम्मान किया. यहां आपको बता दें कि War Cry का मतलब होता है. युद्धघोष.. सेना की हर रेजीमेंट का अपना अलग युद्धघोष होता है, जिसे जवानों के बीच एकता और मनोबल बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. आज 4 साल पुरानी उन तस्वीरों को याद करने का दिन है.

हो सकता है कि आपमें से बहुत सारे लोग इन तस्वीरों को भूल गये हों. हो सकता है, कि आपको शहीद कर्नल MN राय की शहादत भी याद ना हो और यही एक राष्ट्र के तौर पर भारत की सबसे बड़ी कमी है. कर्नल MN राय के परिवार के लिए उनका बलिदान सर्वोच्च था. और उनकी यादें भी सर्वोच्च हैं और ये तस्वीरें इस बात को साबित करती हैं. जब कोई सैनिक शहीद होता है तो सिर्फ एक व्यक्ति की मौत नहीं होती, बल्कि उसके साथ उसके परिवार की खुशियां भी मर जाती हैं.

वीरगति को प्राप्त होने से पहले कर्नल MN राय ने 11 दिसम्बर 2014 को आखिरी बार अपना WhatsApp Status, Update किया था. जिसमें उन्होंने लिखा था….”ज़िंदगी में बड़ी शिद्दत से निभाओ अपना किरदार…कि परदा गिरने के बाद भी तालियां बजती रहें…”…शहीद कर्नल MN राय की ही तरह, शहीद Squadron Leader समीर अबरोल ने भी मरते दम तक अपना किरदार निभाया, लेकिन अफसोस इस बात का है कि लोगों ने उन्हें भी बहुत जल्दी भुला दिया.

अब दिसम्बर 2015 की वो घटना याद कीजिए. जब एक प्लेन क्रैश में शहीद होने वाले BSF के जवान रविंद्र कुमार की बेटी ने केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से चुभने वाला सवाल पूछा था. वो सवाल इतना मार्मिक था, कि उस वक्त राजनाथ सिंह की आंखें भर आई थीं, लेकिन उनके पास एक शहीद की बेटी के सवालों का कोई जवाब नहीं था. आज सिस्टम की नज़रें झुकाने और ज़ुबान सिल देने वाले उन जायज़ सवालों को याद करने का दिन है.

शहीद कर्नल MN राय हों. BSF के शहीद जवान रविंद्र कुमार हों या फिर शहीद Squadron Leader समीर अबरोल हों. इन तीनों ने देश के लिए सबसे बड़ा बलिदान दिया है. फिर हम और आप इनकी शहादत को भुला कैसे सकते हैं? क्या आपने कभी ये समझने की कोशिश की है, कि ऐसा क्यों है? अगर आप इस सवाल की गहराई में जाएंगे, तो आपको इसके पीछे… वो संवेदनहीन राजनीति नज़र आएगी, जिसने समय-समय पर हमारे देश के सैनिकों का ना सिर्फ अपमान किया है बल्कि उनका हौसला भी तोड़ा है. ये ऐसे लोग हैं, जिन्हें देश के सेना प्रमुख को सड़क का गुंडा कहने से भी परहेज़ नहीं है. ये वो लोग हैं, जो सेना के शौर्य पर सवाल उठाते हैं. सर्जिकल स्ट्राइक को फर्ज़ी बताते हैं और राजनीति के आवेश में सैनिकों के लिए संवेदनहीन बयान देते हैं.

शुक्रवार को कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी ऐसा ही किया. 8 फरवरी को राहुल गांधी ने रफाल के मुद्दे पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. उस दिन वो अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाए और उन्होंने एक ऐसी बात कह दी, जो उन्हें नहीं कहनी चाहिए थी. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राहुल गांधी देश के जवानों और वायुसेना के Pilots को संबोधित कर रहे थे और इसी दौरान उन्होंने कथित तौर पर 30 हज़ार करोड़ रुपये की चोरी की बात कही और देश के सैनिकों से कहा, कि इस पैसे का इस्तेमाल उनकी सुरक्षा के लिए हो सकता था. ये पैसा सैनिकों के परिवार को दिया जा सकता था और ये 30 हज़ार करोड़ रुपए वायुसेना के उन Pilots को मिल सकते थे, जो किसी Plane Crash में मारे जाते हैं.

सोचने वाली बात ये है, कि जब हमारे देश के नेता थोड़े से राजनीतिक माइलेज के लिए सैनिकों के मारे जाने की संभावनाओं का ज़िक्र करने लगें, तो समझ जाइए, इन्हें उनकी कितनी फिक्र है. ऐसे लोगों को आज सेना का अर्थ बताना भी ज़रुरी है. मशहूर ज्ञानकोष Britannica के मुताबिक, सेना हथियारों से लैस एक ऐसी संगठित शक्ति होती है, जिसे युद्ध की स्थिति के लिए तैयार किया जाता है. थल सेना हो, वायुसेना हो या फिर नौसेना. इन तीनों ही अंगों में शामिल होकर देश की रक्षा करने का भाव ही मन में जोश भरने के लिए काफी होता है. ऐसे में आज आपको ये भी पता होना चाहिए, कि कोई भी सामान्य़ व्यक्ति.. सैनिक बनने के लिए क्यों तैयार हो जाता है? इसके लिए हमने SSBCrack नामक Website की मदद ली, जिसमें 5 मुख्य वजहों का ज़िक्र किया गया है. पहली वजह है, सैनिकों को मिलने वाली Uniform…जो अनमोल होती है. और उसकी कीमत नहीं लगाई जा सकती.

दूसरी वजह है, सैनिकों को मिलने वाली इज्ज़त. जो देश के हर नागरिक के दिल में सैनिकों के प्रति होती है. तीसरी वजह है, एक सैनिक को देश की सेवा करने के बाद मिलने वाला गौरव और आत्मसम्मान. चौथी वजह है, एक आम आदमी से सभ्य पुरुष बनना. क्योंकि, सेना में मिलने वाली कठिन ट्रेनिंग और वहां का Lifestyle एक सैनिक को आम नागरिकों से अलग बनाता है.

और पांचवी वजह होती है, देशभक्ति और राष्ट्रवाद का संस्कार जो एक धरोहर की तरह हमेशा सैनिकों के पास रहता है. एक सैनिक उन लोगों के बीच रहता है, जिनकी सोच ये कहती है, कि आज़ादी मुफ्त में नहीं मिलती. ये बात सैनिकों को अलग बनाती है.

इन पांच बातों से आप समझ गए होंगे, कि एक सैनिक बनना ना सिर्फ गर्व की बात है. बल्कि इस सम्मान के लिए हमारे देश के बेटे मृत्यु को भी हंसते-हंसते गले लगा लेते हैं. और हर शहीद सैनिक का परिवार भी देश से यही चाहता है, कि उनकी शहादत का सम्मान हो. एक ऐसे ही शहीद थे, Major अक्षय गिरीश। जिन्होंने नवंबर 2016 में आतंकवादियों से लड़ते हुए अपने प्राणों का आहुति दी थी। उनकी मां…मेघना गिरीश ने कुछ समय पहले अपनी पीड़ा देश को बताई थी। आज उनकी वो बात आपको सुनानी ज़रुरी है। आप उन्हें ध्यान से सुनिए और उनकी पीड़ा को महसूस कीजिए. यहां आपको शहीद मेजर अक्षय गिरीश की 5 साल की बेटी की बातें भी सुननी चाहिए. इस बच्ची की दादी मेघना गिरीश ने अपने Twitter Handle पर 5 साल की नैना का Video, शेयर किया है. जिसमें वो आप सभी को ये बताने की कोशिश कर रही है कि सेना का अर्थ क्या होता है?

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