क्‍या है अक्षय पात्र फाउंडेशन, जहां पीएम मोदी ने परोसी 300 करोड़ वीं थाली

संस्कृत एक बहुत समृद्ध भाषा है और इसी भाषा का एक शब्द है.. अक्षय पात्र. भारत के प्रसिद्ध ग्रंथ महाभारत में अक्षय पात्र का ज़िक्र है. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक अक्षय पात्र एक ऐसा बर्तन है, जिसमें अन्न की आपूर्ति यानी Food Supply कभी खत्म नहीं होती. भारत में अक्षय पात्र फाउंडेशन नाम की एक संस्था भी है जो Mid Day Meal कार्यक्रम के तहत देश में स्कूली बच्चों को खाना Supply करती है. ये संस्था 19 वर्षों से काम कर रही है और आज अक्षय पात्र फाउंडेशन की 300 करोड़वीं थाली… प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद परोसी है. आज जब लखनऊ में प्रियंका गांधी वाड्रा का रोड शो चल रहा था, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बच्चों को खाना परोस रहे थे.

वृंदावन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्कूली बच्चों को अपने हाथों से खाना खिलाया. बच्चों के प्रति प्रधानमंत्री के प्रेम और वात्सल्य की अनोखी तस्वीरों को आज पूरे देश ने देखा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूरे सेवा भाव के साथ बच्चों को अपने हाथों से खाना परोसा. प्रधानमंत्री ने कुछ बच्चों को अपने हाथ से खाना खिलाया. ये तस्वीरें पूरे देश को ये संदेश देती हैं कि बच्चों का अच्छा स्वास्थ्य… देश के अच्छे भविष्य के लिए बहुत ज़रूरी है.

अक्षय पात्र फाउंडेशन की स्थापना वर्ष 2000 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में हुई थी. ये संस्था… देश के 12 राज्यों में 17 लाख 60 हज़ार स्कूली बच्चों को हर रोज़ खाना परोसती है. इस संस्था की तरफ से पहली थाली..अटल बिहारी वाजपेयी की तरफ से परोसी गई थी और आज इस संस्था की 300 करोड़वीं थाली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से परोसी गई.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज इस कार्यक्रम में बच्चों से मिलकर, एक तरह से खुद ही बच्चे बन गए. आज वो इस कार्यक्रम में थोड़ी देर से पहुंचे थे…इसलिए उन्होंने हंसी-मज़ाक करते हुए बच्चों से ये पूछा कि आप सोच रहे होंगे कि ये कैसा प्रधानमंत्री है जो देर से आया, जिसकी वजह से बच्चों को देर से खाना मिला. बच्चों ने भी पूरे उत्साह के साथ प्रधानमंत्री से बात की.

गरीबी भारत की एक बड़ी समस्या है. बहुत से बच्चे इसलिए भी पढ़ाई नहीं कर पाते हैं, क्योंकि उन्हें अपने मां-बाप के साथ रोज़ी रोटी के लिए संघर्ष करना पड़ता है. इसी समस्या के समाधान के लिए भारत सरकार की तरफ से व्यापक स्तर पर Mid Day Meal कार्यक्रम की शुरुआत की गई. लेकिन एक योजना के रूप में Mid Day Meal का इतिहास बहुत पुराना है. वर्ष 1925 में Madras Municipal Corporation ने Mid Day Meal की शुरुआत की थी.

आज़ादी के बाद सबसे पहले वर्ष 1980 में गुजरात, केरल और तमिलनाडु ने भी स्कूली बच्चों के लिए Mid Day Meal योजना शुरू की. 15 अगस्त 1995 को पहली बार इस योजना को पूरे देश में लागू करने का संकल्प लिया गया. वर्ष 1995 तक देश के 2 हजार 400 Blocks में Mid Day Meal की योजना शुरू हो चुकी थी.

वर्ष 2016-17 के आंकड़ों के मुताबिक देश के 25 लाख से भी ज्यादा लोग, Mid Day Meal के तहत Food Supply के काम में लगे हुए हैं. Mid Day Meal के तहत पूरे देश में 10 करोड़ बच्चों को हर रोज़ भोजन मिलता है. अगर इन बच्चों को एक अलग देश का नागरिक मान लिया जाए तो वो दुनिया का 15वां सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश होगा. आप समझ सकते हैं कि ये योजना कितनी बड़ी है.

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