विजय शंकर ने बताया- विराट या रोहित नहीं, इस खिलाड़ी से सबसे अधिक सीखने को मिला
विश्व कप के लिए भारतीय टीम में जगह बनाने के लिए मजबूत दावा पेश करने वाले विजय शंकर (Vijay Shankar) को लगता है कि ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड दौरे की उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) से लक्ष्य का पीछा करने की कला सीखना है. विजय शंकर ने न्यूजीलैंड दौरे पर बल्लेबाजी में अच्छा प्रदर्शन किया. वे धोनी की तरह फिनिशर बनना चाहते हैं. बीसीसीआई के मुख्य चयनकर्ता एमएसके प्रसाद ने हाल ही में कहा कि विजय शंकर, ऋषभ पंत और अजिंक्य रहाणे विश्व कप (World Cup 2019) की टीम में जगह बना सकते हैं. प्रसाद के इस बयान के बाद विजय शंकर से उम्मीदें बढ़ गई हैं.
विजय शंकर ने न्यूजीलैंड से लौटने के बाद कहा, ‘मैं सीनियर खिलाड़ियों का साथ पाकर खुश था. उन्हें केवल मैच की तैयारियां करते हुए देखना ही सीख है. मैंने धोनी को लक्ष्य का पीछा करते देख काफी कुछ सीखा. खासकर, यह सीखा कि लक्ष्य का पीछा करते हुए पारी को कैसे आगे बढ़ाना है. मैंने उनकी मानसिकता से सीख ली.’
विजय शंकर ने कहा कि धोनी, विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे खिलाड़ियों के साथ ड्रेसिंग रूम साझा करना सपना सच होने जैसा था. मितभाषी शंकर ने कहा, ‘विराट कोहली, महेंद्र सिंह धोनी, रोहित शर्मा जैसे खिलाड़ियों के साथ ड्रेसिंग रूम साझा करना बहुत अच्छा अनुभव रहा. टीम के सीनियर को देखना और उनसे सीखना महत्वपूर्ण है.’
विजय शंकर ने न्यूजीलैंड के खिलाफ टी20 मैच में तीसरे नंबर पर उतारे जाने पर हैरानी जताई थी. हालांकि, उन्होंने कहा कि टीम प्रबंधन ने सीरीज शुरू होने से पहले उन्हें इस बारे में बताया था. उन्होंने कहा, ‘मैं हैरान था. साथ ही खुश भी था कि मुझे तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने के लिए कहा गया है. मुझे सीरीज शुरू होने से पहले बताया गया था कि मुझे वनडाउन पर बल्लेबाजी करने के लिए भेजा जा सकता है. टी20 में आपके पास क्रीज पर पांव जमाने के लिए पर्याप्त समय नहीं होता और आपका दृष्टिकोण सकारात्मक होना चाहिए.’
विजय शंकर को निराशा है कि वे तीसरे टी20 में टीम को जीत नहीं दिला पाए. उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि मुझे कुछ और रन बनाने चाहिए थे. इसके अलावा तीसरे वनडे में टीम को जीत नहीं दिला पाने पर मुझे निराशा हुई. मेरे पास मौका था. यह मेरे लिए सीखने का अच्छा अवसर था. मुझे तेजी से सीखने और लगातार अच्छा प्रदर्शन करने की जरूरत है.’