जेटली ने कहा कि देश ने वित्तीय अनुशासन का लाभ देख लिया है

 वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) से सरकार की विभिन्न मांगों का बचाव करते हुए कहा कि देश संस्थानों से अधिक महत्वपूर्ण है। ग्लोबल बिजनेस समिट में उन्होंने यह भी अपील की अगले आम चुनाव में सरकार को स्पष्ट बहुमत मिलनी चाहिए, ताकि अर्थव्यवस्था को स्थिरता मिले और छह महीने में ही सरकार न बदलनी पड़े।

अपने मुद्दे पर चर्चा करने के लिए आरबीआइ को विवश करने को पहले कभी उपयोग नहीं किए गए प्रावधान के उपयोग पर पूछे गए सवाल के जवाब में जेटली ने ऐसे उदाहरण गिनाए जब कांग्रेस शासन काल में आरबीआइ के गवर्नर को इस्तीफा देने के लिए बाध्य किया गया था। उन्होंने यह भी बताया कि उनके पूर्ववर्ती पी चिदंबरम की दो गवर्नरों से बातचीत नहीं होती थी।

उन्होंने इस बात पर एतराज जताया कि अर्थव्यवस्था के हित का मुद्दा उठाना संस्थान के साथ छेड़छाड़ है। उन्होंने कहा कि देश किसी भी संस्थान से बड़ा है, चाहे वह सरकार ही क्यों न हो। हम बाजार को वंचित नहीं रख सकते। हम कर्ज की कमी नहीं होने दे सकते। हम नकदी कम नहीं होने दे सकते। क्योंकि इससे विकास प्रभावित होगा। इससे अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी।

उन्होंने कहा कि देश ने वित्तीय अनुशासन का लाभ देख लिया है। नीति निर्माताओं को ठोस नीति और लोकलुभावन नीति में से चुनाव करना होगा। उन्होंने कहा कि किसी भी हालत में इस समय भारत को राजनीतिक अस्थिरता नहीं चाहिए। देश को इस समय नीतिगत अनिर्णय की स्थिति नहीं चाहिए। हमें अराजकता वाली स्थिति नहीं चाहिए।

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