अंतरराष्ट्रीय किडनी रैकेट का भंडाफोड़, दिल्ली से तीन को पकड़ा गया
पुलिस ने किडनी रैकेट ट्रांसप्लांट कराने वाले एक अंतरराष्ट्रीय रैकेट का भंडाफोड़ कर तीन लोगों को दिल्ली में गिरफ्तार किया है। आरोपितों पर हैदराबाद के 33 वर्षीय व्यक्ति को 20 लाख रुपये का लालच देकर तुर्की में किडनी निकलवाने का आरोप है।पुलिस के अनुसार गिरोह के सरगना अमरीश प्रताप को 28 मार्च को सिंगापुर से लौटते ही दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर दबोच लिया गया था। बाद में उसके दो सहयोगियों संदीप कुमार उर्फ रोहन मलिक और रीतिका सिंह को दिल्ली से ही गिरफ्तार किया गया। तीनों को वहां की अदालत में पेश करने के बाद उन्हें ट्रांजिट रिमांड पर यहां लाया गया है।
पुलिस आयुक्त महेश एम भागवत ने कहा कि आरोपित एजेंट, ब्रोकर और सोशल मीडिया के माध्यम से मोटी रकम का लालच देकर दानकर्ताओं को फंसाते थे। ये लोग ऐसे मरीजों को खोजते थे जो किडनी ट्रांसप्लांट के लिए 50 लाख से एक करोड़ रुपये तक खर्च कर सकते थे। जांच में इस बात का भी पता चला है कि अमरीश प्रताप किडनी ट्रांसप्लांट के लिए दानदाता और मरीजों को श्रीलंका, मिस्त्र और तुर्की भेजता था। आरोप है कि उसने लगभग 40 ट्रांसप्लांट को अंजाम दिया है।
फेसबुक पर पोस्ट देख शिकायतकर्ता ने आरोपित से किया था संपर्क
एक पीडि़त ने इस वर्ष फरवरी में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में कहा गया था कि जुलाई 2018 में उसे रोहन मलिक की एक फेसबुक पोस्ट दिखी, जिसमें तत्काल किडनी जरूरत की बात कही गई थी। पोस्ट देखने के बाद शिकायतकर्ता ने मलिक से संपर्क किया। मलिक ने उन्हें बताया कि अगर वह अपनी किडनी देते हैं तो वह इसके बदले 20 लाख रुपये देगा। साथ ही आने-जाने का खर्चा, रहने की सुविधा सहित मेडिकल खर्च भी उठाएगा। शिकायतकर्ता ने कहा कि उसकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, इसलिए उसने मलिक का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। इसके बाद वह जुलाई 2018 में दिल्ली चला गया। पीडि़त ने आरोपित से मुलाकात की और सभी तरह के मेडिकल परीक्षण कराए। पुलिस ने बताया कि अगस्त 2018 में मलिक ने पीडि़त को ऑपरेशन के लिए तुर्की की यात्रा के बारे में बताया और वहां के इजमिर शहर के एक अस्पताल में किडनी निकलवा ली।
ऑपरेशन के बाद आरोपितों ने नहीं दिए पैसे
शिकायतकर्ता ने कहा कि आपरेशन के बाद आरोपितों ने उसे वादा की गई रकम देने से इन्कार कर दिया। साथ ही धमकी दी कि अगर उसने इस बारे में किसी को कुछ बताया तो उसकी हत्या कर दी जाएगी। चूंकि शिकायतकर्ता के पास विदेश में आरोपितों की बात मानने के अलावा कोई विकल्प नहीं था, इसलिए उसने अपना पासपोर्ट लिया और भारत लौट आया। यहां पर आकर फरवरी में उसने शिकायत दर्ज कराई।
रैकेट में कई डॉक्टर, डाइग्नोस्टिक सेंटर और सरकारी अधिकारी भी
पुलिस जांच में पता चला कि अमरीश प्रताप ने रैकेट में कई डॉक्टरों, डाइग्नोस्टिक सेंटर, सरकारी अधिकारियों, एजेंट और ब्रोकर को शामिल कर रखा है। इसके बाद विशेष पुलिस टीम ने प्रताप की गतिविधियों पर निगरानी के लिए सर्विलांस का सहारा लिया और लुकआउट सर्कुलर नोटिस जारी कर दिया।