अयोध्या मामले में निर्मोही अखाड़ा ने सुप्रीम कोर्ट में नई अर्जी दायर की
निर्मोही अखाड़ा ने अर्जी दायर कर केंद्र सरकार की उस मांग पर आपत्ति जताई है, जिसमें केंद्र ने कोर्ट से 67.7 एकड अधिगृहित जमीन को राम जन्मभूमि न्यास को लौटाने की अनुमति मांगी है.दरअसल, इससे पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर 1993 में अयोध्या में अधिगृहित की गई 67.703 एकड़ जमीन में से 0.313 एकड़ विवादित भूमि छोड़ कर बाकी की जमीन राम जन्मभूमि न्यास व अन्य भू मालिकों को वापस करने की इजाजत मांगी थी.
सरकार ने कोर्ट से मामले में यथास्थिति कायम रखने का 31 मार्च 2003 का आदेश रद करने या बदलने की गुहार लगाई थी ताकि वह अयोध्या भूमि अधिग्रहण को सही ठहराने वाले संविधान पीठ के इस्माइल फारुकी फैसले के मुताबिक अपने दायित्व का निर्वाह कर सके.अर्जी में केंद्र सरकार ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश बदलने की मांग करते हुए दलील दी है कि इससे सरकार अधिगृहित अतिरिक्त जमीन से उतनी भूमि पैमाइश करके अलग कर पाएगी जितनी विवादित जमीन का मुकदमा जीतने वाले पक्ष को अपनी जमीन तक आने जाने के लिए चाहिए होगी. बाकी की अतिरिक्त जमीन सरकार भू मालिकों को वापस कर देगी.
केंद्र सरकार ने यह अर्जी 16 साल पुराने मोहम्मद असलम भूरे मामले में दाखिल की है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने उसी केस में 31 मार्च 2003 को विवादित जमीन के साथ ही पूरी अधिगृहित जमीन पर यथास्थिति कायम रखने के आदेश दिये थे.अर्जी में सरकार ने कहा था कि 1993 में अयोध्या में विवादित स्थल सहित कुल 67.703 एकड़ जमीन का अधिग्रहण हुआ था.अधिग्रहण को 25 साल बीत चुके हैं. जो लोग अधिगृहित जमीन के मूल मालिक हैं और जिनकी जमीन पर कोई विवाद नहीं है, उन्हें अपनी जमीन वापस मिलनी चाहिए. केन्द्र सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इस्माइल फारूकी मामले में संविधान पीठ के फैसले के मुताबिक कार्रवाई करते हुए उनकी जमीन वापस कर दे.