आखिर क्यों नेपाल नापेगा Mount Everest की ऊंचाई, जानें क्या है विवाद

माउंट एवरेस्ट की मौजूदा आधिकारिक ऊंचाई 8,848 मीटर है। यह आंकड़ा भारत ने 1954 में ऊंचाई मापने के बाद दिया था। लेकिन, इसे लेकर हमेशा विवाद रहा। अब इस विवाद को खत्म करने की कोशिश हो रही है।

नेपाल ने भेजी टीम : नेपाल की सरकार ने माउंट एवरेस्ट को मापने के लिए एक टीम रवाना की है। नेपाल पहली बार दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत की ऊंचाई को मापेगा। इस टीम में चार सर्वेकर्ता होंगे, जिन्हें नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली ने अपने आधिकारिक आवास से उनके मिशन पर रवाना किया।

नेपाल के सर्वे विभाग के एक अधिकारी सुशील दांगोल ने बताया कि इस टीम का नेतृत्व सर्वेकर्ता खीम लाल गौतम कर रहे हैं और उनकी मदद के लिए तीन शेरपा पर्वतारोही होंगे। उन्होंने कहा, दो सदस्य चोटी पर चढ़ेंगे जबकि बाकी दो अन्य बेस कैंप में रहेंगे। जो लोग चोटी पर होंगे, वे पर्वत की ऊंचाई और अपनी लोकेशन के बारे में बेस कैंप को जानकारी भेजेंगे।

योजना के मुताबिक इस टीम के सदस्यों को मई के आखिर में चोटी पर पहुंचना चाहिए। इस अभियान की योजना दो साल से बन रही थी। पिछले डेढ़ साल में 81 सदस्यों वाली एक टीम ने एवरेस्ट के इलाके की जमीन की सटीक मैपिंग का काम किया।

ऊंचाई कम होने का संदेह : माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई को लेकर विवाद नेपाल में 2015 के भूकंप के बाद और तेज हो गया, क्योंकि वैज्ञानिकों को संदेह है कि माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई कम हो गई है। दांगोल ने एक समाचार एजेंसी को बताया, एवेस्ट नेपाल में है लेकिन हमने कभी उसे मापा नहीं। हम इसकी ऊंचाई को लेकर चलने वाले विवादों को भी खत्म करना चाहते हैं। इसीलिए हमने एक अंतरराष्ट्रीय मानकों वाला मापन अभियान शुरू किया है। इस अभियान के दौरान मिलने वाले नतीजों को दिसंबर में काठमांडू में होने वाली एक अंतरराष्ट्रीय वर्कशॉप में जारी किया जाएगा।

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