सुप्रीम कोर्ट से बुफैलो मीट निर्यातकों को राहत, गोमांस के शक में रास्ते में नहीं खोले जाएंगे ट्रक

बफैलो मीट (भैंसे का मांस) निर्यातकों के लिए बड़ी राहत की बात है निर्यात के लिए मीट लेकर जा रहे उनके रेफ्रिजरेटेड ट्रक गोमांस के शक में रास्ते में नहीं खोले जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि गोमांस की शिकायत या सूचना पर पुलिस सिर्फ ट्रक को रास्ते में सील कर सकती है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, मीट निर्यात के लिए गंतव्य पोर्ट पर पहुंचने के बाद ट्रक खोल कर उससे एफएसएल जांच के लिए नमूना लिया जाएगा। इतना ही नहीं कोर्ट ने आदेश दिया है कि निर्यात के लिए जा रहा मांस गोमांस तो नहीं है इसकी जांच करके एफएसएल चार दिन में अपनी रिपोर्ट दे देगा। अगर तय समय में रिपोर्ट नहीं आयी तो भी किसी भी स्थिति में ट्रक को दो सप्ताह से ज्यादा पोर्ट पर नहीं रोका जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से निर्यात के लिए उत्तर प्रदेश से बफैलो मीट लेकर गुजरात के रास्ते गुजरात पोर्ट या मुंबई पोर्ट जाने वाले रेफ्रिजरेटेड ट्रक मालिकों को बड़ी राहत मिल गई है, क्योंकि अक्सर उनके ट्रक गोमांस के शक में रास्ते में हाईवे पर रोक लिये जाते थे और उन्हें खोल कर उसमें लदे मीट की जांच होती थी। पुलिस मीट का नमूना लेकर एफएसएल जांच के लिए भेजती थी।

कई बार एफएसएल जांच की रिपोर्ट आने में हफ्ते भर की देरी लग जाती थी। रास्ते में रेफ्रिजरेटेड ट्रक खोले जाने और जांच रिपोर्ट के इंतजार में ट्रक को कई दिनों तक के लिए रास्ते में ही रोक लेने से उसमें लदे मीट के खराब होने की आशंका रहती थी जिससे बड़ा आर्थिक नुकसान होता था। मीट निर्यातकों ने राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव व एमआर शाह की पीठ ने रेफ्रिजरेटेड ट्रक ओनर्स वेलफेयर एसोसिएशन की याचिका का निपटारा करते हुए गत गुरुवार को उपरोक्त आदेश दिया। इस मामले में 12 फरवरी 2009 को कोर्ट ने अंतरिम आदेश दिया था जिसका सभी पक्ष पालन कर रहे हैं। उसे ही फाइनल आदेश में बदल दिया गया। आदेश के मुताबिक अगर जांच में गोमांस पाया गया तो कानून के मुताबिक आगे की कार्रवाई होगी अन्यथा ट्रक की सील खोलकर उसे निर्यात कर दिया जाएगा। रिपोर्ट न आने पर भी ट्रक की सील खोलकर औपचारिकताएं पूरी कर निर्यात की इजाजत दी जाएगी।

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