भारत में हैं सबसे ज्यादा रोगी, 20 साल बाद भी जिंदा रहता है इस बीमारी का बैक्टीरिया
डब्ल्यूएचओ के अनुसार दुनिया के 60 फीसदी कुष्ठ रोगी भारत में मिलते हैं। साथ ही यह प्रति हजार लोगों में एक से ज्यादा लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है।
भारत में 2005 में घोषणा की गई थी कि कुष्ठ पर हमने विजय पा ली है। लेकिन आगे चलकर यह दावा खोखला साबित हुआ। हां, उस दौरान देश में कुष्ठ उन्मूलन को लेकर चले अभियान के तहत संक्रमण को नियंत्रित करने में काफी हद तक सफलता मिली थी, लेकिन यह पर्याप्त नहीं था। भारत में कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉक्टर अनिल कुमार इस विफलता के लिए देश में स्वास्थ्य कर्मियों के द्वारा आधा-अधूरे मन से किए कार्य को भी शामिल करते हैं।
देश के विभिन्न हिस्सों से मिले आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि भारत में कुष्ठ फिर से सिर उठाने लगा है। यह प्रति हजार लोगों में एक से ज्यादा लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। भारत के विभिन्न शहरों के कुष्ठ कॉलोनियों में मरीजों की बढ़ती संख्या बीमारी के प्रकोप को फिर से जिंदा होने का संकेत दे रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, विश्व के 60 फीसद कुष्ठ रोगी भारत में रहते हैं। हर साल यहां नए कुष्ठ रोगियों की संख्या में एक लाख से भी ज्यादा की वृद्धि देखी जा रही है।
क्यों नहीं मिटा कुष्ठ
मायकोबैक्टीरियम लैपरी नामक बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी कुष्ठ में अंग सुन्न हो जाता है और शरीर का प्रभावित हिस्सा खराब होने लगता है। किसी अंग को प्रभावित करने के बाद बैक्टीरिया 20 साल तक जिंदा रह सकता है। पूर्व में भारत में कुष्ठ के खिलाफ चले अभियान में जब प्रभावित लोगों की संख्या में कमी दर्ज की गई, तब सरकार को लगा कि हमने कुष्ठ को नियंत्रित कर लिया है। एक समयावधि के बाद बैक्टीरिया ने फिर से लोगों को चपेट में लेना शुरू कर दिया है। कुष्ठ का नियंत्रण में आने की गलतफहमी के बाद कुष्ठ उन्मूलन अभियान में आवंटित संसाधनों का अन्यत्र उपयोग भी इस रोग को फिर से सिर उठाने का मौका दिया।
क्या है संगठन का लक्ष्य
डब्ल्यूएचओ के निर्देशानुसार नए लक्ष्य के तौर पर 2020 चुना गया है। इस लक्ष्य के तहत अगले साल तक कुष्ठ ग्रसित अंगों में होने वाले बदलाव पर नियंत्रण पहला लक्ष्य है। साथ ही खास तौर से बच्चों में कुष्ठ रोग के मामले को पूरी तरह से खत्म करना भी हमारी प्राथमिकता होगी।
कुष्ठ रोग के लक्षण क्या है?
कुष्ठ रोग के मुख्य लक्षणों में शामिल हैं:
- त्वचा में घाव
- मांसपेशी में कमज़ोरी
- हाथ, बांह, पैर और टांगों में सुन्नता
कुष्ठ रोग के कारण और संचरण?
माइकोबैक्टीरियम जीवाणु कुष्ठ रोग का कारण बनता है। यह सोचा गया कि कुष्ठ रोग संक्रमण वाले व्यक्ति के श्लेष्म स्राव के संपर्क से फैलता है। हालांकि, यह आमतौर पर तब होता है जब कुष्ठ रोग से पीड़ित व्यक्ति छींकता है या खांसता है। यह बीमारी अत्यधिक संक्रामक नहीं है। हालांकि, लंबे समय तक एक अनुपचारित व्यक्ति के साथ घनिष्ठता और बार-बार संपर्क के कारण कुष्ठ रोग हो सकता है।
कुष्ठ रोग का इलाज कैसे किया जाता है?
डब्ल्यूएचओ ने सभी प्रकार के कुष्ठ रोग को ठीक करने के लिए 1995 में एक मल्टीड्रग थेरेपी विकसित की। यह दुनिया भर में मुफ्त उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त, कई एंटीबायोटिक दवाओं के कारण होने वाले जीवाणुओं को मारकर कुष्ठ रोग का इलाज करते हैं। इन एंटीबायोटिक्स में शामिल हैं:
- डैपसोन
- रिफैम्पिन
- क्लोफ़ाज़िमाइन
- मिनोसाइक्लिन
- ओफ़्लॉक्सासिन
आपका डॉक्टर संभवतः एक ही समय में एक से अधिक एंटीबायोटिक लिख सकता है। वे आपको एस्पिरिन, प्रेडनिसोन, या थैलिडोमाइड जैसी एक एंटी-इंफ्लामेट्री भी लेने की सलाह दे सकते हैं।