Chanakya Neeti : शत्रु और मित्र को लेकर चाणक्य ने बताई हैं ये पांच बड़ी बातें
प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में कभी न कभी मित्र या शत्रु जरूर बनते हैं। ये दोनों ही स्थितियां इंसान के जीवन को प्रभावित करने वाली हैं। मसलन, सही मित्र जहां आपकी प्रगति और ताकत का कारण बनता है तो वहीं शत्रु आपको नुकसान पहुंचाने वाला और प्रगति में बाधक बनता है। नीति के सबसे बड़े जानकार आचार्य चाणक्य ने शत्रु और मित्र को लेकर कई बड़ी बातें बताई हैं। 1.कामयाब होने के लिए मित्रों की जरूरत होती है, लेकिन ज्यादा कामयाब होने के लिए शत्रुओं की जरूरत होती है। 2.
शत्रु की दुर्बलता जानने तक उसे अपना मित्र बनाएं रखें। 3.
दुष्ट की मित्रता से शत्रु की मित्रता अच्छी होती है। 4.
चाणक्य के अनुसार दुराचारी, कुदृष्टि रखने वाले और बुरे स्थान पर रहने वाले व्यक्ति से भूलकर भी मित्रता नहीं करनी चाहिए। 5. आचार्य चाणक्य ने शत्रु और मित्र की पहचान करने लिए बताया है कि जिस तरह चंदन का वृक्ष दुनिया में अपनी भीनी सुगंध और शीतलता के लिए जाना जाता है, लेकिन उसी चंदन के वृक्ष पर संसार के सबसे विषैले सर्प भी निवास करते हैं। उसी तरह बाहर से बहुत मीठा बोलने वाला व्यक्ति आपके लिए मित्र साबित हो जरूरी नहीं है, वह आपके लिए शत्रुता का भाव भी रख सकता है।