किम जोंग बोले – US ने हमारे साथ किया विश्‍वासघात, व्‍लादिवोस्‍तोक शिखर वार्ता में हनोई छाया

किम जोंग ने अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप से हनोई में हुई मुलाकात का जिक्र करते हुए कहा कि यह बेहद गंदा अनुभव रहा है।

व्‍लादिवोस्‍तोक में रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन और उत्‍तर कोरियाई नेता किम जोंग उन के बीच वार्ता बेहद सौहर्दपूर्ण एवं मैत्रीपूर्ण वातावरण में हुई। कोरियाई सेंट्रल न्‍यूज एजेंसी के हवाले से कहा गया है कि इस मौके पर किम ने रूसी राष्‍ट्रपति को उत्‍तर कोरिया आने का न्‍यौता दिया। इस निमंत्रण को पुतिन ने स्‍वीकार कर लिया।
किम जोंग ने अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप से हनोई में हुई मुलाकात का जिक्र करते हुए कहा कि यह बेहद गंदा अनुभव रहा है। उन्‍होंने कहा कि अमेरिका ने उत्‍तर कोरिया के साथ एक तरह से विश्‍वासघात किया। किम ने कहा इसका सीधा असर प्रायद्वीप की स्थितियाें पर पड़ा है।

उन्‍होंने कहा कि इस प्रायद्वीप में स्थितियां पहले जैसी हो गई है। एजेंसी के हवाले से कहा गया है कि हनोई में अमेरिका ने एकतरफा रवैया अपनाया। एजेंसी ने चेतावनी दी है कि हनोई शिखर वार्ता विफल रहने के बाद कोरियाई प्रायद्वीप की स्थितियां अपने मूल रूप में लौट सकती है। यहां एक बार फ‍िर परमाणु कार्यक्रम की होड़ हो सकती है। 
इसके पूर्व गुरुवार की सुबह रूस के व्‍लादिवोस्‍तोक शहर में पुतिन और उत्‍तर कोरियाई नेता किम जोंग के बीच मुलाकात हुई। गुरुवार की सुबह रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन उत्‍तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन के साथ पहली शिखर वार्ता के लिए गुरुवार को व्‍लादिवोस्‍तोक पहुंचे थे। किम जोंग पहले ही कड़ी सुरक्षा के बीच ब्‍लादिवोस्‍तोक पहुंच गए थे। उनकी बख्‍तरबंद ट्रेन बुधवार को यहां पहुंची। दोनों नेता आज शहर के सुदूर एक द्वीप पर शिखर वार्ता की। इस बैठक में उत्‍तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम के साथ क्षेत्रीय सामरिक सुरक्षा और अमेरिकी प्रतिबंधों पर चर्चा हुई।  

दोनों नेताओं की यह बैठक अहम मानी जा रही थी। अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप और किम की वियतनाम शिखर वार्ता विफल रहने और अमेरिकी प्रतिबंधों के बीच दोनों नेताओं की यह बैठक हुई। हालांकि, उत्‍तर कोरिया और रूस के दोस्‍ताना और सहयोगी रिश्‍ते रहे हैं। ऐसे में उत्‍तर कोरिया एक उम्‍मीद के साथ इस बैठक में शामिल हुआ।  

किम जोंग उन चीन के बाद रूस से अपने पुराने रिश्‍तों को दोबारा तरोताजा बनाने के लिए रूस पहुंचे थे। अमेरिका समेत पूरी दुनिया की निगाहें 25 अप्रैल को रूस के शहर व्लादिवोस्तोक पर टिकी थी। इन देशों की यह दिलचस्‍प थी कि अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद रूस किस तरह से अपने उत्‍तर कोरियाई दोस्‍त की मदद करता है। हालांकि, रूस पिछले कई सालों से उत्तरी कोरिया पर अपना परमाणु कार्यक्रम रोकने के लिए दबाव बनाता रहा है। रूस 2009 में इसके लिए हुई छह देशों अमेरिका, जापान, चीन, उत्तरी कोरिया और दक्षिण कोरिया की हुई बैठक में शामिल था।

गौरतलब है कि दोनों देशों के राष्‍ट्राध्‍यक्षों की यह मुलाकात आठ वर्ष बाद हुई है। इससे पहले किम जोंग द्वितीय की रूसी प्रमुख दिमित्री मेदवेदेव से मुलाकात हुई थी। किम जोंग उन ने चीन की अपनी पहली यात्रा भी अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप से सिंगापुर में होने वाली मुलाकात से ठीक पहले की थी। इसके अलावा हनोई यात्रा से पहले भी उन्‍होंने चीन के राष्‍ट्रपति शी चिनफिन से मुलाकात की थी।

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