पुलवामा इफेक्ट: पाकिस्तानियों पर ‘अमेरिकी स्ट्राइक’,पाक नागरिकों के वीजा पर लग सकता है प्रतिबंध
अमेरिका और पाकिस्तान के बीच संबंध और कटु हो गए हैं। शुक्रवार को नागरिक निर्वासन और वीजा वापसी के मामले में दोनों देशों के बीच रिश्ते तल्ख हो गए हैं। अमेरिका में अपने नागरिक निर्वासन और वीजा वापस लेने से इनकार करने पर अमेरिका इस्लामाबाद पर प्रतिबंध लगा सकता है। यह कयास लगाए जा रहे हैं कि अमेरिका पाकिस्तान को वीजा देने से इंकार कर सकता है। बता दें कि पुलवामा आतंकी हमले के बाद से ही पाकिस्तान के प्रति अमेरिकी रुख काफी सख्त हो गया है। अमेरिका ने पाकिस्तान से जबरदस्त दबाव बनाया हुआ है। इस घटना को इसी क्रम में जोड़कर देखा जा रहा है।
बता दें कि पाकिस्तान दुनिया के उन 10 राष्ट्रों की सूची में शामिल है, जिन पर अमेरिकी कानूनों के तहत प्रतिबंध लगाया गया है। इस कानून के अनुसार इन प्रतिबंधित राष्ट्रों के नागरिकों को वीजा से अधिक रहने या वीजा वापस लेने से इंकार करने पर अमेरिकी वीजा से वंचित किया जाएगा। पाकिस्तान और धाना को ट्रंप प्रशासन ने इस वर्ष इस सूची में शामिल किया है। इसके पूर्व वर्ष 2001 में गुयाना, 2016 में गाम्बिया, कंबोडिया, इरिट्रिया, गिनी और 2017 में बर्मा और लाओस शामिल हैं।
बता दें कि अमेरिका ने वर्ष 2018 में 38 हजार पाकिस्तानी नागरिकों को वीजा देने से इंकार किया था। पुलवामा आतंकी हमले के बाद से ही अमेरिका ने वीजा कार्ड खेलकर पाकिस्तान पर दबाव बनाया है। इसी का नतीजा रहा कि पाकिस्तान को मजबूर कुछ संगठनों पर प्रतिबंध लगाना पड़ा है। अब तक पाकिस्तान इन आतंकी संगठनों को फलने-फूने का पूरा मौका दे रहा था। गौरतलब है कि अमेरिका ने पहले ही पाकिस्तान को दी जाने वाली सैन्य मदद पर रोक लगा रखी है।
गत माह पाकिस्तान की जियो टीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक काम और मिशनरी के लिए दिए जाने वाले वीजा को पांच साल से घटाकर एक साल कर दिया गया था। पत्रकारों के लिए वीजा की सीमा पांच साल से घटाकर तीन महीने कर दिया गया था। पाकिस्तान के वाणिज्य दूतावास की अधिसूचना के मुताबिक व्यापार, पर्यटन और छात्रों के लिए वीजा पांच साल की अवधि के लिए वैध रहेंगे। राजनयिक सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि वाशिंगटन में पाकिस्तानी दूतावास के नियमों में भी संशोधित किया गया है। सरकारी अधिकारियों को उनके काम के प्रकृति के आधार पर वीजा जारी किया जाएगा। इससे पहले वीजा आवेदन शुल्क 160 डॉलर था, जिसे जनवरी से 192 डॉलर कर दिया गया।