मायावती की कांग्रेस को धमकी, MP में समर्थन देने पर होगा पुनर्विचार

Loksabha Election 2019 के लिए कांग्रेस को यूपी के गठबंधन (सपा+बसपा+रालोद) से बाहर कर मायावती पहले ही झटका दे चुकी थीं। बसपा सुप्रीमो अब कांग्रेस को मध्य प्रदेश में एक और बड़ा झटका देने जा रही हैं। मायावती ने मंगलवार को ट्वीट कर कांग्रेस को सार्वजनिक तौर पर धमकी भी दे दी है। आइये जानते हैं, आखिर क्यों मायावती कांग्रेस से इतना ज्यादा खफा हैं।

बसपा मुखिया दो दिन से उत्तर प्रदेश से बाहर थीं। मंगलवार को ही वह लखनऊ वापस लौटी हैं। वापस लौटते ही उन्होंने कांग्रेस और भाजपा पर हमला बोला है। मायावती ने ट्वीट कर दोनों राजनीतिक पार्टियों पर सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है।

मायावती ने कहा है कि यह दोनों दल (कांग्रेस व भाजपा) किसी भी मायने में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करने में एक-दूसरे से पीछे नहीं हैं। दोनों ने केंद्र में सरकार बनाकर अपना उल्लू सीधा किया है। मायावती ने कहा सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग के मामले में कांग्रेस भी भाजपा से कम नहीं।

बसपा सुप्रीमो ने अपने दूसरे ट्वीट में कहा है, ‘साथ ही, यूपी में कांग्रेसी नेताओं का यह प्रचार कि बीजेपी भले ही जीत जाए किन्तु बसपा-सपा गठबंधन को नहीं जीतना चाहिए, यह कांग्रेस पार्टी के जातिवादी, संकीर्ण व दोगले चरित्र को दर्शाता है। अतः लोगों का यह मानना सही है कि बीजेपी को केवल हमारा गठबंधन ही हरा सकता है। लोग सावधान रहें।’

मायावती ने ट्वीट में बताई नाराजगी की वजह

मायावती ने अपनी नाराजगी की वजह भी अपने ट्वीट में स्पष्ट कर दी है। मायावती ने अपने पहले ट्वीट में कहा है, ‘एमपी के गुना लोकसभा सीट पर बीएसपी उम्मीदवार को कांग्रेस ने डरा-धमकाकर जबर्दस्ती बैठा दिया है किन्तु बीएसपी अपने सिम्बल पर ही लड़कर इसका जवाब देगी व अब कांग्रेस सरकार को समर्थन जारी रखने पर भी पुनर्विचार करेगी।’ दरअसल एमपी की गुना लोकसभा सीट पर कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया, पांचवीं बार चुनाव लड़ रहे हैं। मायावती ने ज्योतिरादित्य को टक्कर देने के लिए गुना से लोकेंद्र सिंह राजपूत को उतारा था। कांग्रेस ने उन्हें पार्टी में शामिल कर मायावती को जोर का झटका दिया है। लोकेंद्र के पाला बदलते ही अनुमान लगाया जाने लगा था कि जल्द ही इस पर मायावती की करारी प्रतिक्रिया देखने को मिल सकती है। मालूम हो कि एमपी की गुना सीट पर छठे चरण में (12 मई) मतदान होना है। ये सीट सिंधिया परिवार का गढ़ मानी जाती है। ज्योतिरादित्य सिंधिया का मुकाबला यहां भाजपा उम्मीदवार केपी यादव से है, जो कभी उनके ही करीबी हुआ करते थे।

संकट में पड़ सकती है एमपी सरकार

मध्य प्रदेश विधानसभा के 230 सदस्यों में से कांग्रेस के 114 और भाजपा के 109 विधायक हैं। इसके अलावा विधानसभा में कांग्रेस को बसपा के दो, सपा के एक और चार निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल है। इन्हीं के समर्थन से कांग्रेस मध्य प्रदेश में सरकार बनाने में कामयाब रही है। ऐसे में अगर बसपा मध्य प्रदेश सरकार से समर्थन वापस लेती है तो बहुत संभावना है कि गठबंधन धर्म का पालन करते हुए सपा भी समर्थन वापस ले ले, जिसका मायावती पूरा प्रयास भी करेंगी। ऐसे में मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार खतरे में पड़ सकती है। बसपा, पहले ही राज्य की कांग्रेस सरकार से संतुष्ट नहीं है।

लोकसभा में भी लग सकता है झटका

अगर मायावती ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार से समर्थन वापस लिया तो, लोकसभा चुनाव में भी उसके भाजपा मुक्त अभियान को तगड़ा झटका लग सकता है। दरअसल, कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियां फिलहाल किसी भी तरह से केंद्र से एनडीए सरकार को हटाने की जुगत में लगी हुई हैं। ऐसे में कहीं न कहीं कांग्रेस को उम्मीद है कि जरूरत पड़ने पर लोकसभा चुनाव बाद बसपा या सपा सहित अन्य पार्टियां एनडीए सरकार के खिलाफ समर्थन दे सकती हैं। हालांकि, बसपा ने मध्य प्रदेश सरकार से समर्थन वापस ले लिया तो कांग्रेस के मंसूबों पर पानी फिर सकता है।

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