बेहद खास है ये खबर, 40 करोड़ से अधिक ब्लड प्रेशर और डायबिटीज के मरीजों के लिए
क्या आपको पता है कि अनेक बीमारियां जीवाणुओं और वायरस आदि से नहीं फैलतीं। फिर भी लोग बीमार पड़ते हैं। इसका कारण है अस्वास्थ्यकर जीवन-शैली, जो कालांतर में डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और अन्य समस्याओं को उत्पन्न करती है। स्वस्थ जीवनशैली के अंतर्गत समुचित खानपान, व्यायाम, पर्याप्त रूप से नींद लेना और सकारात्मक सोच आदि बातों को शामिल किया जाता है।
गौरतलब है कि मौसम के अनुसार भी जीवनशैली में बदलाव करना पड़ता है। बदलते मौसम के मिजाज के मुताबिक अगर लोग अपनी जीवन-शैली में बदलाव करें, तो वे स्वस्थ व सुखी जीवन व्यतीत कर सकते है।
2017 में भारत सरकार द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार देश के 100 जिलों में तकरीबन 22. 5 मिलियन मरीज ब्लड प्रेशर की बीमारी से पीड़ित है इसके मुताबिक देश का हर 8वां व्यक्ति शिकार है। भारत की जनसंख्या का करीब 8.6 फीसद हिस्सा ब्लड प्रेशर से पीड़ित है जिसमें 10.4 फीसद पुरुष और 6.7 फीसद महिलाएं हैं। इंटरनेशनल डायबिटीज फाउंडेशन की रिपोर्ट के मुताबिक डायबिटीज के भारत में ही 62 मिलियन मरीज हैं। इतना ही नहीं हर वर्ष 10 लाख मरीजों की मौत इस बीमारी की वजह से हो जाती है।
डायबिटीज वाले ध्यान दें
डायबिटीज के साथ जिंदगी जी रहे लोगों को गर्मियों में विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। गर्मियों में शरीर में पानी की कमी (डिहाइडे्रशन) होने से रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है, जो डायबिटीज वालों के लिए समस्या पैदा कर देती है। इसलिए डायबिटीज वालों को कम-से-कम तीन लीटर पानी पीना चाहिए। ग्लूकोमीटर द्वारा नियमित रूप से रक्त में ग्लूकोज की मात्रा की जांच करें। डॉक्टर के परामर्श के अनुसार दवाओं में बदलाव करना चाहिए।
आमतौर पर ऐसा देखा गया है कि डायबिटीज से ग्रस्त व्यक्ति ब्लड शुगर को नियंत्रित नहीं कर पाते। इस कारण उनके रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है इसका मुख्य कारण है इस मौसम में शर्बत, लस्सी व शीतल पेय का सेवन अधिक होता है। आइसक्रीम, कुल्फी से ब्लड शुगर नियंत्रण में नहीं रहती। डायबिटीज वालों को फलों में जामुन, सेब, संतुलित मात्रा में तरबूज व खरबूज का सेवन करना चाहिए।
हाई ब्लड प्रेशर रहेगा काबू में
गर्मियों के मौसम में आमतौर पर ब्लड प्रेशर सर्दियों की तुलना में 10 मि.मी. कम हो जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि सर्दियों में रक्तवाहिनी (ब्लड वेसेल्स) ठंड के कारण सिकुड़ जाती है और गर्मियों में जब तापमान में वृद्धि होती है तो रक्तवाहिनियां फैल जाती हैं और धमनियों पर रक्त का दबाव कम होता है। हाई ब्लड प्रेशर के मरीज डॉक्टर से परामर्श कर अपनी दवा की डोज को कम कर सकते हैं।
इसी प्रकार जो व्यक्ति हाई ब्लड प्रेशर के इलाज के लिए डाईयूरिक दवाएं (जिनसे पेशाब ज्यादा होती है) लेते हैं, उन्हें इन दवाओं की मात्रा कम कर देनी चाहिए। ऐसा देखा गया है कि जो लोग इन दवाओं का सेवन करते हैं, उनमें गर्मी में पसीना आने के कारण शरीर में पानी की कमी (डिहाइडे्रशन) तथा आवश्यक लवण- सोडियम की कमी हो जाती है। इसके परिणामस्वरूप सुस्ती, उदासी, कमजोरी महसूस होती है। ऐसी दवाओं को डॉक्टर के परामर्श से बंद कर देना चाहिए।
जांच करवाएं
यदि गर्मियों में उल्टी या दस्त हो जाए तो ब्लड प्रेशर की जांच करवा लें और डॉक्टर को यह जरूर बताएं कि किन दवाओं का सेवन नियमित रूप से कितने समय से कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में डॉक्टर के परामर्श से दवा लेने से ब्लड प्रेशर कम हो जाता है। इसलिए इलाज करने वाले डॉक्टर के समक्ष रोगी को अपनी दवाओं का पूर्ण विवरण देना जरूरी है।
शारीरिक श्रम
गर्मियों में आमतौर पर सुबह 30 मिनट तक टहलना ही बेहतर है। आवश्यकता पडे़ तो पानी की बोतल साथ लेकर निकलें। सिर ढकने के लिए छाते का इस्तेमाल करें। अधिक शारीरिक श्रम या व्यायाम करने से पसीना ज्यादा निकलता है, जिससे शरीर में पानी की कमी यानी डिहाइडे्रशन का खतरा बढ़ जाता है।
रखें ख्याल
वृद्ध लोगों को विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है। लगभग 70 फीसदी से अधिक वृद्ध हाई ब्लड प्रेशर से ग्रस्त हैं। इसलिए आपको प्रात:काल ही टहलना चाहिए। ग्लूकोमीटर से ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर की नियमित जांच करनी या करानी चाहिए। अपने डॉक्टर से परामर्श कर दवाओं की मात्रा को सुनिश्चित करना चाहिए। हरी सब्जी व दो फलों का सेवन करना चाहिए। दोपहर बाहर न निकलें।