सैम पित्रोदा बने कांग्रेस का सेल्फगोल चेहरा, 2014 में मणिशंकर के बाद 2019 में
लोकसभा चुनाव 2019 की लड़ाई के केंद्र में अब एक बार फिर 84 दंगों का मामला आ गया है. इस मामले को लेकर बीजेपी पहले ही हमलावर है तो वहीं कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा के 84 दंगों पर एक बयान ने आग में घी डालने का काम किया है. BJP इस बयान को वैसे ही उछाल रही है जैसे उसने 2014 में मणिशंकर अय्यर के बयान को उछाला था. दिल्ली और पंजाब में मतदान है यही वजह है कि बीजेपी इस मुद्दे पर फ्रंटफुट पर खेल रही है वहीं उसकी कोशिश कांग्रेस को बैकफुट पर लाने की है.
…तो पनौती साबित होगा पित्रोदा का बयान?
2014 के चुनाव में जब मणिशंकर अय्यर ने नरेंद्र मोदी को चायवाला कहा, तो बीजेपी ने उसे ही चुनावी मुद्दा बना दिया. इस बार चौकीदार चोर है का नारा उछला तो मोदी खुद चौकीदार बन बैठे, लेकिन चुनाव के अंत में जब सैम पित्रोदा ने 1984 दंगे पर टिप्पणी करते हुए कह दिया… 84 हुआ तो हुआ.., इस पर बीजेपी बिफर गई और कांग्रेस के खिलाफ हल्ला बोल दिया.
दरअसल, सैम पित्रोदा ने कहा था, ‘आप (BJP) तो लगातार झूठ बोलते ही रहते हैं, पहले हमारे पर झूठ बोला कल आप पर बोला. 1984 का मुद्दा क्या है, आप बात तो करिए. आपने पांच साल में क्या किया, ’84 में हुआ तो हुआ…आपने क्या किया.’
सैम पित्रोदा के बयान को लेकर बीजेपी दिल्ली और पंजाब में प्रदर्शन कर रही है. दिल्ली में चुनाव प्रचार के लिए भले ही आज आखिरी दिन हो, लेकिन बीजेपी ने इस मुद्दे पर आक्रमकता की अभी शुरुआत भर की है. क्योंकि बीजेपी की तरफ से दिल्ली में जिस तरह से इसे उछाला गया है, उसी तरह से पंजाब में आगे बढ़ने की तैयारी है.
बैकफुट पर क्यों है कांग्रेस?
भारतीय जनता पार्टी जितना 1984 के दंगों पर आक्रामक हो रही है कांग्रेस के लिए मुश्किलें उतनी ही बढ़ती जा रही हैं. क्योंकि जब भी इस मुद्दे की बात हुई है तो कांग्रेस बैकफुट पर दिखी है. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली की सड़कों और देश के अन्य राज्यों में सिखों के साथ जो हुआ, उसमें कई कांग्रेस नेताओं का नाम सामने आया था.
जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार तो अभी तक इस मसले पर अदालत के घेरे में हैं, तो वहीं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कांग्रेस को घेरते रहे हैं.
…राजीव गांधी ही क्यों?
राजनीतिक हल्कों में चर्चा इस बात की भी है कि नरेंद्र मोदी ने राजीव गांधी पर ही क्यों निशाना साधा. दरअसल, बीजेपी दिल्ली और पंजाब में सिख-पंजाबी समुदाय को टारगेट करने की रणनीति से इस बात पर आगे बढ़ रही है. जिसमें पहले राजीव गांधी को भ्रष्टाचारी बताया गया और फिर सिख दंगों को उछाला गया. बता दें कि इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी का एक बयान काफी आलोचना का विषय बना था.
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुई हिंसा को लेकर राजीव गांधी ने कहा था कि जब भी कोई बड़ा पेड़ गिरता है, तो धरती थोड़ा बहुत हिलती है. जिसके बाद वह विपक्ष के निशाने पर लंबे समय तक रहे. नरेंद्र मोदी राजीव गांधी के इसी बयान को अपने हक में भुनाना चाहते हैं.
पित्रोदा के बयान पर क्या बोल रहे नेता?
जब से सैम पित्रोदा का बयान सामने आया है, तभी से बीजेपी हमलावर है. पहले बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने ट्वीट कर उनसे जवाब मांगा तो बाद में केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने अपने ही अंदाज में उन्हें घेरा. नकवी ने कहा कि सैम पित्रोदा राहुल गांधी के गुरु नहीं बल्कि कांग्रेस के गुरु घंटाल हैं. उन्होंने कहा है कि कांग्रेस पार्टी में पैदल बुद्धिजीवियों की एक जमात है जो इस तरह के बयान देती रहती है.
बीजेपी इस पर हमलावर है तो वहीं सैम पित्रोदा ने अपने बयान पर सफाई दी है और कहा है कि बीजेपी ने उनके बयान में से कुछ शब्द चुन लिए हैं और उन्हें ही घुमा फिराकर बात कर रही है.
… और क्या बोल चुके हैं पित्रोदा?
बता दें कि इससे पहले भी सैम पित्रोदा के कई बयान कांग्रेस के लिए मुश्किल बन चुके हैं. हाल ही में बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद जब उन्होंने कहा था कि एक हमले की वजह से पूरे पाकिस्तान को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है. तब बीजेपी ने काफी विवाद किया था. सैम पित्रोदा ने ये भी कहा था कि एयरस्ट्राइक का फैसला सही नहीं था. हालांकि, बाद में कांग्रेस ने सैम पित्रोदा के इस बयान से कन्नी काट ली थी.