पंजाब के चार बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं प्रकाश सिंह बादल, बेटा पार्टी अध्यक्ष तो बहू है केंद्रीय मंत्री

लोकसभा चुनाव 2019 में छह चरण के चुनाव के बाद अब सातवें और आखिरी चरण में सबकी नजर पंजाब पर है. आखिरी चरण में पंजाब की सभी 13 सीटों पर वोटिंग होगी. यह 13 सीट किसी भी पार्टी के लिए काफी महत्वपूर्ण है.

जब साल 2014 में केंद्र में बीजेपी नीत एनडीए की सरकार बनी थी तो राज्य में शिरोमणी अकाली दल-बीजेपी गठबंधन की सरकार थी. लेकिन अब साल 2019 के चुनाव में कांग्रेस की सरकार है. ऐसे में पिछले बार की तुलना में इस बार राज्य में चुनावी समीकरण पूरी तरह से बदल गया है.

चार बार पंजाब के मुख्‍यमंत्री बने प्रकाश सिंह बादल

शिरोमणि अकाली दल पंजाब की सियासत में सबसे पुरानी पार्टियों में है. इस वक्त इस पार्टी का नेतृत्व सुखबीर सिंह बादल कर रहे हैं. बादल परिवार का पंजाब की सियासत में खासा दखल रहा है. ऐसे में इस चुनाव में भी पांजाब की 13 सीटों पर इस परिवार और पार्टी के उम्मीदवार काफी महत्व रखते हैं.

एक तरफ अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल फिरोजपुर से चुनाव लड़ रहे हैं तो वहीं उनकी पत्नी हरसिमरत कौर बादल बठिंडा से चुनाव लड़ रही हैं. आइए जानते हैं अकाली परिवार के बारे में सबकुछ…

1947 से भारतीय राजनीति में सक्रिय, देश के सबसे उम्रदराज नेताओं में एक प्रकाश सिंह बादल अकेले नेता हैं, जो चार बार पंजाब के मुख्‍यमंत्री बने. इन्‍हें पंजाब की राजनीति में बेहद सम्माननीय वरिष्ठ व्यक्ति का दर्जा दिया जाता है.

उनका जन्म 8 दिसंबर 1927 में हुआ. उनका जन्म अबुल खुराना गांव (अब पाकिस्तान) के जाट सिख परिवार में हुआ. लाहौर के क्रिश्चियन कॉलेज में उन्होंने शिक्षा पाई. प्रकाश सिंह बादल की पत्नी सुरिंदर कौर का देहांत हो चुका है.

प्रकाश सिंह बादल की एक बेटी और एक बेटा है, जिनका नाम सुखबीर सिंह बादल है और वह वर्तमान में पार्टी के अध्यक्ष हैं. राजनीतिक जीवन के बारे में बात करें तो प्रकाश सिंह बादल की बेटी का विवाह पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरों के बेटे से संपन्न हुआ है और यहीं से बादल का राजनीतिक जीवन आरंभ हुआ. 1961 में प्रकाश सिंह बादल को मंत्रिमंडल में सम्मिलित किया गया. 1957 और 1969 में वे कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए थे. वह 1970-71 तक, 1977 से 1980 तक, 1997 से 2002 तक और 2007 से 2017 तक चार बार पंजाब के मुख्यमंत्री रहे.

वे पंजाब, पंजाबियत और पंजाबियों की रक्षा और उनके हितों के लिए आवाज उठाने के चलते अपने जीवन के लगभग सत्रह वर्ष जेल में बिता चुके हैं. 1972, 1980 और 2002 में नेता विपक्ष रह चुके हैं. मोरारजी देसाई के शासनकाल में वे सांसद भी बने. उन्‍हें केन्द्रीय मंत्री के तौर पर कृषि और सिंचाई मंत्रालय का उत्तरदायित्व सौंपा गया.

बेटे सुखबीर सिंह बादल ने संभाली पार्टी की कमान

पिता की विरासत को आगे बढ़ा रहे सुखबीर सिंह बादल को साल 2008 में पार्टी का कमान सौंपा गया. वह 11वीं और 12वीं लोकसभा चुनाव में वह फरीदकोट से जीत थे. 1998 से 1999 के बीच वे केंद्रीय राज्‍यमंत्री रहे, इसके अलावा 2001 से 2004 तक राज्‍यसभा के सदस्‍य भी रहे. 2012 विधानसभा चुनाव में उनके नेतृत्व में पार्टी चुनाव जीती थी.

बहू हरसिमरत कौर बादल हैं केद्रीय मंत्री

हरसिमरत कौर बादल प्रकाश सिंह बादल की बहू हैं. वर्तमान में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हैं वे भटिंडा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से वर्ष 2009 से लगातार 15 वीं और 16वीं लोकसभा की सांसद हैं. एक बार फिर वह बठिंडा से चुनाव लड़ रही हैं.

2019 की चुनौती

सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व में पार्टी साल 2017 में हुए विधानसभा में राज्य की 117 सीटों में केवल 15 सीट पर सिमट गई थी. हालात देखते हुए इस बार पार्टी और पार्टी अध्यक्ष दोनों के लिए यह चुनाव परीक्षा से कम नहीं है. साल 2014 में बादल शिरोमणी अकाली दल ने पंजाब की चार लोकसभा सीटों पर विजय प्राप्त की थी. जबकि दो सीटें बीजेपी के खाते में आई थी. इस बार पिछले प्रदर्शन को और बेहतर करने की चुनौती होगी.

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