रहस्यमयी शब्दों का अर्थ समझ में आया दुनिया को

तकरीबन एक शताब्दी के बाद दुनिया के सबसे रहस्यमयी शब्दों का अर्थ वैज्ञानिकों को समझ में आ गया है। इन शब्दों ने पिछले एक शताब्दी से विशेषज्ञों को परेशान कर रखा था। लेकिन, अब एक विशेषज्ञ का मानना है कि उन्होंने वायनिच पांडुलिपि के इन शब्दों के अर्थ को समझ लिया है।

वायनिच पांडुलिपि को दुनिया का सबसे रहस्यमयी विषय वस्तु माना जाता रहा है। इस पांडुलिपि में विलुप्त हो चुकी एक ऐसी भाषा का प्रयोग किया गया है जिसमें अजीबोगरीब चिह्नों की मदद से शब्द बनाए गए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार पांडुलिपि 15वीं शताब्दी की है। इस पांडुलिपि का नाम विलफ्रिड वोयनिच के नाम पर रखा गया है जिन्होंने 1912 में यह पांडुलिपि खरीदी थी। कई कोड ब्रेकर जैसे एलान तुरिंग ने इस पांडुलिपि के समझने की कई कोशिशें कीं लेकिन नाकामयाब रहें। 

कोड को समझने का दावा : अब यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टॉल के शोधकर्ता गेरार्ड चेसहायर ने यह दावा किया है कि उन्होंने आखिरकार इस कोड को समझ लिया है। कई तरह के विचारों और कोशिशों के बाद चेसहायर ने इस पौराणिक भाषा और लिखने की तकनीक के समझने का दावा किया है।

उन्होंने बताया कि इस पांडुलिपि में लिखे सारे शब्द छोटे हैं और यहां विराम चिह्नों और व्यंजनों का कोई इस्तेमाल नहीं किया गया है। इसमें लैटिन भाषा के कुछ शब्दों और संक्षेपों का भी प्रयोग किया गया है। यह पांडुलिपि डिमोनिकन ननों द्वारा बनाई गई थी। 

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