क्यों मुस्लिम के लिए अहम होते है रोजे, और क्या मिलती है सजा

रमजान का पाक महीना चल रहा है. इस महीने में मुस्लिम धर्म के लोग पूरे महीने के रोज रखते है. इसके साथ ही कुरान की तिलावत,नमाज, जकात देना और तरावीह पढ़ते है. इस पूरे महीने मुस्लिम लोग नेकी में गुजारते है.

इसके कई सारे नियम भी होते हैं जिन्हें माना जाता है. कहा जाता है रोजा नहीं रखने पर उन्हें कड़ी सजा भी दी जाती है. इस पाक माह के बारे में बता दें,  इस महीने में तीन अरसे होते है और प्रत्येक अरसे का अपना अलग महत्व होता है.

मुस्लिम मान्यता के अनुसार इस पाक महीने में शैतान कैद हो जाते है और जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते है.

रमज़ान के माह में कई बार सफर, बीमारी, गर्भावस्था और पीरियड्स के दौरान रोजा ना रखने की इजाजत है. तो वहीं कई मुस्लिम देशों में रोजा ना रखना अपराध माना जाता है. वहां रोजा ना रखने वालों को सजा देने का प्रावधान भी है. आइए जानते है उन देशों के बारे में.
 
1. कुवैत 
कुवैत में इस पाक महीने में मुस्लिम और गैर मुस्लिम दोनों समुदायों के लिए सार्वजनिक जगहों पर खाना-पीना, ध्रूमपान करना और शराब पीना सख्त मना होता है. इसके अलावा कुवैत में 1968 की कानून संख्या 44 में नियम तोड़ने पर सजा भी तय की गई है. इसमें व्यक्ति को एक महीने की जेल और 100 कुवैत दीनार का जुर्माना भी हो सकता है.
 
2. सऊदी अरब 
इस देश में मुस्लिम लोगों को रोजा रखना बेहद जरूरी होता है. इसके अलावा यहां यदि विदेशी और गैर मुस्लिम लोग इफ्तार से पहले खाते-पीते या फिर धूम्रपान करते पाए जाते है. तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाती है. इस कार्रवाई के तहत उन्हें कारावास, कोड़े मारने और देश निकाला की भी सजा हो सकती है.

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