लड़की की इस एक बात को जानकर ही करे उससे विवाह : चाणक्य नीति

आचार्य चाणक्य जी बहुत ही एक महान विभूति हुए और उन्होंने चाणक्य नीति अपनी वाक् विद्वता द्वारा बुद्धिमता और अपनी क्षमता के बल पर पूरे भारतीय इतिहास की धारा और परिभाषा को परिवर्तित ही कर दिया. इसी के साथ वह मौर्य साम्राज्य के संस्थापक भी थे और उन्होंने कुशल राजनीतिज्ञ प्रकांड अर्थशास्त्री और चतुर कूटनीतिज्ञ के रूप में चाणक्य नीति पूरे विश्व मेजन अपनी ख्याति की छाप को छोड़ दी.

आज हम आपको बताने जा रहे हैं उन्हें द्वारा बताए गए कुछ ख़ास वचन जो आपको जान लेना चाहिए.महान  पंडित चाणक्य बताते हैं कि

1- कोई भी महिला भरोसा करने लायक होतीं ही नहीं – जी हाँ,चाणक्य द्वारा ऐसा कहने के पीछे भी बहुत ही ठोस तथ्य शामिल अवश्य है. ऐसा इसलिए कहा गया है, क्योंकि महिलाएं कोई भी बात अपने तक बहुत अधिक समय तक कभी रख ही नहीं सकती है.

2- “वरयेत् कुलजां प्राज्ञो विरूपामपि कन्यकाम्। रूपशीलां न नीचस्य विवाह: सदृशे कुले”।।
इसका अर्थ है कि किस प्रकार की स्त्री से विवाह करना चाहिए तथा किस स्त्री से नहीं. जी हाँ, उन्होंने कहा है स्त्री से विवाह के लिए संस्कार स्त्री का स्वभाव स्त्री के लक्षण और उसके गुण-अवगुणों के बारे में जानना बहुत ही आवश्यक होता है और किसी स्त्री से विवाह के लिए चुनाव करना उचित होता है. कहते हैं किसी के सुंदरता के आधार पर आप गलत चुनाव कर अपने वैवाहिक जीवन को सुखी नहीं रख सकता इस कारण उसके गुणों को देखकर उसका चुनाव करें.

3) अन्नाद्दशगुणं पिष्टं पिष्टाद्दशगुणं पय:।
पयसोथऽष्टगुणं मांसं मांसाद्दशगुणं घृतम्।।

इस श्लोक का अर्थ है अन्न से दस गुना आदिक ऊर्जा उसके आटे में होती है और आटे से भी दस गुना अधिक ऊर्जा दूध में होती है. वहीं दूध से भी अधिक आठ गुना बल मांस में होता है और और मांस से दस गुना अधिक बल तो होता है घी में.

4) कहा गया है कि चाणक्य के अनुसार ”मुझे उस औलाद की कोई आवश्यकता ही नहीं. जिसके लिए मुझे बहुत ही कठोर यातना सहनी पड़े और सदाचार का भी त्याग करना पड़े तथा आपको अपने शत्रु की चापलूसी करनी पड़ जाए.”

5) चाणक्य के अनुसार जिसका पुत्र आज्ञाकारी हो. जिस व्यक्ति की पत्नी का आचरण उसकी इच्छा के अनुसार हो. जिस भी मनुष्य को अपने धन-दौलत पर संतुष्टि हो. उस मनुष्य के लिए यह सब पृथ्वी स्वर्ग समान है.

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