हरियाणा में बिखरे विपक्ष के सामने सत्तारूढ़ भाजपा बन गई बड़ी चुनौती….

हरियाणा में बिखरे विपक्ष के सामने सत्तारूढ़ भाजपा बड़ी चुनौती बन गई है। विधानसभा चुनाव में विपक्षी दलों के बीच गठबंधन में भी भाजपा बड़ी बाधा व चुनौती बन गई है। लोकसभा चुनाव में सभी 10 सीटें हारने के बाद तमाम विपक्षी दलों को अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में कड़ी अग्नि परीक्षा के दौर से गुजरना पड़ेगा। भाजपा ने जहां कम से कम 75 विधानसभा सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया है, वहीं बिखरे विपक्ष के सामने खुद को साबित करने का बड़ा संकट खड़ा हो गया है।

अभय चौटाला और अजय सिंह के बीच गलतफहमियों से हुई भाजपा की राह आसान

भाजपा के विजय रथ को रोकने के लिए तमाम विपक्षी दल हरियाणा में महागठबंधन के हक में हैं, लेकिन इसकी पहल करने से हिचक रहे हैं। इनेलो विधायक दल के नेता अभय सिंह चौटाला ने इशारों में विपक्ष की एकजुटता के प्रयास शुरू किए हैं, लेकिन हर दल में मुख्यमंत्री पद के बढ़ते दावेदारों की महत्वांकाक्षा इन प्रयासों में बड़ा अवरोध पैदा कर रही है। कांग्रेस दिग्गज जहां आपस की लड़ाई से नहीं उबर पा रहे, वहीं अभय चौटाला व अजय चौटाला के बीच पैदा हुई गलतफहमियों ने भाजपा की राह आसान कर दी है।

कांग्रेस दिग्गज नहीं छोड़ पा रहे सीएम बनने की महत्वाकांक्षा, इनेलो का चश्मा व बसपा का हाथी दिखाएगा राह

हरियाणा में विधानसभा चुनाव में अभी सौ दिन है। इस अवधि में यदि महागठबंधन के प्रयासों में सफलता नहीं मिली तो विभिन्न दलों के बीच अपनी-अपनी विचारधारा के हिसाब से गठजोड़ की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। कुछ लोग इनेलो और जननायक जनता पार्टी के बीच सुलह को आज की सबसे बड़ी जरूरत मान रहे तो कुछ कांग्रेस की एकजुटता के हक में हैं। फिलहाल कांग्रेस छह गुटों में बंटी हुई है और इनमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सबसे अधिक पावरफुल बताए जा रहे हैं।

लोकसभा चुनाव के नतीजों को देखकर कांग्रेस दिग्गजों को नसीहत दी जा रही कि यदि आप-जजपा के गठबंधन में कांग्रेस भी शामिल हो जाती तो कम से कम सोनीपत और रोहतक की सीटें भाजपा के खाते में जाने से रोकी जा सकती थी। यदि विधानसभा चुनाव में भी उनका यही रुख रहा तो भाजपा को पूरे दल बल के साथ सत्ता में आने से कोई नहीं रोक सकेगा। हालांकि भाजपा की खुद की रणनीति विपक्षी दलों से विपक्ष के नेता का पद तक छीनने की है।

लोकसभा चुनाव में जजपा और आप गठबंधन के खास नतीजे सामने नहीं आ सके। यही स्थिति बसपा और लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी के गठबंधन की रही, जबकि इनेलो को भी काफी निराशा का सामना करना पड़ा। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 58 फीसद मत हासिल किए थे, जबकि 42 फीसद में बाकी तमाम राजनीतिक दल सिमट गए। ऐसे में यदि विपक्ष एकजुट हुआ तो ही भाजपा के मत प्रतिशत को कम कर विपक्ष के मत प्रतिशत में इजाफा किया जा सकता है। ऐसा तभी संभव हो सकेगा जब विपक्ष के लोग खुद सीएम बनने की महत्वाकांक्षा को खूंटी पर टांगकर अपने वजूद को बचाए रखने की रणनीति पर काम करें।

विपक्ष के पास खुद को साबित करने के लिए सौ दिन का समय

हरियाणा में सभी राजनीतिक दलों के पास खुद को साबित करने के लिए सौ दिन का समय बचा है। यदि राज्य में भाजपा के विरुद्ध महागठबंधन के प्रयास सिरे नहीं चढ़ पाते तो वही दल भाजपा को चुनौती देने की स्थिति में होगा, जो इन सौ दिनों के भीतर जनता के बीच रहकर खुद को साबित कर सकेगा।

इन सौ दिनों के लिए इनेलो विधायक दल के नेता अभय सिंह चौटाला ने जहां फील्ड में रहने की कार्य योजना तैयार कर ली है, वहीं जजपा संयोजक दुष्यंत चौटाला, आप के प्रांतीय प्रधान नवीन जयहिंद और लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी के संयोजक राजकुमार सैनी ने भी दौरे तय किए हैं। कांग्रेस दिग्गज अभी अपनी अंदरूनी लड़ाई में उलझे हुए हैं, जबकि बसपा ने चुप्पी साधी हुई है।

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