उपराष्ट्रपति रहे भैंरों सिंह शेखावत के बाद ओम बिड़ला राजस्थान के दूसरे नेता होंगे जो इतन बड़े पद तक पहुंचे…
देश भर में कोचिंग हब के नाम से जाने जाने वाले राजस्थान के कोटा शहर के साथ अब एक और बडी उपलब्धि जुड़ गई है। यहां के सांसद ओम बिड़ला लोकसभा के अध्यक्ष बनने जा रहे है और इस समाचार के आने के बाद से कोटा में जश्न का माहौल है।राजस्थान के लिए भी यह बडी उपलब्धि है। उपराष्ट्रपति रहे भैंरों सिंह शेखावत के बाद ओम बिड़ला राजस्थान के दूसरे नेता होंगे जो इतन बड़े पद तक पहुंचे है।
कोटा में ओम जी भाईसाब के नाम से पहचाने जाने वाले ओम बिड़ला तीन बार विधायक और अब दूसरी बार सांसद बने हैं। वर्ष 2003 में पहली बार उन्होने कोटा दक्षिण से भाजपा के टिकट पर विधायक का चुनाव लड़ाा था और कांग्रेस के दिग्गज शांति धारीवाल को हरा कर विधायक बने थे। इसके बाद वे लगातार तीन बार विधायक बने। वर्ष 2013 में विधायक चुने जाने के बाद पार्टी ने 2014 में उन्हें कोटा-बूंदी से सांसद का चुनाव लड़वा दिया और वे सांसद बन गए।
इस वर्ष एक बार फिर उन्हें टिकट दिया गया, हालांकि इस बार उन्हें टिकट दिए जाने को लेकर स्थानीय इकाई का जबर्दस्त विरोध सामने आया था और ऐसा लग रहा था कि इस बार ओम बिड़ला स्थानीय गुटबाजी के शिकार हो सकते है, लेकिन ओम बिड़ला ने कांग्रेस के दिग्गज नेता राम नारयण मीणा को दो लाख 79 हजार वोटों से हरा कर सारे अनुमान गलत साबित कर दिए और पिछली बार से ज्यादा वोटों से जीते। राजस्थान की राजनीति में वे पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पहले कार्यकाल में उनके सबसे विश्वस्त लोगों में गिने जाते थे। इनके अलावा मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती और शिवराज सिंह चौहान से भी उनके बहुत करीबी सम्बन्ध रहे है। वे युवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहे है।
माइक्रो बूथ मैनेजमेंट के मास्टर माने जाते है- ओम बिड़ला भाजपा में माइक्रो बूथ मैनेजमेंट के मास्टर माने जाते है। पार्टी के चुनाव प्रबंधन प्रशिक्षण कार्यक्रमोें मे बिड़ला को इसका प्रशिक्षण देने के लिए बुलाया जाता रहा है। उनके नजदीकी रहे लोग बताते हैं कि उनके कार्यालय में उनके क्षेत्र के हर बूथ के हर वोटर की जानकारी मौजूद है।
मतदान के दिन हर वोटर के पास उनके कार्यालय से वोटिंग के लिए फोन जाता है और यह काम लगातार अपडेट होता रहता है। मतदान के अगले दिन आभार के लिए फोन जाता है। क्षेत्र के मतदाताओं की हर खुशी और गम में खुद ओम बिड़ला या उनका कोई न कोई प्रतिनिधि जरूर पहुंचता है। कोटा के हर मोहल्ले में उनकी टीम सक्रिय है। कोटा में कहा जाता है कि टिकट मिलने के बाद ओम बिड़ला को हराना लगभग असम्भव है, इसीलिए उनके विरोधी इस बात की कोशिश करते है, उन्हें टिकट न मिले। ओम बिड़ला आज तक कोई चुनाव हारे नहीं है।
घर से कोई खाली हाथ नहीं जाता- कोटा में किसी गरीब या जरूरतमंद को कोई जरूरत है और वह यदि ओम बिड़ला के निवास पर चला जाए तो, वह निराश नहीं लोटता। वे कोटा स्टेशन पर कम्बल बैंक चलाते है, जहां यात्री अपना टिकट दिखा कर या पीएनआर नम्बर बता कर कम्बल ले सकता है और ट्रेन आने पर उसे वापस जमा कराना होता है। उन्होंने एक वस्त्र भण्डार भी चला रखा है जहां लोग अपने पुराने कपडे दे जाते है और जरूरतमंदों को यहां से उनकी नाप के कपडे दिए जाते है। तेज सर्दी और गर्मी में चप्पल वितरण, स्थाई रैन बसेरे जैसे कई काम ओम बिड़ला अपने सहयोेगियों के साथ संचालित करते है।
प्रिवार का रहा है संघ से नाता– ओम बिडला के पिता जी श्रीकृष्ण बिडला संघ के वरिष्ठ स्वयंसेवक रहे है और इसीलिए ओम बिड़ला का भी शुरू से ही संघ और भाजपा से जुडाव रहा है। वे पांच भाई है, कोटा के कैथूनी पोल में उनका पैतृक मकान है। कोटा में सहकारिता के क्षेत्र में उनके परिवार का बड़ा दखल रहा है। यहा की ज्यादातर सहकारी संस्थाएं इस परिवार की ही देन है। इनमें एक सहकारी बैंक भी शामिल है। उनकी पत्नी अमिता बिड़ला सरकारी डाॅक्टर है और दो बेटियां है। इनमें से एक की शादी हो चुकी है।