संवासिनी से दुष्कर्म और गर्भपात में अधीक्षिका समेत नौ दोषी करार

संवासिनी से दुष्कर्म और फिर गर्भपात कराने के सनसनीखेज मामले में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश षष्ठम धर्म सिंह की अदालत ने नारी निकेतन की तत्कालीन अधीक्षिका समेत नौ आरोपितों को दोषी करार दे दिया। सजा का एलान सोमवार को होगा।

सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता संजीव सिसौदिया ने अदालत को बताया कि नवंबर 2015 में नारी निकेतन में रह रही मूक-बधिर संवासिनी से दुष्कर्म और गर्भपात कराने का मामला सामने आया। एक गोपनीय पत्र से इसका भेद खुला था।

पुलिस तक यह बात पहुंचती, तब तक संवासिनी का गर्भपात भी करा दिया गया। इस प्रकरण की जांच तत्कालीन एसपी सिटी अजय सिंह की अगुवाई में गठित एसआइटी ने की। जांच के दौरान एसआइटी ने संवासिनी के भ्रूण के डीएनए से आरोपितों के डीएनए का मिलान भी कराया। डीएनए नारी निकेतन के सफाई कर्मी गुरुदास से मेल खा गया। पर्याप्त साक्ष्य मिलने के बाद नौ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ।

अदालत में चार्जशीट दाखिल होने के बाद चली सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने 23 गवाह अदालत में पेश किए, जबकि बचाव पक्ष से एक भी गवाह पेश नहीं हुआ। वैज्ञानिक साक्ष्यों और गवाहों के बयान के आधार पर अदालत ने सभी नौ आरोपितों को दोषी करार दे दिया।

अदालत ने इन्हें माना दोषी 

– नारी निकेतन की तत्कालीन अधीक्षिका मीनाक्षी पोखरियाल व संविदा कर्मी कृष्णकांत शाह उर्फ कांछा (आईपीसी की धारा 201 के तहत साक्ष्य छिपाने के दोषी)

– सफाई कर्मी गुरुदास (आईपीसी की धारा 376 के तहत दुष्कर्म का दोषी)

– होमगार्ड ललित बिष्ट व केयर टेकर हाफिज (आईपीसी की धारा 376 व 511 के तहत दुष्कर्म का दोषी)

– क्राफ्ट टीचर शमां निगार, नर्स किरन नौटियाल, संविदा कर्मी अनीता मैंदोला व चंद्रकला क्षेत्री, केयर टेकर हाफिज (आईपीसी की धारा 313, 201, 120बी के तहत गर्भपात कराने, साक्ष्य छिपाने और साजिश रचने के दोषी)

मूक-बधिर को तीन ने बनाया था हवस का शिकार

नारी निकेतन में मूकबधिर संवासिनी से दुष्कर्म, उसे गर्भवती करने और फिर गर्भपात कराने के मामले में उस समय की कांग्रेस सरकार तक को जवाब देना मुश्किल हो गया। घटना को लेकर लोगों में आक्रोश को देखते हुए एसआइटी के जरिये पूरे प्रकरण की जांच कराई गई, जिसमें पता चला कि मूक-बधिर संवासिनी के साथ वहां के सफाई कर्मी, होमगार्ड और केयर टेकर ने दुष्कर्म किया। बाद में जब कि अधीक्षिका व अन्य को इसका पता चला तो संवासिनी का गर्भपात करा दिया गया।

नारी निकेतन में रखी गई संवासिनी के साथ अक्टूबर 2015 में सफाई कर्मी गुरुदास, होमगार्ड ललित बिष्ट व केयर टेकर हाशिम ने अलग दिनों में दुष्कर्म किया था। नवंबर 2015 में संवासिनी के साथ हुए यौन शोषण का खुलासा हुआ तो प्रशासनिक अमले से लेकर सरकार तक में हड़कंप मच गया।

इसे लेकर नारी निकेतन के सामने काफी हंगामा हुआ और विपक्षी दलों व अन्य संगठनों ने सरकार की नाक में दम कर दिया। तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 24 नवंबर 2015 को इस मामले की विस्तृत जांच के लिए तत्कालीन एसपी सिटी अजय सिंह की अगुवाई में एसआइटी गठित की।

एसआईटी की जांच में नारी निकेतन में संवासिनी पर हुए जुल्म की परतें खुलती चली गईं। लगातार हुई कार्रवाई में एक-एक कर अधीक्षिका समेत नौ लोग गिरफ्तार किए गए। पुलिस ने तत्कालीन अधीक्षिका मीनाक्षी पोखरियाल, कर्मचारी अनिता मैंदोला, क्राफ्ट टीचर शमां निगार, चंद्रकला क्षेत्री, संविदाकर्मी कृष्णकांत उर्फ कांचा, होमगार्ड ललित बिष्ट, केयर टेकर हाशिम और मुख्य आरोपी सफाई कर्मचारी गुरदास को गिरफ्तार कर लिया गया था।

गुरदास पर आरोप था कि उसने संवासिनी से दुष्कर्म किया, जिसके बाद वह गर्भवती हो गई थी। जबकि, होमगार्ड ललित बिष्ट और केयर टेकर हाशिम ने भी संवासिनी से दुष्कर्म का प्रयास किया था। इस बात का कहीं पता न चले, इसके लिए बाकी सभी ने आपराधिक षडयंत्र रचते हुए संवासिनी का गर्भपात कराया और भ्रूण को जंगल में दबा दिया था।

एसआईटी की जांच में दुधली के जंगल से भ्रूण भी बरामद कर लिया था। इसका डीएनए मिलान गुरदास के साथ हुआ। जिससे केस को और मजबूती मिली और घटना से जुड़े हर किरदार एक के एक बेनकाब होते गए।

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