आधी रात के बाद आस्था के कुंड में संतति कामना की डुबकी, भगवान सूर्यदेव के प्रति अगाध श्रद्धा

भगवान सूर्यदेव के प्रति अगाध श्रद्धा और संतति प्राप्त का विश्वास मंगलवार को दूर-दराज से श्रद्धालुओं को काशी खींच ले आया। व्रत-स्नान पर्व लोलार्क षष्ठी से एक दिन पहले मंगलवार को दोपहर से ही भदैनी क्षेत्र श्रद्धालुओं से अंड़सा नजर आया। सुरक्षा के लिहाज से लगाई गई बैरिकेडिंग में दो तरफा कतार और सोनारपुरा-लंका एक गया। रात 12 बजे कुंड तट स्थित मंदिर में फूलों से सजे लोलार्केश्वर महादेव की श्रृंगार आरती की गई। बाबा की जयकार गूंजी और आस्था के कुंड से संतति कामना की जुहार एकाकार हो गई।

तिथि गणना के अनुसार भाद्रपद शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि की मान्यता लोलार्क षष्ठी की है। ऐसे में व्रत स्नान पर्व का विधान चार सितंबर की भोर 4.53 बजे षष्ठी तिथि के साथ है लेकिन स्नान देर रात से ही शुरू हो गया। खास यह कि इस बार संतति कामनापूर्ति के लिहाज से महत्वपूर्ण स्वाति नक्षत्र का संयोग है। हालांकि तमाम लोगों ने उदयातिथि के लिहाज से सूर्योदय का इंतजार किया। लोकाचार निभाते हुए फल-सब्जी अर्पित की और गीले वस्त्र में लोलार्केश्वर महादेव के चरणों में अपनी मनोकामना का पिटारा रख दिया।

देर रात तक कतार का आकार विस्तार पाता रहा। स्नान-दान का क्रम बुधवार शाम तक जारी रहेगा। क्रीं कुंड में षष्ठी महोत्सव का रेला अघोराचार्य बाबा कीनाराम अघोर शोध एवं सेवा संस्थान क्रीं कुंड में बुधवार को लोलार्क षष्ठी महोत्सव के लिए रात से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। सुबह प्रभात फेरी और पीठाधीश्वर सिद्धार्थ गौतमराम औघड़-अघोरेश्वर समाधियों का दर्शन-पूजन करेंगे। प्रात: 9. 30 बजे से भक्तों को दर्शन देंगे। दोपहर 12 बजे प्रसाद वितरण, चार बजे से गोष्ठी, 7.30 बजे आरती व आठ बजे सांस्कृतिक आयोजन आरंभ होंगे।

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