सातवें वेतनमान की पेंशन की टेंशन में वरिष्ठ नागरिक, जानिए क्या है पूरा मामला

शासन ने भले ही एक जनवरी 2016 से पहले रिटायर हुए कार्मिकों की पेंशन को सातवें वेतनमान के अनुरूप पुनरीक्षित करने के आदेश 15 अक्टूबर 2018 जारी कर दिए थे। मगर, इसके बाद भी हजारों की संख्या में राज्य सरकार के पेंशनरों, पारिवारिक पेंशनरों की पेंशन और पारिवारिक पेंशन को पुनरीक्षित नहीं किया जा सका है।

यह मामला तब से और गड़बड़ा गया जबसे, कोषागार निदेशालय ने एक अप्रैल 2019 से भुगतान के लिए कोर ट्रेजरी सिस्टम को बंद कर आइएफएमएस (इंटीग्रेटेड फाइनेंस मैनेजमेंट सिस्टम) को लागू कर दिया। इस सिस्टम की कई तकनीकी अड़चनों और कार्मिकों के इसके अनुरूप दक्ष न होने के चलते पेंशन को पुनरीक्षित करने में कई बाधाएं आ रही हैं। कहीं आहरण वितरण अधिकारी स्तर पर पुनरीक्षित पेंशन ऑनलाइन स्वीकृत नहीं हो पा रही, तो कहीं मामला कोषागार में आकर फंस जा रहा है। कोषागार के अधिकारी भी स्पष्ट रूप से यह बताने को तैयार नहीं कि जिन प्रकरणों में आहरण वितरण अधिकारियों ने प्रक्रिया पूरी कर ली है, उनमें विलंब क्यों हो रहा है।
दूसरी तरफ पूर्ववर्ती राज्य उत्तर प्रदेश के दौरान रिटायर हुए कार्मिकों की पेंशन को लेकर नए सिस्टम में अपेक्षित सुधार नहीं किए हैं। ऐसे पेंशनरों की संख्या करीब 50 हजार है। इन सबका खामियाजा पेंशन की आस लगाए बैठे वरिष्ठ नागरिकों और उनके परिजनों को उठाना पड़ रहा है। इस मामले में कोषागार निदेशालय के अपर निदेशक अरुणेंद्र सिंह का कहना है कि नए सिस्टम की खामियों को काफी हद तक दुरुस्त कर लिया गया है। इस तरह की जानकारी भी सामने आ रही है कि आहरण वितरण अधिकारियों के स्तर में भी त्रुटियां की जा रही हैं। जिसके चलते पेंशन पुनरीक्षित करने का काम लंबित चल रहा है।
2020 तक बढ़ाई पेंशन पुनरीक्षित करने की अवधि अपर निदेशक अरुणेंद्र सिंह ने बताया कि सातवें वेतनमान के अनुरूप पेंशन पुनरीक्षित करने की अवधि को वर्ष 2020 तक बढ़ा दिया गया है। वहीं, उत्तर प्रदेश के समय रिटायर हुए पेंशनरों के लिए मैनुअल भी कार्रवाई करने का विकल्प कोषागारों को दिया गया है। ऐसे रिटायर्ड कार्मिक या उनके परिजन संबंधित आहरण वितरण अधिकारियों से पेंशन पुनरीक्षित कर संबंधित कोषागार को देंगे तो उसे मैनुअल भी स्वीकार कर लिया जाएगा।
हालांकि, राज्य गठन के बाद और एक जनवरी 2016 से पहले के पेंशनरों के आवेदन ऑनलाइन ही स्वीकार किए जाएंगे। समय बढ़ाना बेहतर विकल्प नहीं कहने को कोषागार निदेशालय ने पेंशन को पुनरीक्षित करने की अवधि 2020 तक बढ़ा दी है, मगर इससे पेंशन पाने वाले लोगों की समस्या का त्वरित समाधान नहीं हो पा रहा। क्योंकि हजारों लोग इस आस में बैठे हैं कि उन्हें बढ़ी हुई पेंशन तो मिलेगी ही, उसका एरियर भी उन्हें प्राप्त होगा। इसी आस में वह कोषागार कार्यालयों के चक्कर लगाने को विवश हैं।

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