पाकिस्तान का झूठ फिर बेनकाब, भारत की एयर स्ट्राइक में मारे गए पायलटों के लिए बनवाया स्मारक
पाकिस्तान (Pakistan) ने दुनिया से एक सच छुपाया है. 27 फरवरी को भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) की एयर स्ट्राइक (airstrike) में मारे गए पाकिस्तानी पायटों के लिए स्मारक बनवाया है. इस मेमोरियल का उद्घाटन 7 सितंबर को पाकिस्तान वायुसेना दिवस के दिन किया गया. हालांकि इस स्मारक पर पाकिस्तान ने मारे गए एक भी पायलट का नाम नहीं रखा है. यही नहीं पाकिस्तान ने एमरॉम मिसाइल (AMRAAM Missile) से सुखोई (Sukhoi) को मार गिराने की बात इस मेमोरियल में लिखी है. भारत ने इस पर सख्त ऐतराज जताया है.
भारत ने इसे पाकिस्तान का एक और प्रोपेगैंडा बताया है. भारत ने साफ कहा कि पाकिस्तान का 27 फरवरी का मेमोरियल एक झूठ, चालाकी और छल है. भारत ने पाकिस्तान के दावे को खारिज करते हुए कहा कि यह मेमोरियल झूठे दावे पर आधारित है.
पाकिस्तान ने मेमोरियल में किए झूठे दावे
पाकिस्तान ने इस मेमोरियल में एमरॉम मिसाइल से सुखोई को मार गिराने की बात लिखी है. मेमोरियल में लिखा गया है कि सुखोई-30 MKI को PAF F-16 उड़ा रहे स्क्वाड्रन लीडर हसन महमूद सिद्दकी ने एआईएम-120 एमरॉम बीवीआर मिसाइल का इस्तेमाल कर उसे गिरा दिया था. सच्चाई यह है कि एमरॉम मिसाइल सिर्फ एफ-16 से ही दागी जा सकती है. पाकिस्तान का कहना है कि मिग-21 बाइसन को भी एमरॉम से निशाना बनाया गया था जबकि सच्चाई यह है कि अभिनंदन ने जो एफ-16 मार गिराया था, पाकिस्तान ने उसकी पुष्टि की है.
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को आतंकियों के आत्मघाती हमला हमले में करीब 40 जवान शहीद हो गए थे. इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी. भारत ने 27 फरवरी को पाकिस्तान के बालाकोट समेत जैश-ए-मोहम्मद के कई ठिकानों को निशाना बनाकर हमला करके इसका बदला लिया था. अगले दिन 27 फरवरी को पाकिस्तान एयरफोर्स के जेट्स जम्मू कश्मीर के राजौरी जिले के सुंदरबनी में दाखिल हो गए थे. भारतीय वायुसेना ने उन्हें वापस खदेड़ दिया था.
विंग कमांडर अभिनंदन ने पाकिस्तान फाइटर जेट के नौशेरा सेक्टर में ढेर कर दिया था. हालांकि उनका विमान भी क्रैश हो गया था और वह पीओके में जा गिरे थे जहां से पाकिस्तानी सैनिक उन्हें पाकिस्तान ले गए थे. हालांकि इसके 48 घंटों के भीतर अभिनंदन सकुशल भारत वापस लौट आए थे. पाकिस्तान ने 27 फरवरी को मारे गए अपने पायलटों को कभी भी स्वीकार नहीं किया.