उत्तराखंड में विकराल हुआ डेंगू का डंक, दो और लोगों की मौत

। यह सिस्टम की असंवेदनशीलता का नमूना है। जिन हालात को स्वास्थ्य महकमा अभी तक सामान्य बता रहा था, वह अब अधिकारियों की अकर्मण्यता से बेकाबू हो चुके हैं। न केवल डेंगू के मरीजों का आंकड़ा बढ़ रहा है, बल्कि एक के बाद एक लोगों की मौत होती जा रही हैं। सोमवार को भी डेंगू पीडित दो लोगों की मौत हो गई, जबकि डेंगू संदिग्ध एक महिला की भी मौत हुई है।

जानकारी के अनुसार, दून में नेहरू ग्राम निवासी नौवीं कक्षा की छात्रा (17 वर्ष) कई दिन से श्री महंत इंदिरेश अस्पताल में भर्ती थी। रविवार सुबह उसकी मौत हो गई। सोमवार को छात्रा के निधन के चलते स्कूल भी बंद रहा। वहीं, 14 सितंबर से अस्पताल में भर्ती शिमला बाईपास निवासी युवती (20 वर्ष) की रविवार को मौत हो गई। अस्पताल के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी भूपेंद्र रतूड़ी ने बताया कि शिमला बाईपास निवासी युवती को अत्याधिक रक्तस्त्राव हो रहा था। डेंगू शॉक सिंड्रोम की वजह से उसकी मौत हुई है।

उधर, सीएमओ डॉ. एसके गुप्ता का कहना है कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। अस्पतालों से पता कर डेथ ऑडिट कराया जाएगा। इधर, दून अस्पताल में भर्ती ग्रीन फील्ड स्कूल की चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की भी रविवार को दून अस्पताल में मौत हो गई। स्कूल प्रबंध कमेटी के सदस्य अनिल जग्गी ने बताया कि वह कई दिन से बीमार थीं।

कोरोनेशन अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। उन्हें दून अस्पताल रेफर किया गया था, एक रात वहां भर्ती रहने के बाद उनकी मौत हो गई। प्रबंधन ने कर्मी की मौत डेंगू से होने की आशंका व्यक्त की है। वहीं, अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा का कहना है कि डेंगू से अस्पताल में किसी की मौत नहीं हुई है। कर्मचारी की मौत अन्य कारणों से हुई है।

141 और लोगों को डेंगू का डंक

डेंगू का प्रकोप लगातार बढ़ता ही जा रहा है। ताजा मामले में प्रदेश में 141 और लोगों को डेंगू का डंक लगा है। इनमें सर्वाधिक 78 मरीज देहरादून से हैं। जबकि नैनीताल में भी 42 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। इस तरह प्रदेश में डेंगू के मरीजों की संख्या बढ़कर 3016 हो गई है।

आए दिन डेंगू के नए मरीज सामने आने से स्वास्थ्य विभाग की नींद उड़ी हुई है। जिस तरह राज्य में डेंगू बेकाबू हो रहा है, उससे यही कहा जा सकता है कि इस बीमारी की रोकथाम व बचाव के लिए किए गए अब तक के सभी इंतजाम धराशायी हो गए हैं।

यही कारण कि इस बार प्रदेश में डेंगू ने पिछले कई सालों का रिकार्ड तोड़ दिया है। बात अगर देहरादून जिले की करें तो यहां पर डेंगू सबसे ज्यादा कहर बरपा रहा है। दून में डेंगू मरीजों की संख्या बढ़कर 1866 हो गई है।

नैनीताल जनपद में भी 943 लोग डेंगू की चपेट में आ चुके हैं। इसके अलावा हरिद्वार में 104, उधमसिंहनगर में 66, टिहरी में 15, पौड़ी में 12, अल्मोड़ा में आठ और चंपावत व रुद्रप्रयाग में एक-एक मरीज में डेंगू की पुष्टि हो चुकी है।

खास बात यह कि पहले स्वास्थ्य विभाग जहां सिर्फ चुनिंदा सरकारी अस्पतालों से प्राप्त होने वाले आंकड़ों के आधार पर यह दावा कर रहा था कि डेंगू का कहर उतना नहीं है, जितना कि दिखाया जा रहा है। विभागीय अधिकारियों द्वारा आंकड़ों में की जा रही बाजीगरी की जब पोल खुली तो जाकर स्थिति अब स्पष्ट होने लगी है।

सरकारी अस्पतालों के अलावा महकमा ने प्राइवेट अस्पतालों में उपचार करा चुके अथवा उपचार करा रहे डेंगू मरीजों का आंकड़ा जुटाना भी शुरू कर दिया है। वहीं विभागीय अधिकारियों द्वारा यह भी दावा किया जा रहा है कि डेंगू प्रभावित क्षेत्रों में बीमारी की रोकथाम व बचाव के लिए टीमें मैदान मे उतरी हुई हैं। घर-घर जाकर मच्छर के लार्वा का सर्वे किया जा रहा है। जिन घरों में मच्छर का लार्वा मिल रहा है उसको मौके पर ही नष्ट किया जा रहा है।

2608 डेंगू पीड़ित मरीज डिस्चार्ज

डेंगू मरीजों के जिन आंकड़ों को छिपाने की कोशिश पहले सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों द्वारा की जा रही थी वह अब सामने आने लगे हैं। बताया जा रहा है कि स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों ने सरकारी अस्पतालों के अलावा सभी प्राइवेट अस्पतालों व नर्सिग होम को भी डेंगू मरीजों का आंकड़ा उपलब्ध कराने के सख्त निर्देश दिए हैं।

ऐसे में सोमवार को स्वास्थ्य विभाग को मरीजों से संबंधित जो रिपोर्ट प्राप्त हुई हैं, उसमें बताया गया है कि प्रदेश में 2608 डेंगू पीड़ित मरीज उपचार कर अस्पतालों से डिस्चार्ज हो चुके हैं। वर्तमान में 408 मरीज भर्ती हैं। इनमें दून अस्पताल में 30, कोरोनेशन अस्पताल में 36, श्री महंत इंदिरेश अस्पताल में 53, गांधी शताब्दी अस्पताल में 31, एसपीएस ऋषिकेश में 33, सिनर्जी अस्पताल में 48, कैलाश अस्पताल में 75, मैक्स अस्पताल में 26, बेस अस्पताल हल्द्वानी में 53, सुशीला तिवारी मेडिकल कालेज अस्पताल में सात, प्राइवेट अस्पताल हल्द्वानी में 14 व एचएमजी अस्पताल हरिद्वार में दो डेंगू के मरीज भर्ती हैं।

पूर्व विधायक फर्स्वाण को डेंगू, रेफर

पूर्व विधायक कपकोट ललित फर्स्वाण डेंगू की चपेट में आ गए हैं। प्राथमिक इलाज के बाद हायर सेंटर रेफर कर दिया है। उनके भाई और गरुड़ के निर्वतमान ब्लाक प्रमुख भरत फर्स्वाण भी डेंगू की चपेट में हैं।

बागेश्वर जिले में डेंगू के मरीजों की संख्या शून्य है, लेकिन मैदानी इलाकों से पहाड़ आने वाले लोगों को डेंगू की शिकायत हो रही है। कपकोट के पूर्व विधायक ललित फर्स्वाण ने बताया कि उन्हें बुखार था और वह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बैजनाथ में इलाज के लिए गए। वहां डाक्टरों की सलाह पर टेस्ट कराए तो पता चला कि वह डेंगू से ग्रसित हैं। वह हाल में हल्द्वानी से लौटे थे। डाक्टरों ने उन्हें हायर सेंटर जाने की सलाह दी है।

चमोली जिले में भी डेंगू की दहशत

इन दिनों डेंगू का प्रकोप बढ़ रहा है। मैदानी क्षेत्रों से आने वाले लोगों पर डेंगू के संभावित लक्षणों से दहशत है। लेकिन, जिले में निजी या सरकारी चिकित्सा महकमे में डेंगू की पुष्टि के लिए होने वाले एलाइजा टेस्ट की सुविधा भी नहीं है। इसके लिए श्रीनगर और पौड़ी के अस्पतालों पर स्वास्थ्य महकमे को आश्रित रहना पड़ता है।

जिले में अभी तक एक व्यक्ति पर डेंगू की पुष्टि हुई है, जबकि दस लोगों का कार्ड टेस्ट में पॉजीटिव पाए जाने पर उनका डेंगू का एलाइजा टेस्ट कराया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि बुखार से पीडि़त सभी वह लोग हैं, जो देहरादून, ऋषिकेश सहित मैदानी क्षेत्रों से लौटे हैं। लिहाजा स्वास्थ्य विभाग बुखार की स्थिति में सतर्कता के लिए डेंगू का टेस्ट कर रहा है।

स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश में डेंगू के मरीजों की बढ़ती तादाद को देखते हुए चमोली जिले में भी जिला चिकित्सालय सहित ऐसे चिकित्सालय, जिनमें भर्ती की सुविधा उपलब्ध है, वहां डेंगू के लिए अलग से कक्ष व बेड आरक्षित किए गए हैं।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अनूप कुमार डिमरी ने कहा कि जिले में डेंगू का कोई प्रकोप नहीं है। देहरादून व मैदानी क्षेत्रों से आए हुए बुखार पीडि़तों को शक के आधार पर डेंगू का टेस्ट कराया जा रहा है। डॉ. अनूप कुमार डिमरी ने बताया कि कर्णप्रयाग तहसील के थिरपाक के रहने वाले एक व्यक्ति पर डेंगू की पुष्टि हुई है। यह व्यक्ति ऋषिकेश में टैक्सी चलाता है, जिसे बुखार की शिकायत के बाद डेंगू के संभावित लक्षणों को देखते हुए श्रीनगर रेफर किया गया था।

उन्होंने यह भी कहा कि जिले में कुल दस बुखार पीड़ितों का कार्ड टेस्ट में पॉजिटिव पाए गए हैं। हालांकि इनमें से किसी की भी डेंगू की पुष्टि के एलाइजा टेस्ट में अभी डेंगू की पुष्टि नहीं हुई है। बताया गया कि छह बुखार पीड़ित कर्णप्रयाग में भर्ती हुए हैं, जिनमें से तीन को श्रीनगर रेफर किया गया है, जबकि अन्य तीन को इलाज होने के बाद छुट्टी दे दी गई। उन्हें भी डेंगू की पुष्टि के टेस्ट के श्रीनगर, पौड़ी या देहरादून में कराने की सलाह दी गई।

डेंगू पीड़ितों को केंद्रीय डिस्पेंसरियों में भी मिले इलाज 

भाजपा के पूर्व उपाध्यक्ष व राज्य आंदोलनकारी रविंद्र जुगरान ने कहा कि डेंगू के मरीजों की बढ़ती संख्या और अस्पतालों की कमी को देखते हुए प्रदेश सरकार ओएनजीसी, एफआरआइ, सर्वे ऑफ ,ओएलएफ जैसे केंद्रीय संस्थानों की डिस्पेंसरियों के इस्तेमाल के लिए उनसे संपर्क करें और आमजन को उपचार की सुविधा उपलब्ध कराए।

प्रेस क्लब में पत्रकारों से वार्ता करते हुए जुगरान ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में मुख्यमंत्री को पत्र प्रेषित किया है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग मुख्यमंत्री के पास है, उसके बाद यह स्थिति अफसोसजनक है। उन्होंने कहा कि डेंगू जो दून समेत राज्य में महामारी का रूप ले चुका है। उसके प्रभाव को न्यूनतम करने के लिए शासन-प्रशासन में उदासीनता रही, जिससे आमजन में आज भय का माहौल है।

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उन्होंने कहा कि लोग बुखार आते ही पैथोलॉजी लैबों में पहुंच रहे है। इससे लैब संचालक आमजन का फायदा उठा रहे है। साथ ही अस्पतालों में भी भीड़ बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि सरकार डेंगू आंकड़ों के लिए एक कंट्रोल रूम स्थापित करें और हर घंटे मरीजों के आंकड़े जारी करे। साथ ही सभी राजनैतिक दलों, सामाजिक संस्थाओं, रोटरी क्लब, लायंस क्लब, एनजीओ आदि का सहयोग लें। उन्होंने कहा कि हकीकत में दून में 50 हजार लोगों ने डेंगू की जांच करवाई और 20 हजार लोग डेंगू से पीडि़त है जिनमें से अधिकतर घर पर ही उपचार करा रहे हैं। पत्रकार वार्ता में डॉ. अतुल शर्मा आदि मौजूद रहे।

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