महिलाओं ने घर की बगिया को बनाया अपनी शान, रोजगार का जरिया भी बन रही गार्डनिंग

अपने घर के आंगन या बालकनी में फूल उगाना सबको पसंद होता है, लेकिन दून की महिलाओं ने गार्डनिंग के मायने ही बदल दिए हैं। इन महिलाओं ने अपने गार्डन को इस अंदाज में सजाया है कि मानों घर के आंगन में पूरी प्रकृति का बसेरा हो। इन महिलाओं ने इसके लिए किसी प्रकार का कोई प्रशिक्षण नहीं लिया है, बस अपने शौक को ही जुनून बना दिया।

माता-पिता को देखकर बन गई प्रोफेशनल

कुठालगेट निवासी अर्चना ने बताया कि बचपन में वह अपने माता-पिता को गार्डनिंग करते देखती थीं। जिन्हें देखकर उन्होंने भी फूल-पौधों की देखभाल करना शुरू कर दिया। शादी के बाद ससुराल में गार्डनिंग की तो सबने खूब सराहा। दोस्तों के कहने पर उन्होंने टैरेस गार्डनिंग शुरू की और धीरे-धीरे लैंड स्केपिंग का बिजनेस शुरू कर दिया। आज वह अपने घर के साथ-साथ दूसरों के घरों की बगिया को भी सजाती हैं। अर्चना ने बताया कि वह अपना अधिकतम समय बगिया में बिताना पसंद करती हैं। उन्हें सुबह की पहली चाय गानें सुनते हुए गार्डन में पीना पसंद है।

बगिया बिन जीवन अधूरा

गढ़ी कैंट निवासी सीता शर्मा ने बताया कि समाज में वर्किंग वूमेन को तवज्जो दी जाती है, लेकिन उनके अनुसार अपने घर को सुंदर और आकर्षित बनाना भी किसी जॉब से कम नहीं। सीता को गार्डनिंग का शौक है। उन्होंने अपने घर पर ही फूलों के अलावा सब्जियां और फल उगाए हैं। उनका कहना है फूल जहां अच्छी खुशबू देते है वहीं ऑर्गेनिक सब्जियां शरीर को हेल्दी रखने के काम आती हैं। वह रोजाना घर का काम करने के बाद चार-पांच घंटे अपनी बगिया को देती हैं।

प्रोत्साहन मिले तो गार्डनिंग में कर सकते हैं खास

एक स्कूल की डायरेक्टर मनिंद्र सिंह कौर ने बताया कि उनके परिवार के पास बहुत जमीन थी। जहां वह खेती किया करते थे। लेकिन, उन्हें फसल की बजाए फूलों और अलग-अलग किस्म के पौधे लगाना इतना पसंद था कि उन्होंने बचपन से ही घर के गार्डन में पौधों का कलेक्शन शुरू कर दिया। आज उनके घर के साथ-साथ स्कूल में भी हरा-भरा गार्डन है। उनका कहना है कि विदेशों में महिलाएं गार्डनिंग के माध्यम से अच्छा-खासा रोजगार कर रही हैं। देश में भी केंद्र सरकार को महिलाओं को जागरूक करना चाहिए कि गार्डनिंग से भी वह अपना रोजगार प्रारंभ कर सकती हैं।

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