चीन सीमा से सटे गांवों पर केंद्र की नजर, पलायन की मांगी रिपोर्ट

राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर चीन सीमा से सटे गांवों को लेकर केंद्र सरकार अब अलर्ट मोड में आ गई है। हिमाचल, लद्दाख, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश के बाद अब उत्तराखंड के चीन सीमा से सटे ब्लाकों में पलायन की स्थिति को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार परिषद ने रिपोर्ट मांगी है।

साथ ही वहां के गांवों से पलायन को थामने के लिए क्या-क्या किया जा सकता है, इस बारे में भी राय देने को कहा है। इस सिलसिले में 27 सितंबर को दिल्ली में बैठक बुलाई गई है, जिसमें ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एसएस नेगी प्रस्तुतीकरण देंगे।

बताया गय कि परिषद की मंशा इन क्षेत्रों में सड़क समेत अन्य सुविधाओं के विकास पर खास फोकस करने की है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार परिषद अब एक मंत्रालय के रूप में कार्य कर रहा है और परिषद ने अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं से सटे गांवों के विकास पर खास ध्यान केंद्रित किया है।

कोशिश ये हैं कि सीमांत गांवों से पलायन न हो। इसके लिए वहां सड़क समेत अन्य मूलभूत सुविधाओं के विकास को कदम उठाए जा रहे हैं। हिमाचल, लद्दाख, सिक्किम, अरुणांचल प्रदेश के बाद अब केंद्र की नजर उत्तराखंड के सीमांत गांवों पर गई है।

इस कड़ी में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार परिषद की एक टीम ने हाल में उत्तराखंड का दौरा किया था। सूत्रों के अनुसार टीम ने पलायन आयोग से चीन सीमा से सटे उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के धारचूला व मुनस्यारी, चमोली के जोशीमठ और उत्तरकाशी जिले के भटवाड़ी ब्लाक के गांवों के बारे में जानकारी ली।

टीम को बताया गया कि इन सीमांत ब्लाकों के गांव भी पलायन से अछूते नहीं हैं। चारों ब्लाकों में जोशीमठ में पलायन की रफ्तार ज्यादा है, जबकि अन्य तीनों में जोशीमठ के मुकाबले इसकी गति कुछ धीमी है। सूत्रों के मुताबिक परिषद की टीम ने राज्य को सीमांत गांवों के विकास को लेकर कार्ययोजना तैयार करने को कहा, ताकि वहां से पलायन को पूरी तरह थामा जा सके।

इसके तहत वहां सड़कों समेत अन्य सुविधाओं के विकास, रोजगार के अवसर जैसे कई बिंदुओं पर राय मांगी गई है। इसे बाकायदा प्रस्तुतीकरण के जरिये परिषद के सामने रखने को कहा गया है। इस संबंध में 27 सितंबर को दिल्ली में बैठक बुलाई गई है। पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ.एसएस नेगी ने बैठक की पुष्टि की।

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