समुद्र में भारत की ताकत को बढ़ाने के लिए आई INS खंडेरी, 19 सितंबर को नौसेना में होगी शामिल
जैसे जैसे भारतीय सीमाओं की सुरक्षा को लेकर खतरा बढ़ता जा रहा है वैसे वैसे अब इस सुरक्षा व्यवस्था को अभेद्य, अखंड बनाने की तैयारी भी की जा रही है. अब इसी कड़ी में नौसेना की ताकत को और बढ़ाने के लिए आ गई है आईएनएस खंडेरी. तो आखिर क्या है आईएनएस खंडेरी और क्यूं नौसेना के लिए है ये बेहद खास चलिए देखते हमारी इस खास रिपोर्ट में.
आईएनएस खंडेरी दूसरी कलावरी क्लास सबमरीन यानी पनडुब्बी है. नौसेना की ताकत को बढ़ाने के लिए आईएनएस खंडेरी को नौसेना 19 सितंबर को सौंप दिया गया था और 28 सितंबर को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह खुद मुंबई में इसकी कमिंशनिग करेंगे, लेकिन इस आईएनएस खंडेरी की कई खासियत है जो इसे देश मे मौजूद सबमरीन्स में से सबसे बेहतर और उन्नत बनाती है.
आईएनएस (INS) खंडेरी को कई भागों में बांटा जा सकता है. सबसे पहले हम इसके बैटरी वाले सेक्शन यानी जहां से सबमरीन को मूव होने के लिए एनर्जी मिलती है.
आईएनएस खंडेरी आज के दौर में मौजूद सबसे एडवांस टेक्नलॉजी से लैस है. इसके भीतर 360 बैटरी सेल्स है.प्रत्येक बैटरी सेल्स का वजन 750 किलो के करीब है.इसके भीतर दो 1250 केडब्ल्यू डीजल इंजन है.यही नही बल्कि इन्ही बैटरियों के दम पर आईएनएस खंडेरी 45 दिनों के सफर पर जा सकता है वो भी तब जब की उसके पास सभी सदस्य मौजूद है. इन्ही बैटरियों के दम पर आईएनएस खंडेरी 6500 नॉटिकल माइल्स यानी करीब 12000 किमी का रास्ता तय करना पड़ता है. एक डाइव में भारत की इस अदृश्य शक्ति को ढाई दिन तक लग जाये है, और ये सबमरीन 350 मीटर तक कि गहरायी में भी जाकर दुश्मन का पता लगाती है. इसके टॉप स्पीड की बात करे तो ये 22 नोट्स है.
इस सबमरीन को साइलेंट किलर भी कहा जा सकता इसके भीतर एडवांस वेपन है जो युद्ध जैसे समय में आसानी से दुश्मनों के छक्के छुड़ा सकता है. जैसे सबसे ज़रूरी इसके पीछे के हिस्से में magnetised propulsion मोटर जिसकी तकनीक को फ्रांस से लिया गया है,इसकी वजह से इसके अंदर से आने वाली आवाज़ को बाहर नही अाने दिया जाता है, इससे दुश्मन के खोजी हवाई जहाज हो या सबमरीन या वॉर वेसल्स को इसकी जानकारी ठीक से नही मिल पातीहै, इससे वो सबमरीन को पकड़ में आये बिना हमला करना उचित होता है.
आईएनएस खंडेरी दो पेरिस्कोप से लैस है. आईएनएस खंडेरी के ऊपर लगाए गए हथियारों की बात की जाए तो इस पर 6 टॉरपीडो ट्यूब्स बनाई गयी है, जिनसे टोरपीडोस को फायर किया जाता है. इसके अलावा इसमे एक वक्त में या तो अधिकतम 12 तोरपीडोस आ सकते है या फिर एन्टी शिप मिसाइल SM39, इसके साथ ही माइंस भी ये सबमरीन बिछा सकती है. कौन कितनी संख्या में रखा जाएगा सबमरीन में, ये इस बात पर निर्भर करता है कि वो कौनसे मिशन पर जाने वाला है. इस सबमरीन पर करीब 40 लोगो का क्रू एक साथ काम कर सकता है जिनमे से 8 से 9 अफसर होते है.
हमने आईएनएस खंडेरी के कमांडिंग ऑफिसर कैप्टेन दलबीर सिंह से भी बातचीत की और उन्होंने बताया कि कैसे आईएनएस खंडेरी हमारी नौसेना के लिए एक गर्व कि बात है.
– सबमरीन में जगह कम होने के कारण कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है.
– सबमरीन में किचन को गैली कहा जाता है.
– यहां खाना बनाने में भी काफी सावधानी बरतनी पड़ती है
– खाना बनाते वक्त यहां छौंका नहीं लगा सकते, क्यूंकि धुएं को बाहर जाने का रास्ता नहीं मिल पाता.
– इसके अलावा जवानों के सोने के लिए अलग अलग कंपार्टमेंट होते है
– 3 3 घंटे की ड्यूटी के बाद जवान, 6 घंटे का ब्रेक लेते है.
– जहां तक हो सके पानी का इस्तेमाल कम किया जाता है.
सबमरीन पर हर डिपार्टमेंट की जिम्मेदारी कुछ खास लोगो पर होती है. जैसे अगर टॉरपीडो को फायर करना है तो उसके लिए खास तौर पर एक शख्स होता है ,अगर टॉरपीडो फायर करने से पहले उसके लिए कम्युनिकेशन के लिए एक खास शख्स जिम्मेदार होता है, कॉम्बैट के लिए एक अलग टीम होती है, इसी तर्ज पर मोटर और टेक्निकल चीज़ों के लिए अलग अलग शख्स होते है. लेकिन इतने दिनों तक परिवार से दूर रह कर लगातार ड्यूटी करना भी देश के इन जवानों को बिल्कुल नही अखरता है.
ये तमाम लोग देश की सुरक्षा को लेकर कोई भी कोताही बरतने के मूड में नही है. हालांकि इस बीच कभी कभी परिवार की याद तो आती है लेकिन इस बात का कोई मलाल नही होता कि 45 – 45 दिनों अपने घरवालों से कोई बात नही हो पाती इनकी.
आपको बता दे कि इससे पहले भी आईएनएस खंडेरी ने देश को अपनी सेवाएं दी है ,जब साल 1968 में आईएनएस खंडेरी को कमीशंड कराया गया था. साल 1971 की भारत पाकिस्तान की लड़ाई में इस सबमरीन को देश के पूर्वी सीबोर्ड पर तैनात किया गया था और फिर अक्टूबर 1989 में इसे डीकमीशंड कर दिया गया. अब इस सेकंड कलवरी क्लास सबमरीन को यही नाम दिया गया है.