अमेरिकी शोधकर्ताओं को मिली बड़ी कामयाबी, अब ऊष्मा से पैदा होगी ज्यादा बिजली

दुनिया में बढ़ती आबादी के साथ ऊर्जा की खपत में भी तेजी से इजाफा होता जा रहा है। दुनियाभर के वैज्ञानिक इसके लिए वैकल्पिक रास्ते तलाश रहे हैं। वर्तमान में विद्युत ऊर्जा का तेजी से उपभोग हो रहा है। इसके कई विकल्प वैज्ञानिकों ने तलाश भी लिए हैं, लेकिन वे बहुत अधिक कारगर नहीं हैं।

अब इस दिशा में अमेरिकी शोधकर्ताओं को एक बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। उन्होंने न केवल ऊष्मा को एकत्र करने, बल्कि उसे बिजली में बदलने का बेहतर विकल्प तलाश लिया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इससे भविष्य में कार से निकलने वाली गर्मी, औद्योगिक प्रक्रियाओं में उत्पन्न ऊष्मा आदि को भी विद्युत ऊर्जा में बदलने का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा।

अमेरिका की द ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने इस दिशा में काम करते हुए थर्मोइलेक्टिक सेमीकंडक्टर मैटेरियल को डिजाइन करने का नया तरीका तलाश किया है। साइंस नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, यह नया तरीका पैरामैग्नॉन नामक सूक्ष्म कणों पर आधारित है। इनमें चुंबकीय गुण तो बहुत अधिक नहीं होता, लेकिन यह अपने आस-पास चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न कर लेता है।

द ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी में अध्ययन के सह-लेखक जोसफ हेरामन के मुताबिक, इस खोज के जरिये हम वर्तमान में ऊष्मा से जितनी विद्युत ऊर्जा तैयार कर रहे हैं, उससे ज्यादा बिजली तैयार कर सकेंगे। शोधकर्ताओं के मुताबिक, यह ऐसा तरीका है, जिसके बारे में अभी तक किसी ने नहीं सोचा था कि यह संभव हो सकेगा।

इस तरह काम करती है नई विधि 

अध्ययन में बताया गया है कि जब चुंबक को गर्म किया जाता है तो वह अपना चुंबकीय गुण छोड़ देता है और पैरामैग्नेट बन जाता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, चुंबकत्व के प्रवाह से एक तरह की ऊर्जा उत्पन्न होती है, जिसे मैग्नॉन-ड्रैग थर्मोइलेक्टिसिटी कहा जाता है।

अभी तक सामान्य ताप पर इस ऊर्जा को प्रयोग करने के लिए एकत्र नहीं किया जा सकता था। बकौल हेरामन, परंपरागत ज्ञान कहता है कि अगर आपके पास पैरामैग्नेट है और आप उसे गर्म करते हैं तो उससे कुछ नहीं होगा। इसके लिए पिछले 20 वर्षो से जो सेमीकंडक्डटर मैटेरियल प्रयोग किए जा रहे हैं वे बहुत अधिक प्रभावशाली नहीं हैं और उनसे बहुत कम ऊर्जा प्राप्त होती है।

इस खोज में सामने आया कि जब चुंबक की एक तरफ को गर्म किया जाता है तो उसके ठंडी तरफ वाले हिस्से का चुंबकत्व बढ़ जाता है। इससे इसके घूमने के गुण के कारण इसके इलेक्ट्रॉन्स को धक्का लगता है और बिजली पैदा होती है। हालांकि, शोधकर्ता इस बारे में बता चुके हैं कि जब चुंबक को गर्म किया जाता है तो उसका चुंबकीय गुण खत्म हो जाता है और वह पैरामैग्नेट बन जाता है, लेकिन फिर में उसमें चुंबकत्व का कुछ गुण बचा रहता है। शोधकर्ताओं ने इस चीज की जांच की कि क्या ऐसी परिस्थितियों में पैरामैग्नॉन पर्याप्त घूर्णन पैदा करते हैं या नहीं।

यह आया सामने

द ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया कि पैरामैग्नॉन इलेक्ट्रॉन को केवल एक सेकंड के दस लाखवें हिस्से के एक अरबवें भाग में धक्का दे सकते हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक, इतना समय ऊर्जा को एकत्र करने के लिए पर्याप्त होता है। हेरामन के मुताबिक, पैरामैग्नॉन इतना धूर्णन पैदा कर सकते हैं, जिससे इलेक्ट्रॉन्स को धक्का लगे और इससे ऊर्जा को एकत्र करना संभव है।

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