पूर्वांचल में चार दिनों से हो रही आफत की बारिश ने जानमाल की तबाही मचाई

पूर्वांचल में चार दिनों से हो रही आफत की बारिश ने जानमाल की जमकर तबाही मचाई है। गुरुवार से शुरू बरसात का सिलसिला चौथे दिन रविवार सुबह तक जारी रहा। इस दौरान दर्जनों कच्चे मकान धराशायी हो गए। मलबे में दबने से अब तक 32 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों लोग हो गए। भारी बर्षा के कारण हर तरफ जल जमाव की स्थिति है। सड़कें धंसने, पेड़‍ गिरने के साथ रेल पटरियों पर जल जमाव से यातायात पर व्‍यापक असर देखने को मिल रहा है। हर तरफ भारी जल जमाव के कारण जन जीवन पूरी तरह से अस्‍त-व्‍यस्‍त हो गया है। नदी, तालाबों में पानी उफान पर है। बाढ़ प्रभावित इलाकों में रहने वालों के माथे पर बल है। नदियों के जल स्‍तर में तेजी से लोगों की परेशानियां भी बढ़ गई है।

119 मिमी हुई है बारिश

बंगाल की खाड़ी से आने वाली नम हवा ने मानसून के जाते-जाते काशी सहित पूरे पूर्वांचल को पानी-पानी कर दिया। जितनी बारिश पूरे साल में हुई उतनी तो सितंबर माह में ही हो गई। शुक्रवार शाम साढ़े पाचं से शनिवार शाम साढ़े पांच बजे तक यहां पर 119 मिमी बारिश होने के बाद सैकड़ों घरों में पानी घुस गया। जनवरी से अभी तक 1107 मिमी बारिश दर्ज की गई है, जो पिछले दो दशक के बाद ऐसा हुआ है। मौसम वैज्ञानिकों ने आने वाले एक-दो दिनों में अभी और बारिश की भविष्यवाणी की हैं।

चार दिनों से भगवान भाष्कर के दर्शन ही नहीं

सामान्य से तीन प्रतिशत अधिक बारिश मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार मानसून सीजन में जून से सितंबर तक सामान्य तौर पर 880 मिमी बारिश होनी चाहिए। पिछले कई वर्षो से कम बारिश हो रही थी, लेकिन इस साल रिकार्ड टूट गया है। इस साल जून से 28 सितंबर तक करीब 910 मिमी बारिश हो चुकी है, जबकि सितंबर में अभी दो दिन बाकी है। बारिश से बढ़ी ठंड पिछले सप्ताह जहां उमस भरी गर्मी से लोग परेशान थे। वहीं पिछले चार दिनों से भगवान भाष्कर के दर्शन ही नहीं हुए। आसमान में काले बादलों के डेरे से दिन में ही अंधेरे का आलम है। इसके कारण तापमान में भी गिरावट दर्ज की गई, जिससे ठंडक भी बढ़ गई है।

सोमवार से सुधार की उम्मीद

बीएचयू के मौसम विज्ञानी प्रो. एसएन पांडेय ने कहा कि सोमवार से सुधार की उम्मीद यह बारिश बंगाल की खाड़ी से आ रही नमी के कारण हो रही है। इसकी वजह से अभी कुछ दिन और बारिश होने की संभावना बनी हुई है। वैसे सोमवार से मौसम में सुधार की उम्मीद है। वहीं  भू-भौतिकी विभाग के प्रो. ज्ञानप्रकाश सिंह के अनुसार जलवायु परिवर्तन का असर जलवायु परिवर्तन के कारण मानसून के पहुंचने एवं लौटने का समय भी बदल रहा है। यही वजह है कि इस बार समय से करीब 14 दिन बाद मानसून आया है। लौटने में भी करीब 14 दिन की देरी हो रही है।

हाल तापमान : 24.8 डिग्री सेल्सियस अधिकतम तापमान और 22.1 डिग्री सेल्सियस न्यूनतम तापमान दर्ज किया गया है।

 

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