शेयर बाजार का चढ़ना निवेश के सही समय की गारंटी नहीं, जानिए क्या है इसके पीछे की सच्चाई

जब आप इस लेख को पढ़ रहे होंगे तब तक कॉरपोरेट टैक्स में कटौती की बात इतिहास का हिस्सा बन चुकी होगी। पिछले कुछ दिनों में इक्विटी मार्केट में जो हुआ, उसको लेकर शायद आप की प्रतिक्रिया काफी तीखी हो सकती है। लेकिन इन सबसे परे एक बात साफ है कि मोदी सरकार ने इन कदमों को उठाकर बहुत साहस दिखाया है। सरकार द्वारा उच्च स्तर पर किए गए सुधारों से व्यवस्था में सुधार तो हुआ, ही साथ ही उत्साह भी लगातार बना रहा।

पिछले कुछ समय से सूखे से गुजर रहा इक्विटी मार्केट इस दौरान गुलजार रहा। कुछ दिन निश्चित तौर पर निवेशकों के लिए काफी उत्साहजनक रहे। हालांकि यह सब चौंकाने वाला नहीं कहा जा सकता। बाजार कई बार ऐसे ही करवटें बदलता है, कई बार तो ऐसा भी होता है जब सरकार द्वारा कोई प्रयास किए बिना भी बाजार में ऐसी ही तेजी देखने को मिलती है। इस बार जो हुआ उसमें कुछ नया या चौंकाने वाला नहीं है। अगर सिर्फ पिछले दो दशकों की बात करें तो चार-पांच बार ऐसा हो चुका है, जब बाजार ने अचानक करवट बदली है। जब भी ऐसा हुआ है, तब आमतौर पर नुकसान ऐसे ही निवेशकों के खाते में गया है जो बाहर बैठकर चीजों को देख रहे थे। ऐसे निवेशक बाजार के ऊपर चढ़ने का इंतजार कर रहे थे और जब बाजार ऊपर चढ़ा तो निवेश करने दौड़ पड़े। इस तरह के निवेशक लाभ कमाने का सबसे बेहतरीन मौका गंवा बैठते हैं।

निवेशक अक्सर एक बात पर गौर नहीं करते हैं। वह यह कि मार्केट में निवेश की सबसे ज्यादा संभावनाएं बहुत नकारात्मक या सकारात्मक दिनों में ही बनती हैं। मान लीजिए कि आप सेंसेक्स रिकॉर्ड की शुरुआत से अब तक हुई ट्रेडिंग में से दस सबसे बुरे दिनों में बाजार से बाहर रहे हैं। ऐसी स्थिति में आपका पर्सनल सेंसेक्स 39,000 की जगह 1,03,000 अंक होना चाहिए। यह निश्चित तौर पर सुनने में बहुत अच्छा लग रहा है। बाजार में निवेश के लिए यह बेहतरीन समय प्रबंधन कहा जा सकता है। लेकिन इसके साथ आपको एक और बात पर गौर करना होगा। चीजें ठीक इसके विपरीत भी हो सकती हैं। हो सकता है आप ट्रेडिंग के सारे दिनों बाजार से जुड़े रहे हों, सिर्फ आप उन 10 दिनों में चूक जाएं जब मार्केट ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया हो। अब इस हिसाब से आपका पर्सनल सेंसेक्स 13,000 अंक पर अटक जाएगा। इस अंतर को पाटने के लिए आपके पास दूसरा कोई विकल्प नहीं है, सिवाय मार्केट में बने रहने के। यहां आपके हाथ में कुछ नहीं होता, आप इस तरह के मौकों का अंदाजा पहले से नहीं लगा सकते। अगर आपको लगता है कि बाहर बैठकर आप सबसे अच्छे या बुरे मौके पर नजर बनाए रख सकते हैं, तो आप गलत साबित होंगे। बाजार में उतार-चढ़ाव के मौके पूरे कारोबार के दिनों में बंटे रहते हैं। इतना सब कहने का मतलब बस यह है कि किसी चौंकाने वाले मौके का इंतजार करने की जगह अपना ध्यान स्टॉक की मौलिक गुणवत्ता और मूल्य पर लगाएं। इसके बाद करना आपको सिर्फ इतना है कि लगातार निवेश करें और उसमें बने रहें।

मार्केट जब अचानक ऊपर की ओर जाता है, तब निवेशकों को फायदा जरूर होता है, लेकिन यह बुरा भी हो सकता है। टैक्स कट के समय यह लगता है कि सभी टैक्स देने वाली कंपनियों में निवेश फायदेमंद होगा, क्योंकि स्टॉक ऊपर जा रहे होते हैं। लेकिन असल में ऐसा होता नहीं है। जब बाजार में गिरावट का दौर आता है, तब इन स्टॉक्स में तेज गिरावट होती है और निवेशकों को नुकसान ङोलना पड़ता है। पिछले सप्ताह से सभी कमजोर स्टॉक अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं और मजबूत बने हुए हैं। लेकिन जल्द ही इनके प्रमोटर और ब्रोकर अपनी कमाई में लग जाएंगे, फिर इन स्टॉक्स का हाल बुरा होगा। इसलिए मैं आपको सलाह दूंगा कि इस तरह के जाल में नहीं फंसें। भारत के बारे में पिछले कुछ साल से कहा जा रहा है कि यहां परिस्थितियां अच्छी होने के बावजूद खराब बिजनेस करने वाले लोगों की कमी नहीं है। यहां तक कि जब हालात अनुकूल हों तब भी वह अपने व्यापार को बहुत बुरे तरीके से चलाते हैं। समय अच्छा हो या बुरा निवेशकों को इस तरह की बातें हमेशा ध्यान में रखनी चाहिए। ऐसे दर्जनों उदाहरण शेयर बाजार में हैं, जो साबित करते हैं कि निवेश का कोई उचित वक्त नहीं होता। यहां टिकाऊ निवेश ही सबसे कारगर साबित होता है।

सरकार द्वारा किए गए टैक्स सुधारों के चलते पिछले कुछ दिनों में शेयर बाजार ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया। लेकिन यह निवेश करने या लाभ कमाने के लिहाज से बहुत अच्छा समय नहीं कहा जा सकता। बाजार जब एकदम से चढ़ता या उतरता है, तब खतरे भी बढ़ जाते हैं। ऐसे मौकों पर निवेश के लिए बहुत ज्यादा उत्साहित होने की जगह सावधानी बरतने की जरूरत होती है। निवेशक ऐसे किसी मौके की तलाश में बैठे नहीं रह सकते, बाजार के लिए यह कोई नई बात नहीं है।

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