रफ्तार संग सुविधाओं पर फोकस बदल रही Indian Railways,योजनाएं जानें भविष्य की
देश में आज से गैरआधिकारिक तरीके से रेलवे में निजीकरण की शुरूआत हो चुकी है। लखनऊ से देश की पहली प्राइवेट ट्रेन को नई दिल्ली के लिए रवाना कर दिया गया है। आम लोगों के लिए इस ट्रेन का संचालन छह अक्टूबर से शुरू होगा। एक दिन पहले ही केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली में दिल्ली से कटरा के बीच चलने वाली दूसरी वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाई थी। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फरवरी 2019 में नई दिल्ली से वाराणसी के बीच देश की पहली सेमीहाईस्पीड ट्रेन वंदे भारत का संचालन शुरू किया था। पिछले नौ माह में तीन हाईस्पीड ट्रेनों की शुरूआत बताती है कि भारतीय रेलवे (Indian Railways) का चेहरा मोहरा तेजी से बदल रहा है।
खास बात ये है कि भारतीय रेलवे में किए जा रहे बदलाव ट्रेनों की रफ्तार तक ही सीमित नहीं है। इसका मकसद सुविधाओं और सुरक्षा में भी इजाफा करना है। फिर चाहे बात स्टेशन पर सुविधा की हो या ट्रेन यात्राओं को सुरक्षित बनाना। यात्री सुविधाओं को बढ़ावा देने के लिए रेलवे, अब नई ट्रेनों में भी फ्लाइट जैसी सुविधाएं देने की दिशा में अग्रसर है। उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में इस तरह की निजी ट्रेनों की संख्या में तेजी से इजाफा होगा। इससे यात्री सुविधाओं के साथ-साथ रेलवे को भी घाटे से उबरने में मदद मिलेगी।
इतना ही नहीं कभी गंदगी का पर्याय माने जाने वाले रेलवे स्टेशनों में आज सुंदरता और साफ-सफाई की होड़ मची हुई है। हाल में भारतीय रेलवे ने पूरे देश में स्टेशनों का स्वच्छता सर्वेक्षण जारी किया। इसमें खराब प्रदर्शन करने वाले कई रेलवे अधिकारियों को नोटिस तक जारी किए गए हैं। साफ-सफाई को लेकर इस तरह से रेलवे अधिकारियों को नोटिस जारी करने के मामले बहुत कम ही सामने आते हैं। देश में सिंगल यूज प्लास्टिक को प्रतिबंधित करने का अभियान भले ही दो अक्टूबर से शुरू हुआ हो, लेकिन रेलवे पहले से ही ये अभियान चला रहा है। इसके लिए देश के लगभग सभी स्टेशनों पर पानी व कोल्ड ड्रिंक की खाली बोतलों को नष्ट करने वाली मशीने लगाई जा रही हैं।
ट्रेन लेट होने पर मुआवजे की शुरूआत
देश की पहली निजी ट्रेन का संचालन शुरू होने के साथ ही भारतीय रेलवे की लेट-लतीफ वाली छवि तोड़ने का भी प्रयास शुरू कर दिया गया है। यही वजह है कि पहली निजी ट्रेन के साथ, पहली बार ट्रेन के लेट होने पर मुआवजा देने का प्रावधान भी कर दिया गया है। जी हां, नई दिल्ली से लखनऊ के बीच चलने वाली पहली प्राइवेट ट्रेन ने यात्रा में एक घंटे की देरी होने पर 100 रुपये और दो घंटे से ज्यादा की देरी पर 250 रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की है।
होटल जैसे रेलवे रेस्ट हाउस
साफ-सफाई के अलावा रेलवे अपने देश भर के स्टेशनों पर मौजूद रेस्ट हाउस अथवा गेस्ट हाउस को भी अपग्रेड कर रहा है। इन्हें अपग्रेड करने के बाद आईआरसीटीसी के जरिए इनकी बुकिंग होगी और यात्रियों को यहां होटल जैसी सुविधाएं मिलेंगी। इससे एक तरफ यात्रियों को स्टेशन पर ही बेहतरीन सुविधाएं मिल सकेंगी, दूसरी तरफ रेलवे को भी इससे कमाई हो सकेगी। इसका काम करीब दो साल पहले ही शुरू किया जा चुका है। कई शहरों में रेलवे स्टेशनों पर बने विश्राम गृह अपग्रेड किए भी जा चुके हैं।
ट्रेन 19 में होगा स्लीपर कोच
ट्रेन-18 की तर्ज पर रेलवे ने ट्रेन-19 की योजना तैयार की है। ये मौजूदा वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों की उच्चीकृत श्रृंखला होगी। फिलहाल जो ट्रेन-18 या वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन चल रही है, वह केवल एसी चेयर कार है। ट्रेन-19 में स्लीपर कोच भी होंगे। इससे लंबी दूरी की ट्रेनों में यात्री सोकर आराम से यात्रा का आनंद ले सकेंगे। इन ट्रेनों को वर्ष 2019 के अंत तक उतारने की योजना थी, लेकिन इसमें थोड़ी देरी हो सकती है। माना जा रहा है कि रेलवे अब ज्यादा से ज्यादा सेमी हाईस्पीड ट्रेन वंदे भारत चलाने की योजना पर काम कर रहा है। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि नई तेजस ट्रेनों की मैन्युफैक्चरिंग बंद कर दी जाएगी। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि तेजस ट्रेन के उत्पादन और संचालन पर शताब्दी ट्रेनों के मुकाबले डेढ़ गुना ज्यादा खर्च आता है। तेजस को फिलहाल केवल दो रूटों पर चलाया जा रहा है। पहली ट्रेन मुंबई और गोआ के बीच चल रही है। दूसरी ट्रेन चेन्नई एग्मोर से मदुरई के बीच संचालित की जा रही है।
वंदे भारत ट्रेन का मैकेनिजम
वंदे भारत ट्रेन, इंजन लेस सेल्फ प्रोपेल्ड ट्रेन है। इसके हर कोच में मोटर लगी होती है। इसके जरिए ये ट्रेन डेमू और मेमू लोकल ट्रेनों की तरह तुरंत रफ्तार पकड़ लेती हैं और तुरंत रुक भी जाती हैं। इससे समय की काफी बचत होती है। साथ ही अचानक ब्रेक लगाने पर भी ट्रेन का संतुलन खराब नहीं होता है।
कोच फैक्ट्री का आधुनिकीकरण
तेज रफ्तार ट्रेनो के लिए आधुनिक कोच की भी जरूरत है। इसलिए सरकार कोच फैक्ट्रियों के आधुनिकीकरण पर भी काफी जोर दे रही है। वर्ष 2019 में चेन्नई कोच फैक्ट्री ने उत्पादन के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। ये फैक्ट्री अब अकेले साल में चार हजार कोच बनाने को तत्पर है। रायबरेली में हाल में शुरू की गई अत्याधुनिक मॉडर्न कोच फैक्ट्री भी सरकार की प्राथमिकता पर है। यहां रोबोट की मदद से कोच बनाने का काम तेजी से और सटीकता के साथ पूरा किया जा रहा है। उत्तर भारत की कपूरथला कोच फैक्ट्री सहित सरकार देश की अन्य कोच फैक्ट्रियों का आधुनिकीकरण कर कोच उत्पादन की क्षमता दोगुना करने का प्रयास कर रही है। कपूरथला कोच फैक्ट्री का भी आधुनिकीकरण किया जाएगा।
तेज रफ्तार के लिए मजबूत और सुरक्षित पटरियां
पूर्वोत्तर के रूट पर भी रेलवे वंदे भारत एक्सप्रेस, राजधानी एक्सप्रेस और शताब्दी एक्सप्रेस जैसी ट्रेनें चलाने की तैयारी में है। इन ट्रेनों की रफ्तार 110 से 160 किमी प्रति घंटा तक होगी। इन ट्रेनों के संचालन के लिए बाराबंकी से छपरा (425 किमी) तक पटरियों की क्षमता बढ़ाई जाएगी। इसके लिए मौजूदा पटरियों और उसके स्लीपर को बदला जाएगा। अभी जो पटरियां लगी हैं उनका वजन 52 किलो प्रति मीटर होता है। इसकी जगह अब 60 किलो प्रति मीटर वजन की पटरियां लगाई जाएंगी। नई पटरियों के वजन सहने की क्षमता ज्यादा होगी। इनमें फ्रैक्चर की आशंका न के बराबर होगी। पटरियों के नीचे से पत्थर हट जाए या गैप हो जाए तो भी पटरियां टेढ़ी नहीं होंगी और ट्रेन पूरी रफ्तार से उस पर से सुरक्षित गुजर सकेगी। पटरियों के बीच के गैप को खत्म करने के लिए इनकी लंबाई बढ़ाई जा रही है। लूप लाइनों को जोड़ने वाले प्वाइंट पर मजबूत थिक वेब स्वीच लगेंगे।
हादसों से बचाएंगे डबल डिस्टेंस सिग्नल
तेज रफ्तार के साथ ही ट्रेनों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जाएगी। इसके लिए रेलवे लाइनों पर डबल डिस्टेंट सिग्नल लगाए जाएंगे। डबल डिस्टेंट सिग्नल, स्टेशन यार्ड के बाहर लगे डिस्टेंट सिग्नल से पहले लगा होगा। इसमें सिर्फ लाल और पीली बत्ती होगी। ये सिग्नल लोको पायलट को ट्रेन की रफ्तार नियंत्रित करने के लिए अलर्ट करेगा। हरी लाइट का मतलब होगा, ट्रेन उसी रफ्तार से स्टेशन पर जा सकती है। पीली लाइट का मतलब होगा, लोको पायलट ट्रेन की रफ्तार को नियंत्रित कर ले। रेलवे के अनुसार इससे ट्रेनों के बिना वजह आउटर पर खड़े रहने की समस्या से छुटकारा मिलेगा। साथ ही हादसों पर भी लगाम लगेगी।
विदेशी कंपनियां भी कर सकेंगी ट्रेन-18 का निर्माण
कुछ माह पूर्व रेलवे ने ट्रेन-18 या वंदे भारत एक्सप्रेस श्रृंखला की नई ट्रेनों के लिए आवंटित टेंडर निरस्त कर दिए थे। इसके बाद कई तरह की अटकले लगाई जा रहीं थीं। रेलवे ने इस पर स्थिति स्पष्ट कर दी है। रेलवे के अनुसार वंदे भारत श्रृंखला की 40 नई ट्रेनों के निर्माण में अब विदेशी कंपनियां भी अहम भूमिका निभा सकेंगी। विदेशी कंपनियों को मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट के तहत भारत में ही इनकी मैन्युफैक्चरिंग करनी होगी। माना जा रहा है कि इसके बाद वंदे ट्रेनों के निर्माण में जर्मनी, स्पेन, फ्रांस, चीन, जापान जैसे देशों की भूमिका बढ़ जाएगी। दो जुलाई को रेलमंत्री पीयूष गोयल ने 19 विदेशी कंपनियों के साथ इस मसले पर बैठक की थी। मालूम हो कि देश में अभी दो रूट, नई दिल्ली से वाराणसी और नई दिल्ली से कटरा पर वंदे भारत ट्रेन का संचालन किया जा रहा है। दोनों ट्रेनों का निर्माण चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में किया गया है।
बढ़ेगी ट्रेनों की रफ्तार
ट्रेनों की लेटलतीफी और लंबी वेटिंग से छुटकारा पाने के लिए रेलवे लगातार रफ्तार बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है। ट्रेन-18 इसी कड़ी का अहम पड़ाव है। इसके अलावा भारतीय रेलवे पूरे देश में रेल लाइनें बढ़ाने, सिंगल लाइनों के दोहरीकरण और उनके सुदृढ़िकरण की दिशा में काम कर रहा है। इसका मकसद ये है कि वंदेभारत, राजधानी, शताब्दी, तेजस और गतिमान जैसी ट्रेनें अपनी पूरी रफ्तार से दौड़ सकें। ट्रेन-18 को छोड़ दें तो, बाकी ट्रेनों की औसत रफ्तार अभी उनकी अधिकतम रफ्तार के मुकाबले आधी या उससे भी कम रहती है। पिछले महीने कानपुर के दौरे पर गए रेलवे बोर्ड के सदस्य ए रेड्डी ने बताया था कि कानपुर से दिल्ली के बीच कुछ ट्रेनों की गति 130 से बढ़ाकर 160 किमी प्रति घंटा करने के लिए काम चल रहा है। देश के अन्य हिस्सों में भी इसी तरह ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने के लिए तेजी से प्रोजेक्ट पूरे किए जा रहे हैं।
दीवार में कैद होंगी पटरियां
ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने के साथ ही रेलवे उससे होने वाले एक्सीडेंट, सुसाइड और टक्कर जैसी घटनाओं को रोकने के लिए पटरियों को दीवारों में कैद करने की दिशा में भी काम कर रही है। मालूम हो कि ट्रेन-18 का संचालन शुरू होने पर रेलवे सेफ्टी कमिश्नर ने इसकी संस्तुति की थी। रेलवे अधिकारियों के अनुसार अक्सर ट्रैक पार करते वक्त जानवर या कोई इंसान हादसों का शिकार हो जाते हैं। उन्हें बचाने के लिए तेज रफ्तार पटरियों के दोनों तरफ दीवार या फेंसिंग जरूरी है।
भारतीय रेलवे के लिए वर्ष 2018
– सेमी हाईस्पीड ट्रेन-18 का ट्रायल रन शुरू हुआ। हालांकि इसका संचालन फरवरी 2019 में शुरू हुआ। 180 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से चलने वाली ये ट्रेन देश की सबसे तेज रफ्तार वाली और सबसे आधुनिक ट्रेन है। इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में 97 करोड़ रुपये के बजट से इसका निर्माण किया गया।
– रेलवे ने दुनिया में पहली बार डीजल इंजन को इलेक्ट्रिक इंजन बनाने में कामयाबी प्राप्त की।
– रेलवे ने वडोदरा, गुजरता में अपना पहला परिवहन विश्वविद्यालय राष्ट्रीय रेल एवं परिवहन संस्थान (एनआरटीआई) स्थापित किया। रूस और चीन के बाद विश्व का ये तीसरा परिवहन विश्वविद्यालय है।
– रेलवे ने सुरक्षित यात्राओं और सेवाओं में सुधार लाने के लिए वर्ष 2018 में 1.3 लाख पदों पर भर्तियां की।
– मुंबई में पहली एयरकंडीशन लोकल ट्रेन का संचालन शुरू किया गया। रेलवे इनकी संख्या बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है।
– रेलवे ने टिकटिंग, शिकायतों, खाने और ट्रेनों का पता लगाने के लिए कई तरह के ऐप लॉच किए।