एनएचएम की रिपोर्ट ने विपक्ष को थमाया मुद्दा, सरकार पर बोला हमला

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में उत्तराखंड के लचर प्रदर्शन ने विपक्ष कांग्रेस को बैठे बिठाए ही सरकार पर हमला बोलने का एक मौका दे दिया। विपक्ष अधिक हमलावर इसलिए भी है, क्योंकि यह विभाग स्वयं सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत संभाले हुए हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने प्रदेश की स्वास्थ्य सुविधाओं पर चिंता जताते हुए सरकार को उचित कदम उठाने को कहा है। वहीं, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तिलकराज बेहड़ ने सरकार के साथ ही ब्यूरोक्रेसी को भी इसके लिए दोषी ठहराया है। उन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं को किसी एक मंत्री को सौंपने की नसीहत भी सरकार को दे डाली।

केंद्र सरकार ने सभी राज्यों में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने और इनमें आपसी प्रतिस्पर्धा का माहौल बनाने के लिए रैंकिंग सिस्टम लागू किया। इसका मकसद यह है कि राज्य बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने को प्रेरित हों। अफसोस, उत्तराखंड केंद्र की इस अपेक्षा पर खरा नहीं उतर पाया और वह इस रैंकिंग में सबसे कमजोर प्रदर्शन करने वाले पांच राज्यों में से एक रहा।

इससे स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर पहले ही सरकार पर हमलावर रहे विपक्ष कांग्रेस की झोली में एक और अस्त्र आ गया। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं की यह स्थिति चिंताजनक है।

उन्होंने कहा कि राज्य बनने से पहले प्रदेश की चिकित्सा सुविधा काफी बेहतर थी। तब रानीखेत और कर्णप्रयाग में अच्छे डॉक्टर रहते थे। केवल पीएचसी और सीएचसी में डॉक्टरों की कमी को लेकर शिकायत रहती थी। आज स्थिति यह है कि सरकारी अस्पतालों में भी डॉक्टर नहीं है।

सपोर्ट सिस्टम पूरी तरह गड़बड़ाया हुआ है। 108 आपातकालीन एंबुलेंस सेवा पटरी से उतरी हुई है तो सरकार का खुशियों की सवारी से कदम पीछे खींचना बेहद चिंताजनक है। यह सब सरकार की अनदेखी से हुआ है। जहां डॉक्टर हैं भी वहां पूरी सुविधाएं नहीं हैं। एनएचएम में जिस तरह से प्रदेश को आखिरी में रखा है, सरकार के लिए चिंता का विषय है।

कहा कि यहां से भी चीजों को सुधारते हैं तो यह समझा जाएगा कि सरकार ने चेतावनी को समझा है। उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना आयुष्मान से अच्छी है। इसे भी लागू किया जाना चाहिए ताकि आयुष्मान योजना से छूटे लोगों को भी इसका लाभ मिल सके।

पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तिलकराज बेहड़ ने कहा कि पहले पीएचसी और सीएचसी को मजबूत किया गया था लेकिन अब इन पर काम नहीं हो रहा है। डॉक्टरों की तैनाती को लेकर सरकार गंभीर नहीं है। स्वास्थ्य महकमा अफसरशाही के भरोसे चल रहा है। यह एक महत्वपूर्ण महकमा है जिसके लिए एक स्वतंत्र मंत्री होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल में पद रिक्त चल रहे हैं। इन्हें भर कर किसी को स्वास्थ्य महकमे की जिम्मेदारी दी जा सकती है। मुख्यमंत्री के पास पहले से ही इतने विभाग हैं। इस कारण वह स्वास्थ्य महकमे पर फोकस नहीं कर पा रहे हैं। नतीजतन स्वास्थ्य सेवाएं दयनीय स्थिति में हैं।

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